हिमालय की गोद में अगर दिन बिताना हैं तो ये रहा भारत का आखिरी गांव

By सुषमा तिवारी | Jun 07, 2019

हिमालय की खूबसूरती को शब्दों में कह पाना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि इस खूबसूरती को आप ज़हन में बसा सकते हैं, लेकिन शब्दों में कितना भी कह लेंगे वह सब कम पड़ जाएगा।

 

आज हम आपको सांगला वैली के सफर के बारे में बताएंगे। हिमालय की वादियों से घिरी सांगला वैली दिल्ली से 567 किलोमीटर दूर हिमाचल का आखिरी गांव कहलाता हैं। जाहिर है कि जो लोग यात्रा करते हैं उनके लिए 500-600 किलोमीटर की दूरी आम बात होती हैं लेकिन जिस 567 किलोमीटर के सफर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं ये रास्ता रोमांच से भरपूर है। जब रोड़ पर गाड़ी चलेगी तब आपके दिन से बस एक प्रार्थना निकलेगी कि भगवान इस रोड़ को जल्दी खत्म कर दे… 

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शुरूआत करते हैं दिल्ली से शिमला तक के सफर की। दूरी ज्यादा हैं इस लिए हमने साथ में गाड़ी से जाना सही नहीं समझा। राज को दिल्ली से शिमला तक के लिए कश्मीरी गेट से वॉल्वो बस पकड़ी और सुबह जब आंख खुली तो खुद को हिमाचल की वादियों में पाया। वैसे शिमला में इतना कुछ है नहीं देखने के लिए चारों तरफ केवल घर और होटल ही नजर आ रहे थे। शिमला में नाश्ता किया और संगला वैली के लिए टैक्सी बुक की क्योंकि जिस सफर की हमें दूरी तय करनी थी वो आसान नहीं था इस लिए पहाड़ी ड्राइवर का साथ होना जरूरी होता हैं। 

 

शिमला से संगला वैली की दूरी 200 किलोमीटर थी। बस समान लेकर टैक्सी में रखा और निकल पड़े… रास्ते में हर वक्त ऐसे नजारे आंखों के सामने आ रहे थे जिसे देखने के ले पलकें नहीं झपक रही थी। पहला स्टॉप हमने नारकंड़ा रुके हमें रंगबिरंगे रिबन से चमचमाते याक देखने तो मिले। हमने इस नजारे को तस्वीरों में कैद किया फिर आगे चले।

 

संगला वैली का रास्ता सच में काफी रोमांचक था पतली सी रोड़े, नीचे गहरी खाई देख कर घबराहट शुरू हो जाती थी। ऐसे में थम्सअप का डर के आगे जीत है का डायलॉग नहीं बल्कि हनुमान चालीसा याद आती है। खैर ड्राइवर ने इस रास्ते को 9 घंटे में पूरा किया अब रात हो चुकी थी संगला के खूबसूरत नजारे को देखने के लिए सुबह का इंतजार करना होगा…

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जब सुबह आंख खुली तो बस आंखें एक जगह थम सी गई संगला का घाटी की वादियों को देख कर। संगला वैली वाकई बेहद खूबसूरत हैं। जहां एक तरफ नहीं का पानी कल-कल करके बह रहा है तो दूसरी तरफ बर्फीले पहाड़ों की चोटियां आपको अपनी तरफ बुला रही है। पहाड़ों पर फैला घना जंगल भी यहां की खूबसूरती को दुगना कर रहा था। यहां आकर ऐसा लग रहा था कि बस यहीं है जिंदगी। एक पल भी आंखों को बंद करने का मन नहीं हो रहा था। ऑफिस- घर सब कुछ माइंड से कही गायब सा हो गया था। यहां मैं बस अपने आपको महसूस कर रहीं थी। खुद को ढूंढने के लिए ये काफी अच्छी जगह है। यहां ध्यान लगा कर आप अपने जीवन का लक्ष्य भी तलाश सकते हैं।

 

- सुषमा तिवारी

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