अपने कार्यकाल में मोदी ने कई बड़े काम किये पर असल चुनौतियां 2019 में होंगी

By ब्रह्मानंद राजपूत | Dec 31, 2018

नया वर्ष हर व्यक्ति के लिए बीते हुए वर्ष की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ-साथ कमियों और गलतियों का मूल्यांकन करने का समय है। यह हमें अपने आप को भावी वर्ष के लिए योजना बनाने, कार्य करने तथा आगामी वर्ष के लिए नये लक्ष्य तय करने का अवसर प्रदान करता है। नए साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिए नए लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते वर्ष में अनेक उपलव्धियाँ हासिल की हैं, साथ-साथ अनेक सफलताएं भी पायी हैं। इन सफलताओं और उपलब्धियों में मोदी सरकार को अपनी गलतियों और कमियों पर पर्दा नहीं डालना चाहिए। बल्कि अपनी गलतियों और कमियों का मूल्यांकन करके भावी वर्ष के लिए रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि गलतियों और कमियों को सुधारकर अवसरों में बदला जा सके।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्ष में जिस प्रकार से अनेक चुनौतियों का सामना किया, उसी प्रकार भावी वर्ष में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कहा जाए तो साल 2019 में नरेंद्र मोदी को अनेक अग्नि परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। 5 राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में हार के बाद सबसे पहली अग्नि परीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2019 का लोकसभा चुनाव होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नरेंद्र मोदी और अपने मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सत्ता गंवा चुकी है और तीनों ही राज्यों में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की सरकार बन चुकी है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहाँ भाजपा की पिछले पंद्रह साल से शिवराज सिंह चैहान और डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में सरकारें थीं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शिवराज सिंह चैहान और डॉ. रमन सिंह ने काफी विकास के काम किये इसके बावजूद भी दोनों राज्यों में भाजपा को सत्ता विरोधी लहर में हार का सामना करना पड़ा।


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अगर राजस्थान की बात की जाए तो राजस्थान ने अपने इतिहास को दोहराते हुए इस बार कांग्रेस को मौका दिया है क्योंकि पिछले कई सालों से राजस्थान का इतिहास रहा है की यहाँ पांच साल भाजपा की सरकार रहती है तो उसके पांच साल बाद कांग्रेस की सरकार रहती है। ऐसा नहीं है कि राजस्थान में भाजपा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में वहाँ विकास के कार्य नहीं किये, पिछले 5 सालों में वसुंधरा सरकार ने वहाँ काफी विकास के कार्य किये लेकिन सत्ता विरोधी लहर ने राजस्थान में फिर अपने इतिहास को दोहराया है। तेलंगाना की बात की जाए तो वहाँ के॰ चंद्रशेखर राव (केसीआर) तेलंगाना राज्य बनाने के बाद लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं वहाँ केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने 119 सीटों में से 88 सीटें जीती हैं।

 

लोकसभा का सेमीफाइनल माने जा रहे इन 5 राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) के चुनाव में भाजपा पूरी तरह से असफल होती दिखी। बेशक कांग्रेस पार्टी ने राहुल गाँधी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बना ली हो लेकिन आज भी कांग्रेस भाजपा से राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं है। इसका प्रमुख कारण नरेंद्र मोदी जैसे विराट व्यक्तित्व के सामने एक दमखम वाले नेता का नहीं होना है। अभी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं हैं और न ही उनके पास नरेंद्र मोदी जैसा लम्बा अनुभव है। यही बात नरेंद्र मोदी के लिए एक प्लस पॉइंट है। आज भी विभिन्न चैनलों और एजेंसियों के सर्वेक्षण में नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री के रूप में देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। बेशक भाजपा पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हारी हो लेकिन नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में आज भी कोई कमी नहीं आयी है। अगर ऐसी ही लोकप्रियता नरेंद्र मोदी की नए वर्ष 2019 में देखने को मिलती है तो निश्चित रूप से 2019 के संसदीय चुनावों में भाजपा को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोई जीतने से कोई भी पार्टी और नेता नहीं रोक सकता।

 

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अब 2019 के आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा की सफलता और असफलता सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख को प्रभावित करेगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत का सेहरा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर सजेगा और हार का ठीकरा भी मोदी के मत्थे मढ़ा जाएगा। क्योंकि 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा अपने लोकप्रिय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ेगी। 5 राज्यों में भाजपा को करारी हार के बाद अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। पहले भाजपा नेताओं के बयान आते थे कि भाजपा अजेय है लेकिन पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में भाजपा को हराकर जनता ने भाजपा को सबक सिखाते हुए बता दिया कि अतिआत्मविश्वास, बड़बोलापन और जरूरत से ज्यादा घमंड कभी-कभी काफी भारी पड़ जाता है। अब भाजपा के नेता भी कहने लगे हैं कि हार-जीत राजनीति का अहम् हिस्सा है। लेकिन भाजपा भी अपनी गलतियों से जल्दी सीखने वाला पार्टी है। भाजपा अब 2019 के लोकसभा के चुनाव का रण जीतने के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नयी रणनीति के साथ कमर कस चुकी है।

