उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई ''की एंड का''

By प्रीटी | Apr 04, 2016

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'की एंड का' एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है। हालांकि फिल्म के प्रदर्शन से पूर्व दर्शकों ने जैसी अपेक्षा की थी उस पर तो फिल्म खरी नहीं उतर पाई है लेकिन एक ठीकठाक टाइमपास जरूर है। आम तौर पर अलग तरह के विषयों को मुख्यधारा की फिल्मों में पिरोने वाले लेखक-निर्देशक आर. बाल्की की चौथी फिल्म ‘की एंड का’ में पहली बार अर्जुन कपूर और करीना कपूर की जोड़ी दिखाई दी है। बाल्की इससे पहले अमिताभ बच्चन को लेकर 'पा', 'चीनी कम' और 'शमिताभ' बना चुके हैं।

 

फिल्म में एक बड़े रियल स्टेट कारोबारी के बेटे (अर्जुन कपूर) की कहानी है जो अपना पैतृक कामकाज करने की बजाय घर की देखभाल करने वाला पति बनना चाहता है, वहीं दूसरी ओर उसकी पत्नी (करीना कपूर खान) कॉरपोरेट जगत का बड़ा नाम बनना चाहती है। फिल्म की कहानी थोड़ी हट के है लेकिन पटकथा में कसावट का नहीं होना और सही तरीके से उसे पर्दे पर पेश नहीं करना इसे काफी हल्का बना देता है।

 

‘की एंड का’ में जो एक बात अच्छी है वह यह कि फिल्म की कहानी में भटकाव कहीं नहीं है और यह एक ही धारा में आगे बढ़ती है। लेकिन बाल्की इस फिल्म में वैवाहिक जीवन से जुड़ी जिम्मेदारियों और अधिकारों को जिस हल्के अंदाज में उठाते हैं उससे यह फिल्म पति-पत्नी के किरदारों की आपस में अदला-बदली भर रह जाती है। हालांकि दोनों किरदारों की कहानी एक साथ सहज चलती रहती है लेकिन दोनों के रिश्ते में असली अड़चन तब पैदा होती है जब अर्जुन कपूर लैंगिक समानता पर वक्तव्य देने वाली एक मशहूर हस्ती बन जाते हैं। भारतीय सामाजिक परिदृश्य में इस तरह के विचार को फिल्म में पेश करने के लिए बाल्की के प्रयास की सराहना करनी चाहिए लेकिन वह इस कहानी को एक सम्मानजनक अंत तक नहीं ले जा पाते। फिल्म की पटकथा कमजोर है इसलिए अंत तक आते आते इस कहानी का पटाक्षेप हो जाता है।

 

अभिनय के मामले में अर्जुन और करीना दोनों ने अच्छा अभिनय किया है। अमिताभ बच्चन और जया बच्चन इस फिल्म में अपने ही किरदार निभाते हैं और फिल्म को थोड़ी गति प्रदान करते हैं। ‘की एंड का’ तकनीक की दृष्टि से एक बेहतरीन फिल्म है। फिल्म उन ऊंचाइयों को नहीं छू पाती जिसकी बाल्की से उम्मीद की जाती है लेकिन इसे एक बार देखा जा सकता है। फिल्म के गाने आजकल काफी सुने जा रहे हैं।

 

कलाकार- अर्जुन कपूर, करीना कपूर खान, रजित कपूर, स्वरूप संपत और निर्देशक- आर. बाल्की।

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