वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार से अलग नया राज्य बनाकर झारखंड का सपना साकार किया था। अलग राज्य बनने के करीब 19 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस सपने को एक कदम आगे लेकर जाते हुए किराये के विधानसभा भवन से झारखंड को मुक्ति दिला रहे हैं। राजधानी रांची के जनन्नाथपुर में झारखंड विधानसभा के नए और आलीशान भवन में जल्द झारखंड की सबसे बड़ी पंचायत सजेगी। अलग राज्य के निर्माण के बाद अभी तक झारखंड विधानसभा किराये के भवन में चल रही थी।
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एचईसी के रसियन हॉस्टल स्थित लेनिन हॉल में किराए पर झारखंड की नीति और नीयत के फैसले लिए जाते थे। झारखंड विधानसभा का नया भवन देश का सबसे भव्य और तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कहा जा रहा है। अब तक के सभी राज्यों के विधानसभा भवन से उन्नत तकनीकी सुविधाएं भी यहां मौजूद हैं। बता दें कि राज्य में 14 वर्ष तक राजनीतिक अस्थिरता रहने के कारण झारखंड को अपना नया विधानसभा भवन नहीं मिल पाया था। नए विधानसभा भवन के निर्माण को लेकर बाधाएं और चुनौतियां थीं। लेकिन तमाम बाधाओं को पार कर राज्य में अपना विधानसभा भवन बनना झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता के लिए गर्व की बात है।
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बता दें कि झारखंड की साल दर साल बदलती सरकारों ने नए विधानसभा के लिए प्रयास नहीं किए। लेकिन वो सारे प्रयास प्रतिबद्धता की कमी कहें या वक्त का अभाव जिससे सारे प्रयास धरे के धरे रह गए। पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 21 जनवरी 2014 को कूटे गांव में विधानसभा के नये भवन की आधारशिला रखी थी। लेकिन ग्रामीण आधारशिला की ईंट तक उखाड़ कर ले गए। बाद में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 12 जून 2015 को फिर से शिलान्यास किया। लेकिन इस बार तमाम विरोध के बाद भी नए विधानसभा स्थल पर काम तेजी से हुआ।
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नए विधानसभा भवन में क्या है खास