By अंकित सिंह | Sep 17, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ और सीएसटीओ की विशेष बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति पर अपनी राय रखी। प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम का सबसे अधिक प्रभाव हम जैसे पड़ोसी देशों पर होगा। इसलिए इस मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और क्षेत्रीय सहयोग बहुत आवश्यक है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संदर्भ में हमें 4 विषयों पर ध्यान देना होगा। पहला मुद्दा है कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन इंक्लूजिव नहीं है और बिना नेगोशिएशन के हुआ है। इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। महिलाओं, अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण है। भारत इस पर संयुक्त राष्ट्र के रुख का समर्थन करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ड्रग्स, अवैध हथियार और मानव तस्करी बढ़ सकती है। अफगानिस्तान में भारी संख्या में उन्नत हथियार छूट गए हैं। इससे भविष्य में पूरे क्षेत्र को अनिश्चितता के खतरे का सामना करना पड़ेगा। अफगानिस्तान बड़े पैमाने पर मानवीय संकट का सामना कर रहा है। वित्तीय और व्यापार प्रवाह ठप होने से स्थिति विकट हो गई है। भारत इंफ्रा, शिक्षा, स्वास्थ्य और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में अफगानिस्तान का लंबे समय से सहयोगी रहा है। आज हम अफगानी लोगों को खाद्य आपूर्ति दवाएं पहुंचाने के लिए तैयार हैं। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानवीय सहायता बिना किसी बाधा के अफगानिस्तान पहुंचे।
मोदी ने कहा कि ये मानदंड आगे चलकर वैश्विक एंडी टेरर सहयोग के लिए भी एक टेंपलेट बन सकते हैं। ये मानदंड आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस के सिद्धांत पर आधारित होने चाहिए। इनमें क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म और टेरर फाइनेंसिंग जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट होना चाहिए। हम सभी देश पहले भी आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं इसलिए हमें मिलकर सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी भी देश में आतंकवाद फैलाने के लिए न हो। एससीओ को सदस्य देशों को इस विषय पर सख्त और साझा मानदंड विकसित करने चाहिए।