त्योहारी सीजन में बिजली आपूर्ति के लिए समुचित कोयला भंडार मौजूद

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 26, 2022

आगामी त्योहारी मौसम में भारत के सामने पिछले साल की तरह बिजली संकट की स्थिति पैदा होने की संभावना बेहद कम है क्योंकि देशभर में कोयला-चालित बिजली संयंत्रों के पास पर्याप्त मात्रा में कोयला भंडार मौजूद है। अक्टूबर, 2021 में पैदा हुए ऊर्जा संकट से सबक सीखते हुए कोयला एवं बिजली मंत्रालयों के साथ रेलवे ने भी इस साल त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए खास तैयारियां की हैं। अधिकारियों ने बताया कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कच्चे माल के तौर पर कोयले का पर्याप्त भंडार बिजली उत्पादक संयंत्रों के पास मौजूद है।

देश में बिजली के कुल उत्पादन में कोयला-आधारित बिजली की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत है लिहाजा कोयला-आधारित संयंत्रों के पास समुचित मात्रा में कोयला मौजूद होना जरूरी है। अधिकारियों ने भरोसा जताया है कि2021 में पैदा हुए बिजली संकट इस बार के त्योहारी मौसम में नहीं दोहराया जाएगा। कोविड-19 महामारी से जुड़ी बंदिशें खत्म हो जाने के बाद औद्योगिक गतिविधियां बढ़ने से बिजली की मांग बढ़ी है। इसके अलावा अगले हफ्ते शुरू हो रहे त्योहारी मौसम में सजावट एवं रोशनी के लिए भी बिजली की मांग बढ़ने की संभावना है।

कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल बिजली संयंत्रों के पास सुविधाजनक स्तर पर कोयला भंडार उपलब्ध है। पिछले साल बड़ी किल्लत का सामना करने वाले हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी कोयले की स्थिति संतोषजनक है। अधिकारी ने कहा, ‘‘सरकार कोयला कंपनियों के साथ सप्ताह में दो बार नियमित समीक्षा बैठकें कर रही है ताकि कोयला भंडार सुनिश्चित करने के अलावा बिजली उत्पादन भी बढ़ाया जा सके।’’ इसके अलावा कोयला मंत्रालय बिजली संयंत्रों तक जरूरी कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे के साथ तालमेल बिठाकर भी काम कर रहा है।

अधिकारी ने बताया कि इस साल 11 सितंबर को कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों के पास उपलब्ध कुल कोयला भंडार 2.5 करोड़ टन था जबकि पिछले साल 11 सितंबर को यह आंकड़ा सिर्फ 1.1 करोड़ टन था। पिछले साल त्योहारी मौसम में बिजली की मांग सामान्य दिनों की तुलना में करीब 16 प्रतिशत बढ़ गई थी जिसकी वजह से बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ा था। इस साल मई में भी भीषण गर्मियों के दौरान बिजली संयंत्रों के पास समुचित कोयला भंडार नहीं होने से बिजली आपूर्ति कम हो गई थी।

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