31 हजार फीट की ऊंचाई पर ब्लास्ट, 331 लोगों ने गंवाई जान, Air India के इतिहास की सबसे खौफनाक घटना और रिपुदमन सिंह मलिक का नाम इससे कैसे जुड़ा

By अभिनय आकाश | Jul 15, 2022

एअर इंडिया कनिष्क आतंकवादी बम विस्फोट मामले में बरी किए गए 75 साल के सिख रिपुदमन सिंह मलिक की 14 जुलाई को कनाडा में में गोली मारकर हत्या कर दी गई। 2005 में कनाडा की एक अदालत ने 1985 में एयर इंडिया के एक जेट पर बमबारी के आरोपों से बरी कर दिया था, जिसमें 329 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए थे। मलिक के साथ दो अन्य लोगों पर आरोप लगाया गया था, जिनमें से एक को झूठी गवाही का दोषी ठहराया गया था। इंद्रजीत सिंह रेयात 2 नामक वो व्यक्ति 2016 में जेल से रिहा हुआ था। दूसरा व्यक्ति, अजैब सिंह बागरी, मलिक की तरह, बरी कर दिया गया था। आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों में ज्यादातर कनाडाई थे।

क्या है कनिष्क बम विस्फोट कांड?

वैंकूवर के हवाई अड्डे पर एक विमान में सूटकेस में बम ले जाया गया था, जिसे फिर टोरंटो में एअर इंडिया विमान-182 में पहुंचाया गया। विमान 23 जून, 1985 को आयरलैंड तट पर अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 24 भारतीयों सहित 329 लोग मारे गए थे। एक अन्य बम को भी एअर इंडिया के जापान जाने वाले विमान में लगाए जाने का षड्यंत्र रचा गया था, लेकिन वह तोक्यो के नरिता हवई अड्डे पर फट गया था। इसमें दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी। 

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हमलों के लिए कौन जिम्मेदार था?

कनाडा और भारतीय जांच ने निष्कर्ष निकाला कि बम विस्फोटों की योजना बनाई गई और उन्हें कनाडा में स्थित सिख अलगाववादियों द्वारा अंजाम दिया गया, जो पंजाब में सक्रिय उग्रवादियों के निर्देशों के तहत काम कर रहे थे। जांचकर्ताओं ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए आतंकवादी समूह बब्बर खालसा द्वारा बम विस्फोट किए गए थे। ‘एअर इंडिया’ बम विस्फोट मामले में केवल इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया था और उसने 30 साल जेल में भी बिताए। वह 2016 में रिहा गया था। इस हमले के पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि 1984 में स्वर्ण मंदिर में कट्टरपंथियों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई का बदला लेने के उन्होंने यह हमला किया।

रिपुदमन सिंह मलिक कहाँ आया था?

जांच तीन मुख्य आरोपियों के इर्द-गिर्द घूमती रही: रिपुदमन सिंह मलिक, इंद्रजीत सिंह रेयात और अजैब सिंह बागरी, ये सभी कनाडा के नागरिक थे। मलिक, जो गुरुवार को मारे गए थे, 75 वर्ष के थे, 1972 में एक युवा के रूप में कनाडा गए थे। उन्होंने कैब चलाना शुरू कर दिया था, लेकिन बाद में एक सफल व्यवसायी और सिख समुदाय के एक प्रमुख सदस्य बन गए थे। वो 16,000 सदस्यीय वैंकूवर स्थित खालसा क्रेडिट यूनियन (केसीयू) के अध्यक्ष थे, जिसकी संपत्ति 110 मिलियन डॉलर से अधिक थी। मलिक कथित तौर पर बब्बर खालसा से जुड़ा था, और कनिष्क बम विस्फोटों के कथित मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार का करीबी था, जिसे 1992 में पंजाब पुलिस ने मार दिया था। परमार के दो रिश्तेदार मलिक के एक स्कूल में काम करते थे। मलिक और बागरी दोनों को अक्टूबर 2000 में वैंकूवर में गिरफ्तार किया गया था। 

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तो क्या मलिक और बागरी को दोषी ठहराया गया?

नहीं, उन्हें बरी कर दिया गया। रेयात ने कहा कि उन्हें न तो बमबारी की साजिश का विवरण याद है और न ही इसमें शामिल लोगों के नाम। 2010 में, रेयात को झूठी गवाही के लिए नौ साल की सजा दी गई थी।


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