By नीरज कुमार दुबे | Nov 10, 2021
अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत की ओर से आयोजित आठ देशों की बैठक में एनएसए अजित डोभाल ने स्पष्ट कर दिया है कि पड़ोसी देश के घटनाक्रम पर भारत की पूरी नजर बनी हुई है। इस बैठक के बारे में आज की रिपोर्ट में आपको पूरा अपडेट देंगे साथ ही बताएंगे कितने देशों ने अब तक भारत के कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र को मान्यता दी है। इसके साथ ही बात करेंगे आंदोलनकारी किसान नेताओं की नई घोषणा की ओर बताएंगे पद से हटाये जाने की अटकलों पर क्या बोले हैं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर। इसके अलावा बात करेंगे मलाला यूसुफजई के विवाह की खबर की।
नमस्कार। न्यूजरूम में आप सभी का स्वागत है। अफगानिस्तान पर आठ देशों की दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में एनएसए अजीत डोभाल ने कहा है कि हम सभी अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर गहरी नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हो रहे घटनाक्रम के न केवल उस देश के लोगों के लिए बल्कि उसके पड़ोसियों और क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। एनएसए डोभाल ने कहा कि यह समय, अफगानिस्तान पर हमारे करीबी विचार-विमर्श, अधिक सहयोग और समन्वय का है। एनएसए डोभाल ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हमारे बीच विचार-विमर्श अफगान लोगों की मदद करने और हमारी सामूहिक सुरक्षा को बढ़ाने में योगदान देगा।
हम आपको बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के पूर्ण नियंत्रण के बाद वहां से बढ़ रहे आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरों से निपटने के लिए ठोस सहयोग पर समान विचार बनाने के लक्ष्य से भारत इस वार्ता की मेजबानी कर रहा है। उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में रूस, ईरान, कजाख्स्तान, किर्जिज्तान और तुर्कमेनिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। इस वार्ता में हिस्सा लेने के लिए चीन को भी न्योता भेजा गया था लेकिन उसने पहले ही पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए शामिल होने से असमर्थता जतायी है। पाकिस्तान भी इस वार्ता में शामिल नहीं हो रहा है। देखा जाये तो भारत की ओर से अफगानिस्तान के मुद्दे पर आयोजित की जा रही सुरक्षा वार्ता में शामिल नहीं होने का निर्णय करके चीन ने पाकिस्तान के पिछलगग्गू होने जैसा व्यवहार किया है। चीन और पाकिस्तान तो चाहते भी हैं कि भारत के प्रयास रंग नहीं लाएं लेकिन दुनिया देख रही है कि अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता तथा समूचे क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए भारत अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रहा है।
इस वार्ता से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और ताजिकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान के उनके समकक्षों ने मंगलवार को भी बातचीत की थी और कहा था कि अफगानिस्तान की नयी सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने से पहले देश के भीतर स्वयं को वैध बनाने का प्रयास करना चाहिए। डोभाल ने उज्बेकिस्तान के सुरक्षा काउंसिल के सचिव विक्टर मख्मुदोव और ताजिकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव नसरुल्लो रहमतजोन महमूदजोदा के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता की थी जिसमें अफगानिस्तान के घटनाक्रम, अफगान धरती से आतंकवाद के संभावित खतरे और युद्ध से जर्जर देश में मानवीय संकट मुख्य मुद्दा रहा।
96 देशों ने भारत के कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र को मान्यता दी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने जानकारी दी है कि 96 देशों ने भारत के साथ कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र को परस्पर मान्यता देने पर सहमति जताई है। मांडविया ने एक बयान में कहा कि भारत सरकार दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ संपर्क में है ताकि दुनिया के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के लाभार्थियों को स्वीकृति और मान्यता मिल सके ताकि वे शिक्षा, व्यवसाय और पर्यटन उद्देश्यों के लिए आसानी से यात्रा कर सकें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'वर्तमान में 96 देशों ने टीकाकरण प्रमाणपत्रों की परस्पर मान्यता के लिए सहमति व्यक्त की है।' मंत्रालय ने कहा कि इन देशों से लगातार यात्रा करने वाले लोगों को 20 अक्टूबर, 2021 को अंतरराष्ट्रीय आगमन के मद्देनजर जारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार कुछ छूट प्रदान की गई है। मंत्रालय के मुताबिक, जो लोग विदेश यात्रा करना चाहते हैं, वे अंतरराष्ट्रीय यात्रा टीकाकरण प्रमाणपत्र को-विन पोर्टल से भी डाउनलोड कर सकते हैं। जिन 96 देशों ने टीकाकरण प्रमाणपत्रों की परस्पर मान्यता के लिए सहमति व्यक्त की है, उनमें कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, आयरलैंड, नीदरलैंड, स्पेन, बांग्लादेश, फिनलैंड, माली, घाना, सिएरा लियोन, नाइजीरिया, सर्बिया, पोलैंड, स्लोवाक रिपब्लिक, क्रोएशिया, बुल्गारिया, तुर्की, चेक गणराज्य, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रिया, रूस, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कतर आदि देश शामिल हैं।