 

2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे ज्यादा साख उत्तर प्रदेश में लगी है। एक तो नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सांसद हैं, साथ-साथ 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की रही है। अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो नरेंद्र मोदी की साख बढ़ेगी। अगर भाजपा का लचर प्रदर्शन रहता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चारों तरफ से दवाब बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा को सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद जैसी धुरंधर पार्टियों से भिड़ना पड़ेगा। अगर उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का महागठबंधन होता है तो भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी। क्योंकि गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के लोकसभा उपचुनाव में विपक्ष ने एकजुटता का परिचय देते हुए भाजपा को करारी शिकस्त दी। खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या) महागठबंधन के सामने अपनी-अपनी लोकसभा सीटों को भी नहीं बचा पाए। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनावों में भाजपा की हार भाजपा के लिए बड़ा सबक थी और विपक्ष के लिए आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन बनाने लिए सन्देश थी। अगर सपा और बसपा और अन्य विपक्षी दलों का उत्तर प्रदेश में गठबंधन होता है तो भाजपा को इस चक्रव्यूह को भेदना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि आम मध्यम वर्ग मोदी सरकार से नोटबंदी और जीएसटी की वजह से पहले से ही नाराज चल रहा है। कहा जाए तो सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों के लिए नोटबंदी और जीएसटी लागू करना काफी अच्छे कदम थे लेकिन मोदी सरकार नोटबंदी और जीएसटी के फायदे आम लोगों तक बताने में पूर्ण रूप से नाकाम रही है। तभी तो देश का मध्यम वर्ग मोदी सरकार से नाराज है। अभी भी नरेंद्र मोदी के लिए जनता तक अपनी योजनाओं और उसके फायदे पहुंचाने के लिए वक्त है अगर नरेंद्र मोदी अपनी इन योजनाओं के फायदे आम लोगों तक पहुंचाने में कामयाब होते हैं तो नरेंद्र मोदी के लिए 2019 का लोकसभा चुनावों का रण आसान हो जाएगा। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी कि सबसे बड़ी खूबी यही है कि वह अपने जोरदार भाषणों से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, ऐसी कला हर नेता में नहीं होती है।

 

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नरेंद्र मोदी ने देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद सम्पूर्ण भारत देश का विश्व स्तर पर मान बढ़ाया है। नरेंद्र मोदी का मन्त्र है ‘‘न किसी को आंख दिखाएंगे, न आंख झुकाएंगे’’ इसी मन्त्र के साथ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अहम स्थान है। आज पाकिस्तान जैसे देश जिसमें आतंकवाद का पोषण किया जाता है, को विश्व स्तर पर अलग-थलग करने में नरेंद्र मोदी की कूटनीति का ही अहम योगदान है। आज नरेंद्र मोदी की कूटनीति का ही कमाल है जिससे चीन जैसे बड़े देश को डोकलाम विवाद पर अपने पैर पीछे खींचने पड़े। एक समय डोकलाम विवाद को लेकर ऐसा लग रहा था कि भारत और चीन के बीच युद्ध होकर रहेगा। लेकिन चीन की तरफ से उकसाने वाले बयान आने के बाबजूद भी नरेंद्र मोदी ने संयम से इस गतिरोध का हल निकाला। जिसका नतीजा ये रहा कि चीन को डोकलाम से अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे विश्व में भारत की जय-जयकार हो रही है। आज नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व स्तर पर भारत की धूम मची है। इसके अलावा जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने है तब से देश प्रगति के रास्ते पर जा रहा है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री रहते हुए अब तक दर्जनों जनमानस से जुड़ी हुई योजनाओं को लागू कराया है, जिसका सीधा-सीधा लाभ आम जनता को हो रहा है। पहली बार नरेंद्र मोदी नीति सरकार द्वारा हमारी बहादुर सेना के नेतृत्व में पाकिस्तान में घुसकर लक्षित हमले किये गये और पाकिस्तान को सख्त सन्देश दिया गया कि हिन्दुस्तान अब पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। कश्मीर में भी अब तक भारतीय सेना द्वारा दर्जनों बड़े आतंकवादियों को मार गिराया है। कश्मीर में अलगाववादियों पर भी टेरर फंडिंग मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शिकंजा कसा हुआ है। ये वे लोग हैं जो कश्मीर घाटी में विध्वंसक गतिविधियों के लिए पाकिस्तान से धन लेते रहे हैं। 

