By नीरज कुमार दुबे | Aug 07, 2024
बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद हुई हिंसा में कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई, महिलाओं पर हमला किया गया तथा अवामी लीग पार्टी से जुड़े दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई। जिन जिलों में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके घरों या व्यवसायों पर हमला किया गया, उनमें पंचगढ़, दिनाजपुर, रंगपुर, बोगुरा, सिराजगंज, शेरपुर, किशोरगंज, पश्चिम जशोर, मगुरा, नरैल, दक्षिणपश्चिम खुलना, पटुआखली, सतखीरा, मध्य नरसिंगडी, तंगैल, उत्तर पश्चिम लक्खीपुर, फेनी, चटगांव और हबीगंज शामिल हैं।
बांग्लादेश में स्थिति बेहद गंभीर है और पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। वहां पर हिंदू डर के साये में रह रहे हैं मगर बांग्लादेशी सेना अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल साबित हो रही है। बांग्लादेश से जो लोग भारत लौटे हैं वह बता रहे हैं कि वहां युद्ध जैसे हालात हैं। सवाल उठता है कि बांग्लादेश के हिंदुओं को कैसे बचाया जाये? सवाल यह भी उठता है कि जिस तरह एक एक करके हमारे पड़ोसी देशों में हिंदु खत्म होते जा रहे हैं उस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप क्यों है? देखा जाये तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव और बांग्लादेश में हिंदू खत्म होते जा रहे हैं। अगर यही स्थिति रही तो अगला नंबर भारत, नेपाल, भूटान का हो सकता है। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि यदि सरकार ने कड़े कानून बनाकर स्थिति को नियंत्रित नहीं किया तो हमारे यहां भी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मिशन 2047 के तहत कट्टरपंथी भारत, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और म्यांमार पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि घटिया नियम कानूनों को तत्काल नहीं बदला गया तो 2047 में भयानक नरसंहार हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुगलों ने तलवार के दम पर धर्मांतरण कराया लेकिन हमारे राजाओं ने घर वापसी नहीं कराई। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने धर्मांतरण के लिए कानून बनाया लेकिन सरकारों ने घर वापसी के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए अनेक कानून और योजनाएं हैं लेकिन घर वापसी के लिए एक भी नहीं है।