अयोध्या के बाद मथुरा की बारी! चुनाव में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी

By अंकित सिंह | Feb 17, 2024

दिल्ली में भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक हो रही है। इस बैठक में देश भर से 11000 से ज्यादा पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बैठक के जरिए कहीं ना कहीं लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा राजनीति बन सकती है। चुनाव को लेकर ही पार्टी की ओर से महामंथन किया जा रहा है। इस बैठक में राम मंदिर लेकर भी प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद किया जाएगा। लेकिन इस बैठक में मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को भी बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि राम मंदिर का वादा पूरा करने के बाद भाजपा के कार्यकर्ता ऐसे बैठक में हरे कृष्णा गा रहे हैं। 

 

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इससे कहीं ना कहीं पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कृष्ण लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। दरअसल, भाजपा की ओर से बार-बार इशारा किया जाता रहा है कि अयोध्या विवाद का हमने निपटारा किया है। अब हमें काशी और मथुरा विवाद का भी निपटारा करना है। हाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान से भी कुछ इसी तरीके का संदेश मिला था। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का जिक्र करते हुए काशी और मथुरा की तरफ इशारा किया और कहा कि अयोध्या का मुद्दा जब लोगों ने देखा तो नंदी बाबा ने भी इंतजार किए बगैर रात में बैरिकेड तोड़वा डाले और अब हमारे कृष्ण कन्हैया भी कहां मानने वाले हैं। 

 

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मुख्यमंत्री ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि पांडवों ने कौरवों से सिर्फ पांच गांव मांगे थे लेकिन सैकड़ों वर्षों से यहां की आस्था केवल तीन (अयोध्या, काशी और मथुरा) के लिए बात कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ तीन के लिए भी इसलिए क्योंकि वे विशिष्ट स्थल हैं। वे सामान्य नहीं हैं। ईश्वर की धरती हैं। लेकिन एक जिद है और इस जिद में जब राजनीतिक तड़का पड़ने लगता है और वोट बैंक बनाने की राजनीति होने लगती है तो वहीं से विवाद की स्थिति खड़ी होने लगती है।’’ आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘हमने तो केवल तीन जगह मांगी हैं। अन्य जगहों के बारे में कोई मुद्दा नहीं था। अब अयोध्या का मुद्दा जब लोगों ने देखा तो नंदी बाबा ने भी कहा कि हम काहे इंतजार करें। उन्होंने भी इंतजार किए बगैर रात में बैरिकेड तोड़वा डाले और हमारे कृष्ण कन्हैया भी कहां मानने वाले हैं।’’

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