 

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश में कई बड़े आर्थिक सुधार किये हैं जिनमें प्रमुख रूप से नोटबंदी और देश में जीएसटी का लागू होना है। एक समय ऐसा लग रहा था कि नोटबंदी का देश में बड़े पैमाने पर विरोध होगा लेकिन विपक्ष के विरोध के बाबजूद देश की आम जनता ने नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैंसले को खुशी-खुशी स्वीकार किया। नोटबंदी की वजह से ही देश में नगदीरहित लेन-देन बढ़ा है। नोटबंदी के बाद ही देश के अधिकतर लोगों में कैशलेस लेनदेन के प्रति जागरूकता आयी है। सरकार कैशलेस लेनदेन के लिए भीम एप्प भी काफी समय पहले लांच कर चुकी है, जिसने नगदीरहित लेन-देन में एक अहम् भूमिका निभाई है। आज के समय में व्यक्ति को नकद रखने कि कोई जरूरत नहीं है, आज सिर्फ आदमी के मोबाइल में भीम एप्प होना चाहिए। इसके साथ ही प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने देश में 01 जुलाई 2017 से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू कराया।

 

भारतीय संविधान में वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था को लागू करने के लिए संशोधन किया गया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश में लागू करा पाना भी मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन मोदी सरकार ने इस चुनौती का सामना करते हुये अंततः सफलता प्राप्त की। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारत की सबसे महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है। जिसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांध कर रखना है। इसके माध्यम से सम्पूर्ण देश में वस्तुओं और सेवाओं पर एकसमान कर लगाया जा रहा है। इससे देश के सभी नागरिकों और व्यापारियों को सीधा-सीधा फायदा मिल रहा है और कालाबाजारी तथा चोरी पर रोक लगाने में मदद मिल रही है। जीएसटी परिषद् ने इसमें चार तरह के कर निर्धारित किये हैं ये 5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत हैं। हालांकि सरकार ने बहुत सी चीजों को जीएसटी से छूट दी है। वार्षिक 20 लाख से कम की बिक्री वाले व्यापारियों को जीएसटी व्यवस्था से छूट दी गई है। इस कर व्यवस्था से देश में करदाताओं की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है और इसका सीधा-सीधा फायदा देश को हो रहा है। लेकिन मोदी सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को तो देश में लागू करा दिया लेकिन मोदी सरकार वस्तु एवं सेवा कर के फायदे लोगों तक पहुंचाने में नाकाम रही है। आज भी देश में बहुत सारे व्यापारी लोग (एक बहुत बड़ा वर्ग) अपने उद्योगों की मंदी के लिए जीएसटी को जिम्मेदार मानते है। सरकार इन्हीं व्यापारियों को अब तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के फायदे बताने में नाकाम रही है। सरकार की यही नाकामी नरेंद्र मोदी के लिए आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों में भारी पड़ सकती है। अगर सरकार अब भी अपने प्रचार तंत्र को मजबूत कर देश के प्रत्येक व्यापारी तक जीएसटी के खिलाफ भ्रम को दूर करने में कामयाब रहती है तो यह मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगी। इसके साथ ही सरकार जीएसटी रेट स्लैब को 5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत से बदलकर एक ही रेट स्लैब में करती है तो इसका फायदा देश की आम जनता को होगा।  

 

इसके साथ ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष (2018-19) तक देश भर में 5.5 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मिल चुका है। जो कि सरकार का बहुत बड़ा कदम है। सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लागू करने का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है और इससे इससे वायु प्रदूषण में भी कमी लाना सरकार का अहम् लक्ष्य है। इसके साथ ही इससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा और महिलाओं के स्वास्थ्य की भी सुरक्षा की जा सकती है। पहले गरीब महिलाओं को चूल्हे पर लकड़ी या उपलों द्वारा भोजन बनाना पड़ता था जिससे वायु प्रदूषण के साथ-साथ महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता था लेकिन आज देश के 5.5 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों के पास एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध है। लेकिन सरकार ने 5.5 से ज्यादा गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत मुफ्त में गैस कनेक्शन तो वितरित कर दिए हैं लेकिन एलपीजी गैस ईंधन का महंगा होना भी गरीब लोगों को गैस कनेक्शन होने के बावजूद एलपीजी गैस की पहुँच से दूर करता है। एलपीजी गैस ईंधन की बढ़ती कीमतों को कम करने के बारे में भी सरकार को आज बड़े स्तर पर विचार करने की जरूरत है तभी गरीब महिलाओं इस प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का असल रूप से पूर्णतः लाभ होगा।  

 

