जानिए कश्मीर घाटी के किन-किन इलाकों से सरकार ने हटाई पाबंदियां

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 25, 2019

श्रीनगर। प्रशासन ने कश्मीर के अधिकतर इलाकों से शनिवार को पाबंदियां हटा लीं। जुमे की नमाज़ के मद्देनजर घाटी में लोगों की आवाजाही और संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी समूह कार्यालय तक अलगाववादियों के प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर शुक्रवार को कड़ी पाबंदियां लगाई गई थीं। जम्मू-कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने शनिवार शाम को पत्रकारों को बताया कि घाटी के 69 थाना-क्षेत्रों में दिन के समय प्रतिबंधों को हटा लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को गाड़ियों की आवाजाही में बढ़ोतरी हुई और दफ्तरों में हाजिरी भी सुधरी है। बहरहाल, सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद है और घाटी में 20वें दिन भी बाजार बंद थे, लेकिन रेहड़ी वालों ने श्रीनगर के बटालू और लाल चौक इलाकों में अपने स्टॉल लगाए।

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कंसल ने कहा कि पाबंदियों के बावजूद इस साल 1.20 लाख मैट्रिक टन फल भेजे गए हैं जबकि पिछले साल इसी दौरान 89,000 मैट्रिक टन फल भेजे गए थे। फलों की कटाई और उनका निर्यात सुचारू रूप से और निर्बाध तरीके से जारी रहे इसके लिए मंडलीय एवं जिला प्रशासनों ने कई आवश्यक कदम उठाए हैं। प्रशासन के प्रवक्ता कंसल ने बताया कि पांच अगस्त के बाद करीब 1500 प्राथमिक स्कूल और एक हजार मिडिल स्कूल फिर से खुले हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बल स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं और स्थानीय गड़बड़ियों से स्थानीय स्तर पर ही निपटा जा रहा है। पिछले एक हफ्ते में प्रदर्शनों और पथराव की घटनाओं में काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि 21 अगस्त को तीन घटनाएं रिपोर्ट हुई थी और 22 अगस्त को दो घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। 

कंसल ने बताया कि सीमा पार से आतंकवाद का खतरा बना हुआ है और सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं। उन्होंने बताया कि लैंडलाइन टेलीफोन सेवा की बहाली की लगातार समीक्षा की जा रही है और आठ नए एक्सचेंज सप्ताहांत पर बहाल किए जा सकते हैं जिनमें 5,300 फोन हैं। उन्होंने बताया कि उन 69 थाना-क्षेत्रों में लैंडलाइन फोनों को बहाल करने की कोशिश की जा रही है जहां से दिन के वक्त पांबदियों को हटा लिया गया है। जुमे की नमाज़ के बाद जमा होने वाली भीड़ और अलगाववादियों द्वारा लोगों से सोनोवार में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) के स्थानीय कार्यालय तक मार्च की अपील के बाद शुक्रवार को पाबंदियां लगायी गयी थी। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही।

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उन्होंने शनिवार को बताया कि अधिकतर इलाकों से बैरिकेड हटा लिए गए हैं, लेकिन श्रीनगर और घाटी के कुछ इलाकों में सड़कों पर कंटीले तार लगे हुए हैं। पहचान पत्रों की जांच के बाद ही लोगों को आने-जाने की इजाजत दी जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्ष के नेताओं को घाटी की यात्रा की इजाजत नहीं देने के फैसले के बारे में पूछने पर कंसल ने कहा कि ऐसे समय में जब सीमा पार से आतंकवाद का खतरा बना हुआ है, तब सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि उनसे घाटी नहीं आने का अनुरोध किया गया था। जब यह पूछा गया कि घाटी में कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है तो प्रवक्ता ने कहा कि हिरासत स्थिति की निरंतर समीक्षा होती रहती है। 

उन्होंने कहा कि हम सीमा पार से आतंकवाद और सार्वजनिक कानून एवं व्यवस्था की स्थिति का सामना कर रहे हैं। स्थानीय कानून प्रवर्तक एजेंसियां स्थानीय स्तर पर फैसला ले सकती हैं और इन फैसलों की निरंतर समीक्षा होती है। अगर गिरफ्तारियां होती हैं तो लोगों को रिहा भी किया जाता है।

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