अमेरिका छोड़ बच्चों ने मां को इलाज के लिए भेजा भारत, 26 घंटे की फ्लाइट और 1 करोड़ खर्चा कर अब अपोलो में चल रहा इलाज

By निधि अविनाश | Jul 20, 2022

भारत इस समय हर सेक्टर पर बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है चाहे वह हेल्थ सेक्टर हो या टूरिज्म सेक्टर। पहले लोगों को जब बड़ी बीमारी होती थी तो वह अपना इलाज कराने बाहर विदेश जाते थे। लेकिन अब इसका उल्टा हो रहा है जिसक उदाहरण आज हम आपके सामने रख रहे है। बता दें कि अमेरिका से लोग अपना इलाज कराने के लिए अब भारत आ रही हैं। मगंलवार को बेंगलुरु की 67 साल की महिला अमेरिका के पोर्टलैंड से चेन्‍नई पहुंचीं है। बताया जा रहा है कि महिला को दिल की गंभीर बीमारी हो रखी है। महिला को एयर एंबुलेंस फ्लाइट के जरिए अमेरिका से भारत लाया गया। वह 26 घंटे के अंदर भारत पहुंची। इसे सबसे लंबा एरोमेडिकल इवैकुएशन बताया जा रहा है। बता दें कि महिला के बच्चों को अमेरिका के डॉक्टर पर भरोसा नहीं था और वह इलास से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं थए। 1 करोड़ रुपये खर्च करके बच्चों ने मां को भारत भेजा। 

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ऐसा अक्सर होता है कि जो लोग महंगा इलाज करा सकते है वो भारत से अमेरिका या यूरोप जाते रहते हैं। विदेशो में अच्छी सुविधाएं होती है लेकिन अगर किसी को भी सस्ता इलाज कराना है तो वह भारत में भी आ सकते हैं। बता दें कि हेल्थ सेक्टर में भारत काफी उभरा है और विदेशों से बड़ी संख्या में लोग अब भारत में अपना इलाज कराने आ रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक महिला को अमेरिका से भारत लाने में लगभग 1,33,000 डॉलर का खर्च आया है। अब महिला की हार्ट सर्जरी की तैयारी चल रही है। मरीज  इंदिरानगर की रहने वाली है और वह ओरेगॉन में पिछले कुछ सालों से बच्‍चों के साथ रह रही थीं।

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एयर एंबुलेंस सर्विस फर्म आईसीएटीटी की सह-संस्‍थापक और डायरेक्‍टर डॉ शालिनी नलवाड़ ने बताया कि महिला के परिवार को अमेरिका के हेल्‍थ सर्विसेज से सतुंष्टि नहीं मिल पा रही थी जिसको देखते हुए महिला को लीगेसी गुड समैरिटन मेडिकल सेंटर से पोर्टलैंड इंटरनेशनल एयरपोर्ट शिफ्ट किया गया। यहां मरीज को सुपर मिडसाइज प्राइवेट जेट चैलेंजर 605 में रखा गया। इसे फ्लाइंग इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) बनाया गया।आईसीएटीटी के सह-संस्‍थापक डॉ राहुल सिंह ने बताया कि इस फ्लाइंग आईसीयू में तीन डॉक्‍टर और दो पैरामेडिक की टीम थी। ये लगातार मरीज की निगरानी कर रहे थे।जानकारी के लि बता दें कि महिला को अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। डॉ शालिनी नलवाड़ ने बताया कि अमेरिका में ट्रीटमेंट पीरियड लंबा और खर्चीला था। भारत में महिला को लाने के मुकाबले इसमें ज्‍यादा खर्च आता। 

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