Matrubhoomi: 1900 से 2022: भारत का ओलंपिक इतिहास, अब तक कितने मेडल, कब मिला था पहला पदक?

By अभिनय आकाश | Mar 23, 2022

पहला आधुनिक ओलंपिक 1896 में एथेंस में आयोजित किया गया था और ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में अपना पहला प्रतिनिधित्व देखने के लिए भारत को केवल चार साल लगे। भारत के लिए 1900 में शुरू हुआ जब उन्होंने एकमात्र एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड को पेरिस भेजा, जहां उन्होंने पुरुषों की 200 मीटर और पुरुषों की 200 मीटर बाधा दौड़ में दो पदक जीते।  भारत ने तब से हर ग्रीष्मकालीन खेलों में भाग लिया है, 1920 में अपनी पहली ओलंपिक टीम भेजी, जिसमें चार एथलीट और दो पहलवान शामिल थे। जिसके बाद भारतीय हॉकी टीम का वर्चस्व शुरू हुआ। 1928 के ओलंपिक में न केवल भारतीय टीम ने भाग लिया बल्कि हॉकी में गोल्ड मेडल भी जीता। दिलचस्प बात ये है कि तब भारत की हॉकी टीम ने कुल पांच मुकाबलों में 29 गोल दागे जबकि किसी भी देश की प्रतिद्ववंदी टीम बॉल को भारत के गोल पोस्ट में डाल ही नहीं पाई।

आजादी से पहले: हॉकी में गोल्ड

स्वतंत्रता पूर्व भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से 1936 तक ओलंपिक में अपना दबदबा बनाया और अभूतपूर्व तीन खिताब जीते। 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में, भारत ने ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड को हराकर फाइनल में नीदरलैंड को 3-0 से हराकर अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। 1932 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत ने यूएसए को 24-1 से हराया, जो ओलंपिक इतिहास में जीत का सबसे बड़ा अंतर था। 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक फाइनल में उन्होंने जर्मनी को 8-1 से हराया, जो ओलंपिक फाइनल में जीत का सबसे बड़ा अंतर था।

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स्वतंत्रता के बाद हॉकी: आठ पदक, पांच स्वर्ण

1948 से स्वतंत्र भारत ने विभिन्न खेल संघों द्वारा चुने गए 50 से अधिक एथलीटों के प्रतिनिधिमंडल को भेजना शुरू किया। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शेफ-डी-मिशन कर रहा था। भारतीय फील्ड हॉकी टीम ने फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को हराकर 1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता। यह एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक था। उन्होंने 1956 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में फाइनल में पाकिस्तान को हराकर लगातार छठा खिताब जीतकर अपना दबदबा जारी रखा। 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में फील्ड हॉकी टीम फाइनल हार गई और उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा। हालांकि टीम ने 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में स्वर्ण जीतकर वापसी की, भारत ने अगले दो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। 1976 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत 1928 के बाद पहली बार खाली हाथ घर गया।

पहला व्यक्तिगत पदक: हेलसिंकी 1952

खाशाबा दादासाहेब जाधव ने इतिहास रच दिया, हेलसिंकी ओलंपिक में एक व्यक्तिगत खेल में ओलंपिक पदक (कांस्य) जीतने वाले पहले भारतीय बन गए।  1952 के ओलंपिक के लिए टीम में खुद को नजरअंदाज किए जाने पर उन्होंने पटियाला के महाराजा को लिखा। पटियाला के महाराजा को कुश्ती का संरक्षक माना जाता था और टीम के चयन में उनकी भी भूमिका रहती थी। जिसके बाद जाधव के लिए देश के लिए इतिहास रचने का मार्ग प्रशस्त हो सका। हेलसिंकी आखिरी ओलंपिक था जिसमें उन्होंने भाग लिया। 1955 में जाधव महाराष्ट्र पुलिस में उप-निरीक्षक के रूप में शामिल हुए। उन्होंने अगले ओलंपिक पर अपनी नजरें जमा ली थीं लेकिन घुटने की गंभीर चोट की वजह से उसमें हिस्सा नहीं ले सके। पुलिस खेलों में मुकाबलों में जीत हासिल करने और खेल में कई पुलिस को प्रशिक्षण देने के बावजूद कुश्ती में हार नहीं मानी। 1984 में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

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टेनिस में पहला और एकमात्र पदक: अटलांटा 1996

हॉकी के प्रति लोगों के जुनूनी दौर में टेनिस के प्रति लोगों का ध्यान भारत के टेनिस स्टार लिएंडर पेस ने आकर्षित किया। पेस अटलांटा ओलंपिक में पुरुष एकल स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंचे। पेस सेमीफाइनल में आंद्रे अगासी के खिलाफ 7-6, 6-3 के स्कोर से हार गए थे। लगातार तीन ओलंपिक से पदक रहित वापसी करने के बाद भारत के लिए पदक एक बड़ी उपलब्धि थी।

पदक जीतने वाली पहली महिला: सिडनी 2000

ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक की 69 किग्रा महिला वर्ग भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता। उन्होंने अपने इवेंट के दौरान कुल 240 किलो वजन उठाया।

निशानेबाजी में पहला पदक: एथेंस 2004

राज्यवर्धन सिंह राठौर पहले भारतीय सेना में देश की सेवा की, फिर ओलंपिक में निशानेबाज के रूप में देश के लिए खेले और फिर खेल मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार के साथ कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया। राज्यवर्धन सिंह ने साल 2004 के एथेंस ओलिंपिक खेलों में देश के लिए पहला व्यक्तिगत सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचा था। ओलिंपिक के इतिहास में पहली बार किसी खिलाड़ी को सिल्वर मेडल हासिल हुआ था।

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पहला व्यक्तिगत स्वर्ण: बीजिंग 2008

साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने केवल 26 साल की उम्र में बीजिंग ओलिंपिक में देश को 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल जीता था। अभिनव देश के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी बन गए जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से गोल्ड मेडल जीता है। बीजिंग ओलंपिक में भारत ने एकमात्र पदक नहीं जीता था बल्कि देश मुक्केबाजी और कुश्ती में दो और पदकों के साथ लौटा था।

अब तक के सर्वाधिक पदक: लंदन 2012

2012 में लंदन ओलंपिक भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक प्रदर्शन रहा है, जिसमें कुल छह पदक हैं, जिसने पिछले खेलों के देश के रिकॉर्ड को दोगुना कर दिया है। यह भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था क्योंकि शटलर साइना नेहवाल और मुक्केबाज मैरी कॉम ने लंदन में अपने-अपने खेलों में कांस्य पदक जीता था।

पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान: रियो 2016

पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान खेल में, साक्षी मलिक महिला फ्रीस्टाइल 58 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक के साथ ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। साक्षी मलिक की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि 58 किग्रा भारवर्ग में रियो 2016 ओलंपिक में जीता गया ओलंपिक कांस्य पदक ही है।

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास

नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने। उन्होंने 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाल दिया। नीरज ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर, दूसरे में 87.58 और तीसरे प्रयास में 76.79 मीटर जैवलिन फेंका।

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