By अभिनय आकाश | Oct 26, 2021
हमारे यहां चुनावों में वैसे तो विकास ही मुख्य मुद्दा होता है लेकिन जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आती है वैसे-वैसे धर्म बड़ा मुद्दा बनने लगता है। नेतागण भी धर्म स्थलों पर अधिक दिखने लगते हैं, धार्मिक प्रतीकों का प्रदर्शन करने लगते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि विकास से ज्यादा धर्म क्यों है राजनीति के नजदीक? इस विषय पर भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम की 20वीं वर्षगाँठ पर विचार संगम कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें श्रीअयोध्या नगरी स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास शामिल हुए। उन्होंने कहा कि देश में किस प्रकार से धर्म की राजनीति का हौव्वा बना कर रखा है। लगातार चाहे वो फिल्म जगत के लोग हो, खान मार्केट के लोग, टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग चाहे सेक्युलरिज्म की पाठशाला के लोग हो। सभी लोगों ने शुद्ध रूप से देश में एक हौव्वा बनाकर रखा है।
महंत राजू दास ने कहा कि एक संप्रदाय को टारगेट करने का या किसी एक धर्म-मजहब को टारगेट करने का चलन है। बॉलीवुड में देखें राम, विष्णु समेत तमाम देवी-देवताओं पर कुछ भी बनाते रहते हैं। सनातन धर्म पर कोई भी आया और बोलकर चला गया। डेनमार्क में एक कॉर्टून बनता है और पूरा विश्व जलता है। इसके साथ ही पत्रकारों की हत्या हो जाती है। कोई नहीं बोलता है। विरोधाभास देखिए लोग भगवान राम को काल्पनिक कहते हैं। भगवान राम के अस्तित्व को नकारते हैं। अगर किसी ने जय श्री राम बोल दिया। तो कहेंगे कि अरे ये तो आतंकवादी विचारधारा के लोग हैं। जय श्री राम बोलकर हमें डरा रहे हैं।
उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि कोई ऐसा धर्म बता दीजिए जो सर्वेभवन्तु सुखमय की बात करता हो। कोई ऐसा मजहब बता दीजिए जो विश्व कल्याण की भावना रखता हो। पूरे विश्व के कल्याण की भावना हम रखते हैं। जिस प्रकार से लोगों ने इस धर्म को टारगेट किया। भगवा आतंकवाद की थ्योरी दी गई। रामायण पर जिस प्रकार से आयोजन हुआ अगर किसी और मजहब का होता तो गला काट देते। फिर भी लोग क्या कहते हैं हिन्दुस्तान रहने लायक नहीं है। पूरे विश्व में एक कौम के द्वारा आतंक है लेकिन हम कभी सारे मुसलमानों को आतंकी नहीं बताते हैं।