By कमलेश पांडे | Mar 25, 2025
क्या आपको पता है कि प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों की सैलरी से हर महीने प्रोविडेंट फंड (पीएफ) के नाम पर एक सुनिश्चित धनराशि कटती है? यदि नहीं तो यह जान लीजिए कि ऐसा ही होता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों होता है और पेंशन लेने के लिए कितने साल की नौकरी करनी जरूरी होती है? यदि नहीं, तो यहां पर मैं इस बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करूँगा।
दरअसल, निजी क्षेत्र यानी प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले पीएफ के बारे में अच्छी तरह से जानते होंगे। क्योंकि हर महीने पीएफ के नाम पर उनकी सैलरी से जो पैसा कटता है, वह पेंशन देने के लिए ही काटा जाता है। मसलन, यह पीएफ सिर्फ इसलिए काटा जाता है, ताकि आपको रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े और यदि अपने न्यूनतम 10 वर्षों तक किसी कम्पनी में या विभिन्न कम्पनियों में सेवा दी है तो आप पेंशन के हकदार हैं। अन्यथा आपको काटी हुई धनराशि ब्याज सहित एकमुश्त लौटा दी जाएगी।
इसलिए पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड को आसान भाषा में समझें तो यह एक तरह का निवेश मतलब इन्वेस्टमेंट है जिसका फायदा अवकाश प्राप्ति यानी रिटायरमेंट के बाद उठाया जा सकता है। हालांकि, प्रोविडेंट फंड के लिए केवल कर्मचारी यानी एम्पलाई ही नहीं, बल्कि उनका नियोक्ता यानी एम्पलॉयर भी अपना योगदान मतलब शेयर देता है। इस प्रकार यह तो बात हो गई कि सैलरी से पीएफ के नाम पर पैसा क्यों कटता है और उसका क्या फायदा हो सकता है। लेकिन, आखिर में यह पैसा हमें कब और किन शर्तों के साथ मिल सकता है, यह भी यहां पर जान लेना भी जरूरी है ताकि समय पर आप इसका फायदा उठा सकें।
तो आइए, हमलोग यहां पर जानते हैं कि कम से कम कितने साल की नौकरी और किन नियमों को पूरा करने के बाद पीएफ का पैसा या पेंशन किसी भी कर्मचारी को मिलती है।
# समझिए कि निजी क्षेत्र में न्यूनतम कितने साल की नौकरी के बाद पेंशन मिलती है?
ईपीएफओ यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की तरफ से ईपीएस यानी एम्पलाई पेंशन स्कीम चलाई जाती है। जिसमें हर महीने सैलरी से कटने वाला पैसा एक पीएफ अकाउंट में जमा होता जाता है, जिसे जरूरत पड़ने पर या फिर रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर लिया जा सकता है। इसलिए अब यह सवाल उठता है कि ईपीएस की पेंशन के लिए कम से कम कितने साल की नौकरी करना जरूरी होता है।
तो आप जान लीजिए कि ईपीएफओ के नियमों के मुताबिक, कम से कम 10 साल तक नौकरी करने वाला व्यक्ति ही रिटायरमेंट के बाद पेंशन का हकदार होता है। वहीं, ईपीएफओ के तहत पेंशन पाने के लिए व्यक्ति की उम्र कम से कम 58 साल होनी चाहिए। इसी के साथ ईपीएफओ का मेंबर होने के साथ-साथ उसका नियमित योगदान भी होना चाहिए।
ईपीएफओ के नियमों के मुताबिक, यदि किसी व्यक्ति की नौकरी 9 साल 6 महीना या उससे ज्यादा रही है, तो उसे 10 साल के बराबर देखा जाता है। वहीं, अगर नौकरी 9 साल 5 महीना या उससे कम है तो उसे 9 साल के बराबर ही माना जाता है। ऐसी स्थिति में ईपीएफओ अकाउंट होल्डर्स को पेंशन नहीं मिलती है। हालांकि, वह अपना पैसा निकालकर इस्तेमाल जरूर कर सकते हैं।
# समझिए कि पेंशन कैलकुलेट कैसे होती है?
प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वालों की सैलरी में से हर महीने बेसिक आय+डीए का 12 प्रतिशत कटता है और पीएफ के अकाउंट में जमा हो जाता है। वहीं, एम्पलॉयर का 8.33 प्रतिशत शेयर कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस और 3.67 प्रतिशत ईपीएफ में जाता है। वहीं, अगर किसी व्यक्ति का नौकरी में गैप होता है, तो उसका असर पेंशन पर नहीं पड़ता है। क्योंकि, नियमों के मुताबिक कुल मिलाकर व्यक्ति की 10 साल की सर्विस होनी चाहिए।
वहीं, अगर 10 साल की सर्विस नहीं होती है, तो आपको पेंशन नहीं मिलेगी। हालांकि, आप जब चाहे अपना पैसा पीएफ अकाउंट से निकाल सकते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या पीएफ से पैसा निकालने के बाद भी मिलती पेंशन है? नहीं, पीएफ से अनुमन्य धनराशि ही आप एक बार निकाल सकते हैं। यदि आपने पूरी रकम निकाल ली तो आपका पेंशन क्लेम निरस्त समझा जाता है। इस बारे में नियमावली में सारी बातें पहले से ही स्पष्ट हैं।
# जानिए कि ईपीएफ में पेंशन कितनी मिलती है?
ईपीएफ में पेंशन आपकी सैलरी और उससे होने वाली कटौती पर निर्भर करती है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, साल 2014 में केंद्र सरकार ने ईपीएफओ में न्यूनतम पेंशन 1 हजार रुपये प्रति महीना तय की थी। हालांकि, इसे बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की मांग की जा रही है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार