7th Anniversary Of Surgical Strike: भारत के इतिहास का सबसे बड़ा बदला, पाकिस्तान में घुसकर जैश का जोश कैसे सेना ने किया था जमींदोज

By अभिनय आकाश | Sep 29, 2023

सुन हमला देश के ऊपर, बंदूक उठा चल देता हूं। है मौत का गम किसको, मैं खून धरा को देता हूं!

किसी भी देश की सैन्य ताकत से उसके आवाम में सुरक्षा की भावना पैदा होती है और देश की रक्षा की खातिर अपने जान की बाजी लगाना त्याग का सबसे बड़ा उदाहरण भी माना जाता है। प्राचीन धर्म ग्रंथों तक में लिखा गया है कि 'जननी, जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी बढ़कर है। दशकों से भारत अपने पश्चिमी सीमा पार से आतंकी हमले झेल रहा है। साल 2016 और आज ही की तारीख सितंबर का वो वक्त जब दुनिया भर के लोगों की नींद खुली तो टीवी पर एक ही खबर चल रही थी। भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और पराक्रम की। ये दिन भारत के इतिहास का सबसे बड़ा दिन बन गया। जब इंडियन आर्मी के जवानों ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 3 किलोमीटर अंदर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।

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18 सितंबर, 2016 के शुरुआती घंटों में चार भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार की, लगभग छह किलोमीटर तक ट्रैकिंग करने के बाद जम्मू-कश्मीर के उरी शहर में एक भारी सुरक्षा वाले सैन्य शिविर में सेंध लगाई और एक बड़ा ग्रेनेड हमला किया। आतंकियों का निशाना एक एक अस्थायी रूप से बनाए गए तेल डिपो थे। ईंधन डिपो के बगल में कैनवास टेंट थे जहां 5 बिहार के सैनिक सो रहे थे। ग्रेनेड हमले के साथ-साथ ईंधन डिपो में बड़े पैमाने पर विस्फोट हुए, जिससे तंबू नष्ट हो गए। कम से कम 14 सैनिक आग की लपटों में घिर गए। आग से बचने की कोशिश में चार और लोगों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी।सैनिकों की शहादत ने देश को झकझोड़ दिया था। दुश्मन ने भारत को जितना नुकसान पहुंचाया था। भारत के लिए भी वो जरूरी हो गया था कि उसे दोगुना नुकसान पहुंचाया जाए।   

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सर्जिकल स्ट्राइक

29 सितंबर 2016 को भारत ने घोषणा की कि उसने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के लॉन्च पैड को नष्ट करने के लिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक की है। यह हमला 16 सितंबर 2016 को पाकिस्तान स्थित और पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रायोजित जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किए गए आतंकवादी हमले के बाद किया गया था, जिसमें जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले के सीमावर्ती शहर उरी में 19 भारतीय सैनिक मारे गए थे। शून्य संपार्श्विक हानि के साथ सर्जिकल सैन्य ऑपरेशन भारतीय सेना के लिए पहली बार महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसने नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार कर लिया, एक ऐसी घटना जिसने भारत की विनम्रता की छवि को हमेशा के लिए दफन कर दिया। इस ऑपरेशन ने सैन्य वृद्धि से बचने और राजनयिक प्रतिक्रियाओं पर निर्भरता की भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति में एक बुनियादी बदलाव को चिह्नित किया। 

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