By अंकित सिंह | Apr 25, 2024
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष और गांधी नेहरू परिवार के बेहद करीबी सैम पित्रोदा ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बयान देकर कांग्रेस को मुश्किलों में डाल दिया है। सैम पित्रोदा राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे हैं। उन्हें भारत में डिजिटल क्रांति का प्रणेता भी कहा जाता है। कांग्रेस के लिए कई बड़े पद संभाल चुके सैम पित्रोदा पहली बार चर्चा में नहीं है। इससे पहले भी वह कई बार अपने बयानों को लेकर चर्चा में आ चुके हैं।
बुधवार को उन्होंने एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी विरासत कानूनों पर सैम पित्रोदा ने टिप्पणी की। पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में विरासत कर लगता है। अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है और जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो इसमें से केवल 45 फीसदी उसके बच्चों को मिल सकता है। शेष 55 प्रतिशत संपत्ति सरकार के पास चली जाती है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘ भारत में ऐसा कानून नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता...लोगों को इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करनी होगी। मुझे नहीं पता कि अंत में निष्कर्ष क्या होगा, लेकिन जब हम धन के पुनर्वितरण के बारे में बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं जो लोगों के हित में हैं, न कि केवल अति-अमीरों के हित में हैं।
बुधवार को, जैसे ही पित्रोदा की टिप्पणी सार्वजनिक हुई, पीएम और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर अपना हमला तेज करने के लिए उन पर हमला बोल दिया। पीएम मोदी ने कहा कि अब कांग्रेस का कहना है कि वो विरासत कर लगाएगी, माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी। आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हैं, वो आपके बच्चों को नहीं मिलेगी। कांग्रेस का पंजा वो भी आपसे लूट लेगा। कांग्रेस का मंत्र है- कांग्रेस की लूट... जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज सैम पित्रोदा के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी पूरी तरह बेनकाब हो गई है। इस बयान ने कांग्रेस का मकसद स्पष्ट कर दिया है कि वे देश की जनता की संपत्ति का सर्वे कर उनकी निजी संपत्ति को सरकारी खजाने में डालकर UPA के शासनकाल में उन्होंने जो प्राथमिकता तय की थी कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों और उसमें भी मुसलमानों का है, उनमें बांटना चाहते हैं।
कांग्रेस ने सैम पित्रोदा के बयान से दूरी बनाते हुए कहा कि उनकी बातों को सनसनीखेज बनाकर पेश किया जा रहा है ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘दुर्भावनापूर्ण और नफरत से भरे’ चुनाव अभियान से ध्यान भटकाया जा सके। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा पित्रोदा जी उन मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखते हैं जिनके बारे में वह बोलना ज़रूरी समझते हैं। लोकतंत्र में एक व्यक्ति अपनी बात रखने, चर्चा करने और व्यक्तिगत विचारों को लेकर बहस करने के लिए निश्चित रूप से स्वतंत्र भी होता है।’’ रमेश के मुताबिक, इसका मतलब यह नहीं है कि पित्रोदा जी के विचार हमेशा कांग्रेस के रुख को दर्शाते हैं।
लेकिन हाल के वर्षों में पित्रोदा द्वारा खड़ा किया गया यह पहला विवाद नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, पित्रोदा ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा था कि मध्यम वर्ग को सभी गरीब परिवारों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी के लिए अधिक कर देने के लिए तैयार रहना चाहिए, और उनसे "स्वार्थी" न होने के लिए कहा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम को बाद में स्पष्ट करना पड़ा कि अगर कांग्रेस सत्ता में लौटी तो मध्यम वर्ग पर कोई अतिरिक्त कर का बोझ नहीं पड़ेगा। तब बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले और आतंकवाद का मुकाबला करने पर उनकी टिप्पणियों पर भाजपा ने तीखे हमले किए थे। पित्रोदा ने कहा था कि हमला मुंबई में भी हुआ। हम तब प्रतिक्रिया दे सकते थे और अपने विमान भेज सकते थे। लेकिन यह सही दृष्टिकोण नहीं है. आठ लोग (26/11 आतंकवादी) आते हैं और कुछ करते हैं, आप पूरे देश (पाकिस्तान) पर नहीं कूदते। यह मान लेना मूर्खतापूर्ण है कि सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों ने यहां आकर हमला किया, उस देश के प्रत्येक नागरिक को दोषी ठहराया जाएगा।
2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, जब भाजपा ने दावा किया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए “निर्देश” राजीव गांधी से आए थे, तो पित्रोदा ने आरोप से इनकार किया लेकिन कहा कि अब 1984 के बारे में क्या कहना है? पिछले 5 वर्षों में आपने क्या किया इसके बारे में बात करें। 1984 में जो हुआ वह हो गया। लेकिन आपने क्या हासिल किया है? बाद में पित्रोदा ने माफी मांगी और कांग्रेस ने स्पष्टीकरण जारी किया। जून 2023 में पित्रोदा ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी की मौजूदगी में कहा था, ''हमारे सामने बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या है। इन चीजों के बारे में कोई बात नहीं करता. लेकिन हर कोई राम, हनुमान और मंदिर की बात करता है। मैंने कहा है कि मंदिर नौकरियां पैदा नहीं करने जा रहे हैं।”
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष पित्रोदा ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर राम मंदिर पर ध्यान केंद्रित करना उन्हें "परेशान" करता है। यह बयान 22 जनवरी को राम मंदिर के निर्धारित उद्घाटन से कुछ दिन पहले आया है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्ति स्थापित करने की उम्मीद है। पित्रोदा ने आगामी 2024 लोकसभा चुनावों और राजनीति में धर्म पर अत्यधिक जोर के बारे में अपनी आशंकाएं व्यक्त कीं।
इस साल की शुरुआत में, पित्रोदा ने पोस्ट को हटाने से पहले एक्स पर भाजपा के करीबी स्तंभकार सुधींद्र कुलकर्णी का एक लेख साझा किया था, जिसमें भारतीय संविधान के निर्माण का श्रेय बीआर अंबेडकर को नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था। भाजपा ने तब कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उस पर अंबेडकर की विरासत को कमजोर करने का आरोप लगाया था।