By दिनेश शुक्ल | Nov 19, 2020
भोपाल। प्रदेश की सभी अदालतों में 23 नवम्बर से प्रायोगिक तौर पर सामान्य कामकाज प्रारंभ हो रहा है। यह प्रायोगिक व्यवस्था पांच दिसम्बर तक लागू रहेगी। इसके बाद कोरोना गाइडलाइन के तहत समीक्षा की जाएगी और यदि संक्रमण फैलने का खतरा ना बढ़ा तो सामान्य कामकाज जारी रहेगा। इस संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव ने आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे वकीलों को बहुत बड़ी राहत मिली है।
जहाँ हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अर्जेंट मामलों की सुनवाई हो रही है। वही अदालती कामकाज बंद होने की वजह से वकीलों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और इस परेशानी को दूर करने के लिए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और मध्य प्रदेश बार काउंसिल के पदाधिकारियों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव से निवेदन किया था। जिस पर उन्होंने आदेश जारी करते हुए प्रदेश की सभी अदालतों में सामान्य कामकाज प्रारंभ करने के आदेश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस के आदेश के बाद अब प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई शुरू होनी वाली है। जिसमें जमानत, आपराधिक मामले, बीमा क्लेम, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के द्वारा तय की गई समय सीमा वाले मामले प्राथमिकता के आधार पर सुने जाएंगे।
इस दौरान सभी अदालतों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा और हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना जरूरी होगा। अदालतों में सामान्य कामकाज प्रारंभ होने से सभी वकीलों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि वकीलों के पास काम न होने के चलते धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही थी। ऐसे में कोर्ट को खोलने के आदेश सभी वकीलों के लिए एक राहत लेकर आया है।
पिछले दिनों जहाँ देशभर में वकीलों ने अदालत में नियमित सुनवाई शुरू करने की मांग की थी। तो इस दौरान कई जगह प्रदर्शन तक हुए थे। दीपावली के बाद एक सप्ताह के अल्टीमेटम सहित कलम बन्द हड़ताल जिसे सविनय अवज्ञा आंदोलन के नाम से प्रदेश भर में करने की योजना बनी थी। ऐसे समय में माननीय उच्च न्यायालय का आदेश राहत लेकर आया है। बहरहाल अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश में प्रयोग के तौर पर दो हफ्ते के लिए एक दिन छोड़कर एक दिन चुनिंदा प्रकरणों की सुनवाई करने का ऐलान किया है। ये व्यवस्था 23 नवंबर से 5 दिसम्बर तक चलेगी। हालांकि कौन सी कोर्ट में कितने प्रकरणों की सुनवाई की जाना है, ये हर जिले में जिला जज तय करेंगे, क्योंकि सीमित मात्रा में ही प्रकरणों की सुनवाई होगी।