By अभिनय आकाश | Dec 05, 2024
मी देंवेंद्र सरिता गंगाधर राव फडणवीस...1925 में आरएसएस का गठन हुआ था और 99 साल बाद आरएसएस के गढ़ नागपुर से निकलकर तीसरी बार देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। महाराष्ट्र देश का 14वां ऐसा राज्य बन गया जहां बीजेपी का अपना मुख्यमंत्री बना है। 38 साल की उम्र में शरद पवार ने मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। वहीं 42 साल की उम्र में 2014 में पहली बार फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने मुंबई में एक ब्लॉकबस्टर कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पांच साल बाद मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस की वापसी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजाद मैदान में समारोह में शामिल हुए। इसके अलावा एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
समुंदर लौटकर आया
देवेंद्र फडणवीस ने सदन में कहा था कि मेरा पानी उतरता देख मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं लौटकर वापस आऊंगा ! बताया जा रहा है कि जब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार बनी थी, तब फडणवीस ने यह शेर विधानसभा में पढ़ा था। गौरतलब है कि महाराष्ट्र की सियासत में पिछले पांच दशक में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपने पांच साल का कार्यकाल नहीं पूरा कर सका है।
आज के अभिमन्यु ने तोड़ा चक्रव्यूह
मैं आधुनिक युग का अभिमन्यु हूं और चक्रव्यूह तोड़ना जानता हूं। बीजेपी नेता ने कहा था कि हमने उस चक्रव्यूह को खत्म कर दिया है, जिसे हमारे खिलाफ रचा गया था। इस चुनाव में एक धर्म विशेष के ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया था, लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ। हमें सभी साधु-संतों का भी आशीर्वाद मिला और उन्होंने एक रहने का संदेश दिया। हमारे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम अजित पवार और सभी छोटे दलों ने भी मिलकर काम किया। महायुति की यह जीत है। मैं पीएम नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं, जिनके कारण यह जीत मिली है। इसके अलावा होम मिनिस्टर अमित शाह जी का भी आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने यहां समय दिया और जीत दिलाई।
कैसे मान गए शिंदे
देवेंद्र फडणवीस के नाम पर एकनाथ शिंदे आखिरकार तैयार हो ही गए। यह संयोग ही है कि ढाई साल पहले जिस राजभवन के हॉल से देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद के लिए एकनाथ शिंदे के नाम का ऐलान किया था उसी हाल से शिंदे ने फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने पर रजामंदी दी। राजनीति विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकार में शामिल होने के अलावा शिंदे के पास कोई विकल्प नहीं है। उनकी शिवसेना में मंत्री बनने वाले विधायकों की लंबी लिस्ट है। अब अपनी पार्टी के विधायकों की नाराजगी का सामना शिंदे को करना पड़ रहा है। 2014 में जिस दुविधा में ठाकरे फंसे थे, शिंदे भी उसी दुविधा में फंस गए। आखिरकार विधायकों की जिद को देखते हुए शिंदे ने सत्ता में आने का फैसला किया। वह खुद उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार हो गए।
फडणवीस की कहानी खत्म कहने वालों को मुंह की खानी पड़ी
शिवसेना में फूट पड़ने के बाद नाटकीय घटनाक्रम में जब मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे की ताजपोशी हुई। उस वक्त उद्धव ठाकरे और महाविकास अघाड़ी ने फडणवीस पर खूब ताने कसे थे। विपक्षी नेताओं के निशाने पर देवेंद्र ही रहे। उन्होंने कहा कि वो राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गए हैं। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि एक फडणवीस अकेले क्या कर सकता है। महाराष्ट्र में महायुति के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव की हार भी फडणवीस के दरवाजे पर पड़ी थी। उनके नेतृत्व में बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में शिकस्त झेल चुकी है। कई लोगों को लग रहा था कि फडणवीस की कहानी खत्म हो गई।