By अजय कुमार | Jul 26, 2021
लखनऊ। अगले वर्ष होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए जो लोग बहुजन समाज पार्टी को गंभीरता से नहीं ले रहे थे, पार्टी सुप्रीमों मायावती ने अपने एक दांव से उनके दिलों की धड़कने बढ़ा दी हैं। मायावती ने योगी सरकार से ब्राह्मणों की नाराजगी को भांप कर यह दावं चला है। दरअसल, सत्ता के गलियारों में लम्बे समय से योगी सरकार पर आरोप लग रहे थे कि उनके राज में ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहा है। ब्राह्मण अधिकारियों को अच्छी पोस्टिंग नहीं मिल रही है तो अपराध नियंत्रण के नाम पर भी ब्राह्मणों को मौत के घाट उतारा जा रहा है,लेकिन इस नाराजगी को गंभीरता से भुनाने की कोशिश न कांग्रेस ने की न ही समाजवादी पार्टी ने इसे सियासी रंग दिया,जो समाजवादी पार्टी की बड़ी चूक थी,जिसे मायावती ने लपक लिया। बसपा ब्राह्मणों को लुभाने के लिए कई जिलों में विचार गोष्ठियां कर रही हैं। अयोध्या से इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। ब्राह्मणों को लेकर बहनजी का ‘प्रेम छलका’ तो समाजवादी पार्टी को भी ब्राह्मणों पर ‘प्यार’ आ गया। 2022 में सत्ता में वापसी की रास्ता खोज रही समाजवादी पार्टी भी अब ब्राह्मणों को लुभाने के लिए कमर कस ली है। अखिलेश यादव ब्राह्मण नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिला रहे हैं तो ब्राह्मणों के प्रबुद्ध सम्मेलन करने की बात कहने लगे है। इसकी शुरूवात 23 अगस्त को बालिया से होगी। गत दिवस सपा प्रमुख ने ब्राह्मण नेताओं के साथ ब्राह्मण जोड़ो अभियान की रणनीति पर चर्चा भी की। इस दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, पूर्व विधायक व भगवान परशुराम चेतना पीठ के अध्यक्ष संतोष पांडेय, पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र, मनोज पांडेय और सनातन पांडेय भी मौजूद थे।
नेताओं ने अखिलेश को महर्षि परशुराम का चित्र भी भेंट किया। इस कड़ी में 23 अगस्त को बालिया और 24 अगस्त को मऊ में प्रबुद्ध सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया गया है।इसके बाद आगे के कार्यक्रम तय किए जाएंगे। समाजवादी ब्राह्मणों को लुभाने के लिए लखनऊ में सुल्तानपुर रोड़ पर महर्षि परशुराम को 60 फुट की प्रतिमा भी लगवाएगी। इसे जयपुर में बनवाया जा रहा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव इसका लोकापर्ण करेंगे। अखिलेश नें कहा है कि सरकार बनने पर परशुराम जयंती की छुट्टी फिर बहाल की जाएगी।