By अनुराग गुप्ता | Sep 16, 2021
वॉशिंगटन। राजनयिक इतिहास में पहली बार एक घटनाक्रम हुआ है। पूर्व अफगान सरकार द्वारा नियुक्त राजनयिकों ने संयुक्त बयान जारी कर विश्व नेताओं से तालिबान को औपचारिक मान्यता नहीं देने की अपील की। बता दें कि दो दर्जन से अधिक राजनयिकों ने पत्र पर दस्तखत किए और बयान जारी किया। इसकी एक प्रति अंग्रेजी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के पास मौजूद है।
आतंकियों की दया पर छोड़ दिया !
पत्र में राजनयिकों ने लिखा कि हम इस बात से निराश हैं कि अफगानिस्तान के साथ बीस साल के संबंधों को हमारे सहयोगी छोड़ रहे हैं और हमारे लोगों को एक आतंकवादी समूह की दया पर छोड़ दिया गया।इस पत्र में विश्व नेताओं से महिलाओं, समाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ तालिबान की हिंसा को रोकने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करने को कहा गया।
पत्र में आगे अफगानिस्तान में तालिबान के जबरन कब्जे का भी उल्लेख किया गया। इसमें राजनयिकों ने लिखा कि तालिबान ने अवैध और हिंसक तरीकों से सत्ता पर कब्जा कर लिया। उनके इस कदम से दुनियाभर आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी समूहों को प्रोत्साहन मिलेगा।अशरफ गनी की हटाई तस्वीररॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वाशिंगटन में अफगानिस्तान दूतावास के पहले सचिव जवाद राहा ने बताया कि राजनयिक अमेरिका में रहने वाले अफगानों के लिए लगातार काम कर रहे हैं और अपने मुल्क की स्थिति पर भी ध्यान केंद्रित किया हुआ है। उन्होंने बताया कि अशरफ गनी के अचानक काबुल छोड़कर भागने के बाद उन्होंने दूतावास से उनकी तस्वीर को हटा दिया है।