इसके साथ ही मोदी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत 33.61 करोड़ से ज्यादा लोगों के जीरो बैलेंस पर खाते खुलवाए गए। सरकार ने संसद के इसी शीतसत्र (2018) में एक सवाल के जवाब में बताया है कि इन जन-धन योजना खातों में जमा राशि करीब 85,913 करोड़ रुपये है। मोदी सरकार की इस योजना से देश के हर गरीब व्यक्ति पर बैंक में अपना खाता है जिसमें वह अपनी बचत को सुरक्षित रख सकता है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना भी देश में एक क्रांति की तरह है जिसका सीधा-सीधा फायदा आम गरीब को मिला। यह योजना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है। मोदी सरकार कोयला, स्पेक्ट्रम और पर्यावरण के मामलों में पूर्ण पारदर्शिता लेकर आयी है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए 2022 तक भारत के प्रत्येक नागरिक को एक छत देने का संकल्प लिया है, इसमें हर साल के हिसाब से लक्ष्य तय किये गए हैं। इसके अलावा हार्ट स्टैंट कि कीमतों में 80 प्रतिशत की कटौती की है। मोदी सरकार ने नौकरियों में रिश्वतखोरी को रोकने की लिए ग्रेड 3 और 4 की नौकरियों में इंटरव्यू को पूर्णतः खत्म कर दिया है। स्वच्छ भारत के लिए भी प्रधानमंत्री ने खुद रूचि दिखाई है और स्वच्छ भारत अभियान को एक जन-आंदोलन बना दिया है। इसके लिये स्वच्छता ही सेवा नाम से बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। जब मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी तब देश का कोई भी राज्य खुले में शौच (ओडीएफ) की समस्या से मुक्त नहीं था लेकिन आज 97.47 प्रतिशत भारतीयों के घरों में शौचालय की सुविधा है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्य रखा है कि 02 अक्टूबर 2019 राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की 150वीं जयंती तक देश को पूर्णतः खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) करना है, और सरकार अपने लक्ष्य को आज साकार करने की स्थिति में है। खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) भारत की जनता का अधिकार था जो की भारत की सरकार देश के नागरिकों को दे रही है। लेकिन देश खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) हो जाता है तो देश की साफ-सफाई और स्वच्छता (ओडीएफ प्लस) सरकार का अगला लक्ष्य होगा। देश साफ-सुथरा और स्वच्छ (ओडीएफ प्लस) तभी होगा जब ये मुहीम एक जन-आंदोलन बनेगी क्योंकि (ओडीएफ) भारत के लोगों का अधिकार है लेकिन (ओडीएफ प्लस) भारत के लोगों की जिम्मेदारी है। 

 

इसके अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत गरीबों के लिए ऋण की व्यवस्था सरकार ने की है। मोदी सरकार ने नारियों के सशक्तिकरण के लिए भी कई घोषणाएं की हैं, जिसमें उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रमुख रूप से हैं। इसके अलावा भी सरकार ने महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश 12 हफ्तों से बढाकर 26 हफ्ते किया है। इसके साथ-साथ गर्भावस्था में महिलाओं के पोषण के लिए 6000 रूपये की व्यवस्था की है। युवाओं के लिए भी सरकार स्किल इंडिया योजना के माध्यम से अवसर दे रही है, इसके माध्यम से 1 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा। इसके अलावा भी सरकार स्टार्ट अप योजना के तहत भी युवाओं को मौके दे रही है। किसानों के लिए भी सरकार ने नीम-कोटेड यूरिया की व्यवस्था की है। नीम-कोटेड यूरिया इस्तेमाल के बाद जहां एक ओर यूरिया की कालाबाजारी कम हुई है, वहीं अब यूरिया के उपयोग पर गैर कृषि कार्यों में प्रतिबन्ध लगा है। इसके साथ की किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी लागू की गयी है, इसके माध्यम से किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हुयी हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम करायेगी। इसके अलावा भी मोदी सरकार द्वारा देश में अनेकों जनहित की योजनाएं चलाई जा रहीं है जिनका सीधा-सीधा फायदा आम आदमी को हो रहा है। 

 

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी मोदी सरकार काफी काम कर रही है इसके लिए आयुष्मान भारत योजना या मोदीकेयर, सरकार की महत्वपूर्ण योजना हैं, जिसे 01 अप्रैल, 2018 को पूरे भारत मे लागू किया गया है। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। इसके अन्तर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को समोदी सरकार द्वारा 5 लाख तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है। अगर आयुष्मान भारत योजना देश में सही तरीके से क्रियान्वित होती है तो देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी क्रांति होगी। जिसका सीधा-सीधा फायदा आम गरीब आदमी को मिलेगा। मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सीधा-सीधा फायदा मिलेगा। इस तरह से देश की लगभग 50 करोड़ आबादी इस योजना का लाभ उठा सकेगी।

 

- ब्रह्मानंद राजपूत

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