By नीरज कुमार दुबे | Apr 16, 2025
हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने अपनी चीन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ध्यान भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की ओर आकर्षित करते हुए कहा था कि चूंकि बांग्लादेश उस क्षेत्र में महासागर का एकमात्र संरक्षक है इसलिए चीनी अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए यह बड़ा अवसर हो सकता है। मोहम्मद यूनुस के उस बयान का करारा जवाब वैसे तो भारत ने हाथ के हाथ दे दिया था लेकिन अब मोदी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए 70 से अधिक देशों के राजदूतों को पूर्वोत्तर देखने के लिए बुलाया है। हम आपको बता दें कि केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने 70 से अधिक देशों के राजदूतों के साथ पूर्वोत्तर निवेशक शिखर सम्मेलन 'पूर्वोदय' का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि निवेश और नवाचार के केंद्र के रूप में पूर्वोत्तर को बढ़ावा देने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में यह शिखर सम्मेलन सार्थक सिद्ध होगा।
हम आपको यह भी बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत की प्रासंगिकता समय के साथ बढ़ेगी। जयशंकर ने साथ ही विदेशी राजदूतों से उस क्षेत्र को देखने, समझने और अपनी सरकारों तथा उद्योग जगत के साथ क्षेत्र की खासियत को साझा करने का आग्रह किया। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डीओएनईआर) द्वारा आयोजित ‘पूर्वोत्तर निवेशक शिखर सम्मेलन 2025’ के लिए राजदूतों की एक बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र कई प्रमुख भारतीय नीतियों- ‘पड़ोसी प्रथम’, ‘एक्ट ईस्ट’ या ‘बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल’ (बिम्सटेक) के केंद्र में है। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर हमारे पांच पड़ोसियों से जमीन से जुड़ा हुआ है, इसकी सीमाएं भारतीय उपमहाद्वीप और ‘आसियान’ (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन) देशों से जुड़ी हैं।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के निकटतम पड़ोसियों से जुड़ी कई हालिया पहल इसी क्षेत्र से निकली हैं। उन्होंने कहा कि त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान परियोजना जैसी अन्य पहल भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हर मायने में यह एक केंद्र है, जिसकी प्रासंगिकता समय के साथ और बढ़ेगी।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि आप इसकी कई खूबियों से परिचित हों और इसे अपनी सरकार और उद्योग जगत के साथ साझा करें। साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों में उनके साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दें।’’ विदेश मंत्री ने दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार, पर्यटन केंद्र और वैश्विक कार्यस्थल में योगदानकर्ता के रूप में पूर्वोत्तर की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
वहीं दूसरी ओर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोदी सरकार की ओर से पूर्वोत्तर के लिए किये गये कार्यों का उल्लेख करते हुए राजदूतों को विस्तार से बताया कि कैसे इस क्षेत्र के हालात में तेजी से बदलाव आया है। इस बैठक के बाद जिस तरह विभिन्न देशों के राजदूत सोशल मीडिया मंचों पर अपनी टिप्पणियों के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रति रुचि दिखा रहे हैं वह दर्शा रहा है कि सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं। हम आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय मंत्री सिंधिया 16-17 अप्रैल 2025 तक असम और मणिपुर का दौरा करेंगे। अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन वे असम के मुख्यमंत्री के साथ गुवाहाटी में एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता भी करेंगे।
हम आपको बता दें कि सिंधिया के नेतृत्व वाले मंत्रालय की ओर से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की निवेश और व्यापार क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित पूर्वोत्तर निवेशक शिखर सम्मेलन का उद्देश्य यह भी है कि क्षेत्र के भू-रणनीतिक लाभ, प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, कुशल कार्यबल और पूर्वोत्तर तथा पड़ोसी देशों के बाजारों तक यहां से आसान पहुँच की बात सब तक पहुँचाई जा सके।
बहरहाल, जहां तक मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा के दौरान दिये गये विवादास्पद बयान की बात है तो आपको एक बार फिर याद दिला दें कि उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य, जिनकी बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा लगती है, चारों ओर से जमीन से घिरे हुए हैं तथा इनके पास उनके देश के अलावा महासागर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। भारत ने इस टिप्पणी की निंदा की थी। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालांकि यूनुस के बयान पर कोई सीधी टिप्पणी तो नहीं की थी लेकिन बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए थाईलैंड रवाना होने से पहले जारी किये गये अपने बयान में उन्होंने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार को जवाब देते हुए कहा था कि अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र बिम्सटेक के केंद्र में स्थित है। उन्होंने अपने बयान में पूर्वोत्तर राज्यों की प्रधानता को रेखांकित किया था।