आंदोलनकारी किसानों का नया ऐलान
अब बात करते हैं दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन की। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का एक साल पूरे होने के मौके पर 500 किसान हर दिन 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च में हिस्सा लेंगे। उल्लेखनीय है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल 26 नवंबर से नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। चालीस किसान संघों के संगठन एसकेएम ने एक बैठक के बाद ट्रैक्टर मार्च की घोषणा की। संगठन ने एक बयान में कहा कि आंदोलन के एक साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर और इसके बाद देशभर में आंदोलन को ‘‘व्यापक रूप से’’ धार दी जाएगी। बयान में कहा गया, "एसकेएम ने फैसला किया है कि 29 नवंबर से इस संसद सत्र के अंत तक, 500 चुनिंदा किसान स्वयंसेवक राष्ट्रीय राजधानी में विरोध करने के अपने अधिकार के तहत शांतिपूर्वक और पूरे अनुशासन के साथ ट्रैक्टर ट्रॉली में हर दिन संसद तक जाएंगे।"
बयान में कहा गया कि यह केंद्र सरकार पर "दबाव बढ़ाने" के लिए तथा "उसे उन मांगों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने के वास्ते किया जाएगा, जिनके लिए देशभर के किसानों ने एक ऐतिहासिक संघर्ष शुरू किया है। इससे पहले मार्च में भी किसानों ने विवादित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए संसद तक पैदल मार्च निकाला था। हम आपको याद दिला दें कि इस साल 26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़ दिए थे और सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया तथा लालकिला परिसर में घुसकर वहां एक धार्मिक झंडा लगा दिया था। एसकेएम के बयान में कहा गया है कि 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली की सभी सीमाओं पर भारी भीड़ जुटेगी।
बयान में कहा गया है, “एसकेएम में शामिल सभी किसान यूनियन इस अवसर के लिए बड़ी संख्या में किसानों को लाएंगी। उस दिन वहां (सीमाओं पर) विशाल जनसभाएं होंगी। इस संघर्ष में अब तक शहीद हुए 650 से अधिक लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।’’ एसकेएम ने 26 नवंबर को राज्यों की राजधानियों में बड़े पैमाने पर महापंचायतों का भी आह्वान किया है। किसान नेता और राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के प्रतिनिधि अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि संसद जाने के रास्ते में दिल्ली पुलिस जहां भी रोकेगी, किसान वहीं धरने पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि मार्ग को अंतिम रूप देने और ट्रैक्टर मार्च के लिए पुलिस की अनुमति के बारे में कोई भी निर्णय बाद में लिया जाएगा।
क्या जायेगी हिमाचल के मुख्यमंत्री की कुर्सी?
दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में अटकलें हैं कि सरकार में नेतृत्व परिवर्तन किया जायेगा। दरअसल हाल में लोकसभा और विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद से कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री को बदला जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जबसे मैंने पद संभाला है तबसे इस तरह की बातें कही जा रही हैं लेकिन अब उपचुनाव परिणामों के बाद इस तरह की बातें ज्यादा कही जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि किसी पार्टी की सरकार रहते हुए वह उपचुनाव हार गयी हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व सबके कामकाज की समीक्षा करता है और जो भी फैसला होगा वह सभी को स्वीकार्य होगा।
विवाह बंधन में बंधीं मलाला
उधर, नोबेल पुरस्कार विजेता और लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने वाली मलाला यूसुफजई विवाह बंधन में बंध गई हैं। उन्होंने ट्वीट करके यह जानकारी दी। मलाला यूसुफजई ने ट्वीट किया, ‘‘आज मेरी जिंदगी का बेहद अनमोल दिन है। मैं और असर जीवनभर के साथी बन गए हैं। हमने अपने परिवारों की मौजूदगी में बर्मिंघम में निकाह किया। हमें आशीर्वाद दीजिए। हम आगे का रास्ता साथ मिलकर तय करने के लिए उत्साहित हैं।’’ उन्होंने असर मलिक और परिवार के साथ निकाह की कुछ तस्वीरें भी ट्विटर पर साझा कीं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता यूसुफजई को लड़कियों की शिक्षा के लिए बिना किसी खौफ के आवाज उठाने के लिए स्वात घाटी में 2012 में तालिबानी आतंकवादियों ने उस वक्त गोलियां मारी थीं, जब वह स्कूल से घर लौट रही थीं। बेहतर इलाज के लिए यूसुफजई को इंग्लैंड के शहर बर्मिंघम लाया गया था। ठीक होने के बाद यूसुफजई ने फिर से स्कूल जाना शुरू किया और जून 2020 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड से स्नातक किया। इस दौरान भी वह लड़कियों की शिक्षा और उनकी बेहतरी के लिए आवाज उठाती रहीं। मलाला यूसुफजई के विवाह की जानकारी मिलने पर लोग उन्हें बधाई और शुभकामना संदेश भेज रहे हैं।