By अनन्या मिश्रा | Mar 28, 2023
उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है। इसकी खूबसूरती और धार्मिक महत्व किसी से छिपा नहीं है। बता दें कि हिमालय के तलहटी में बसा उत्तराखंड अपने अनेकों महान और दिव्य जगहों के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड को छोटे चार धाम के लिए भी जाना जाता है। जिसमें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ यहां के खास स्थानों में हैं। जब भी चारधाम की यात्रा शुरू होती है तो यहां पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लाखों की संख्या में लोग उत्तराखंड पहुंचते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको उत्तराखंड के एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि इस आर्टिकल के जरिए हम आपको उत्तराखंड के जोशीमठ से कुछ ही दूरी पर मौजूद ‘भविष्य बद्री’ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस स्थान को भविष्य बद्री कहा जाता है। आइए जानते हैं भविष्य बद्री की कुछ खास और अनोखी बातों के बारे में...
पांच बद्री मंदिर
उत्तराखंड में पांच बद्री मंदिर मौजूद है। बता दें कि बद्रीनाथ के उत्तर-पश्चिमी भाग में 24 किमी की दूरी पर स्थित सतोपंथ से दक्षिण में नंदप्रयाग वाले क्षेत्र को बद्रीक्षेत्र कहा जाता है। इस क्षेत्र में भगवान श्रीहरि विष्णु के पांच मंदिर हैं। जिन्हें पंच बद्री के नाम से भी जाना जाता है। बद्रीनाथ या विशाल बद्री को पंच बद्री का प्रमुख मंदिर कहा जाता है। इस स्थान पर चार अन्य बद्री मंदिर भी हैं। जिनमें भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री, आदि बद्री और योगध्यान बद्री शामिल हैं।
भविष्य बद्री मंदिर
आप भी जानना चाहते होंगे कि भविष्य बद्री कहां स्थित है। जोशीमठ से करीबन 25 किमी और बद्रीनाथ से 56 किमी की दूरी पर भविष्य बद्री स्थित है। यह स्थान भविष्य बद्री तीर्थ के नाम से फेमस है। मान्यता के अनुसार, जब पूरी दुनिया में अधर्म का राज होगा, तब नर और नारायण पर्वत नजदीक आ जाएंगे और बद्रीनाथ जाने का रास्ता बंद ही जाएगा। ऐसा होने के बाद भगवान श्रीहरि विष्णु भविष्य बद्री मंदिर में निवास करेंगे। इस मंदिर में उनकी नरसिंघ के रूप में पूजा की जाएगी।
अभी है अस्थायी निवास
मान्यता के अनुसार, जोशीमठ में मौजूद नरसिंघ मंदिर में मौजूद भगवान नरसिंघ की मूर्ती के हाथ पतले हो रहे हैं। कहा जाता है जिस दिन भगवान नरसिंघ की मूर्ती से हाथ अलग हो जाएंगे। उस दिन बद्रीनाथ का रास्ता बंद हो जाएगा। इसके बाद भविष्य बद्री सभी के सामने आएंगे। बद्रीनाथ के पट बंद होने के बाद जोशीमठ के नरसिंघ मंदिर में ही भगवान विष्णु का निवास होता है।
पत्थर पर भगवान विष्णु की मूर्ती
भविष्य में जिस स्थान पर भगवान श्रीहरि विष्णु के दर्शन होंगे, वह स्थान यानि की भविष्य बद्री मंदिर देवदार के घने जंगलों में मौजूद है। यहां के पुजारी की मानें तो मंदिर के एक पत्थर पर धीरे-धीरे भगवान विष्णु और सभी देवी देवताओं की आकृति उभर रही है। हालांकि यह प्रक्रिया काफी धीरे हो रही है। जिस कारण इसे देख पाना हर किसी के बस का नहीं है।
कैसे पहुंचे
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सीमित साधन ही मिलेंगे। जोशीमठ के सबसे पास का हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। यह करीब 268 किमी दूर है। वहीं जोशीमठ के पास का रेलवे स्टेशन ऋषिकेष है। जो यहां से 250 किमी दूर है। जोशीमठ से मंदिर की दूरी 25 किमी रह जाती है। लेकिन यहां से आगे का रास्ता काफी कठिन है। जोशीमठ से 19 किमी दूर सलधार तक आप सड़क द्वारा किसी भी गाड़ी से आसानी से पहुंच सकते हैं। लेकिन सलधार से भविष्य बद्री जाने के लिए आपको करीब 6 किमी पैदल यात्रा करनी होगी। घने जंगल और धौली गंगा के किनारे होकर जाने वाले इस रास्ते पर आपको करीब 3 किमी का सफर तय करना पड़ेगा।