By अभिनय आकाश | Apr 22, 2025
पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह प्रथम लातिन अमेरिकी पोप थे, जिन्होंने अपने करिश्माई व्यक्तित्व, विनम्र स्वभाव तथा गरीबों के प्रति चिंता के साथ पूरी दुनिया में लोगों पर अमिट छाप छोड़ी। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन ने उनकी याद में सेंट पीटर्स स्क्वायर में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया। सेंट पीटर्स बेसिलिका के मुख्य पादरी कार्डिनल माउरो गैम्बेटी ने सूर्यास्त के समय प्रार्थना सभा का नेतृत्व किया। पोप फ्रांसिस की मृत्यु के बाद, वेटिकन नौ दिनों के शोक की अवधि में प्रवेश करेगा जिसे नोवेन्डियाले के नाम से जाना जाता है। यह एक प्राचीन रोमन परंपरा है, और इस दौरान, अगले पोप के चुनाव की तैयारियाँ चल रही होंगी। शोक अवधि के बाद, एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा जहाँ कार्डिनल क्राइस्ट के पादरी का चुनाव करेंगे।
भारतीय कार्डिनल कौन हैं?
एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में पोप कॉन्क्लेव में वोट देने के लिए पात्र 135 कार्डिनल्स में से चार भारत से हैं। इनमें कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ, कार्डिनल बेसिलियोस क्लेमिस, कार्डिनल एंथनी पूला और कार्डिनल जॉर्ज जैकब कूवाकड शामिल हैं।
1. कार्डिनल फिलिप नेरी एंटोनियो सेबेस्टियाओ डो रोसारियो फेराओ (72): वे गोवा और दमन (भारत) के मेट्रोपोलिटन आर्कबिशप, भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन के अध्यक्ष और एशियाई बिशप सम्मेलन के संघ के अध्यक्ष हैं।
2. कार्डिनल जॉर्ज जैकब कूवाकड (51): वे एस एंटोनियो डि पाडोवा के कार्डिनल-डीकन हैं जो कि सिर्कोनवलाजियोन अप्पिया और अंतरधार्मिक वार्ता के लिए डिकास्टरी के प्रीफेक्ट हैं।
3. कार्डिनल बेसिलियोस क्लेमिस थोट्टुंकल: वे सिरो-मलंकरा (भारत) के त्रिवेंद्रम के प्रमुख आर्कबिशप और सिरो-मलंकरा चर्च की धर्मसभा के अध्यक्ष हैं।
4. कार्डिनल एंथनी पूला (63): वे हैदराबाद (भारत) के मेट्रोपोलिटन आर्कबिशप हैं।
कैथोलिक चर्च के प्रमुख को चुनने की प्रक्रिया
पोप के निधन के साथ ही सदियों पुरानी रस्म शुरू हो गई है, जिसमें उनके उत्तराधिकारी को चुनने के लिए कार्डिनल शपथ लेंगे, मतपत्रों की गिनती के बाद इन्हें धागा लगी सुई से छेदा जाता है और फिर उन्हें जलाकर सफेद या काला धुआं निकाला जाता है। इस रस्म का उद्देश्य यह संकेत देना होता है कि विश्व के 1.3 अरब कैथोलिकों के लिए अब एक नया नेतृत्व आ गया है। चुनाव में पूरी गोपनीयता बरती जाती है। मतदान सिस्टिन चैपल के अंदर होता है। सेंट जॉन पॉल द्वितीय ने 1996 के एक दस्तावेज में पोप के चुनाव के नियमों को फिर से लिखा जो अभी भी काफी हद तक लागू है, हालांकि पोप बेनेडिक्ट16वें ने पद से इस्तीफा देने से पहले दो बार इसमें संशोधन किया था।