शिमला । प्रदेश सरकार समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं का विस्तार करते हुए प्रदेश सरकार ने बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांगों आदि को प्राथमिकता दी है। इसमें उन्हें मिलने वाली पेंशन की राशि बढ़ाना, आय प्रमाण पत्र की अनिवार्यता खत्म करना और आयुसीमा घटाना शामिल है।
आंकड़े बताते हैं कि विभिन्न वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर प्रदेश सरकार 2017 में करीब 436 करोड़ रुपये खर्च कर रही थी। 2021 में यह बजट बढ़कर 1037 करोड़ रुपये हो चुका है।
दरअसल, 2017 में सरकार बनते ही मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने पहली मंत्रिमण्डल बैठक में बुजुर्गों के लिए दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन उम्र को 80 से घटाकर 70 कर दिया था। साथ ही इसमें आय सीमा की शर्त भी हटा ली गई। इससे बुजुर्गों को आय प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया से निजात मिला। इसके साथ ही बुजुर्ग महिलाओं के लिए आयु सीमा में पांच वर्ष की और छूट दी गई है। अब बुजुर्ग महिलाओं को बिना आय सीमा के 65 की उम्र से पेंशन दी जा रही है। इन निर्णयों से लाखों बुजुर्ग लाभान्वित हुए।
जय राम सरकार के चार साल कार्यकाल में ही 1 लाख 95 हजार 3 नए पेंशन के आवेदन स्वीकृत हुए हैं। इन फैसलों से वृद्धजनों का आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण हो रहा है। सरकार की ओर से 60 से 69 वर्ष के बुजुर्गों को 850 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को 1500 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिल रही है। दोनों वर्गों के लिए वृद्वास्था पेंशन को मौजूदा सरकार ने क्रमशः 700 से बढ़ाकर 850 और 1250 से बढ़ाकर 1500 किया।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन के दायरे में बुजुर्गों के अलावा, विधवा, एकल नारी, परित्यक्त महिलाएं, कुष्ठ रोगी, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं। इस समय 4 लाख 15 हजार 993 बुजुर्ग, 1 लाख 25 हजार 343 विधवा, एकल नारी, निराश्रित महिलाएं, 1 हजार 482 कुष्ठ रोगी और 150 ट्रांसजेंडर सहित करीब 6 लाख 9 हजार लोगों को पेंशन दी जा रही है। 70 वर्ष से अधिक उम्र के 3 लाख 7 हजार बुजुर्ग भी लाभान्वित हो रहे हैं।
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