राहुल गांधी ने देश के खिलाफ कुछ कहा है तो सरकार देशद्रोह का मामला क्यों नहीं दर्ज कराती?
संसद में जो हुआ उसे पुरी दुनिया ने देखा। सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार राहुल के बयान को इतना गंभीर मानती है तो उनके खिलाफ देश के अपमान और देशद्रोह का मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराती? इसका फैसला अदालत कर लेगी कि राहुल गांधी ने देश का अपमान किया है या नहीं।
आजादी के बाद देश के संसदीय इतिहास में ऐसा पहला मौका आया जब सत्तारुढ़ दल ने संसद ठप की हो। संसद की यह कार्रवाई कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी से माफी मंगवाने की मांग को लेकर बाधित रही। संसद सत्र का प्रति मिनट खर्चा ढाई लाख रुपए आता है। अर्थात एक दिन भी यदि संसद की कार्रवाई ठप रहती है तो करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। इसकी भरपाई सांसद या मंत्री नहीं करते, बल्कि देश के आम करदाताओं को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। राहुल ने लंदन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में भारत में संस्थाओं के नियंत्रण में होने और अपने फोन की जासूसी किए जाने का आरोप लगाया। राहुल ने अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज कराए जाने का मुद्दा उठाया। आरएसएस को एक 'फासीवादी' संगठन और भारत में मीडिया और न्यायपालिका को नियंत्रण में बताते हुए विदेशी हस्तक्षेप की मांग की।
भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस के नेता और सांसद राहुल गांधी ने विदेश में जाकर देश का अपमान किया है। गौरतलब है कि संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होता है। संसद में जो हुआ उसे पुरी दुनिया ने देखा। सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार राहुल के बयान को इतना गंभीर मानती है तो उनके खिलाफ देश के अपमान और देशद्रोह का मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराती? इसका फैसला अदालत कर लेगी कि राहुल गांधी ने देश का अपमान किया है या नहीं। इससे भाजपा का बचना यह दर्शाता है कि देश के अपमान और देशद्रोह को सिर्फ चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। हकीकत में इस मामले में भाजपा कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करना चाहती है। सवाल यह भी है कि भाजपा राहुल गांधी से तो चुनावी तरीके से निपट लेगी किन्तु वैश्विक संस्थाओं द्वारा विभिन्न मामलों में देश की हालत की जो तस्वीर बताई गई है, उनसे कैसे निपटेगी? भाजपा ने ऐसी संस्थाओं से कभी माफी मांगने और उन देशों को चेतावनी देते हुए संबंधों में दरार पड़ने की बात कभी नहीं की। अलबत्ता केंद्र सरकार उन रिपोर्टों को भारत की छवि खराब करने वाले बताते हुए खारिज करती रही है।
विगत वर्षों में संयुक्त राष्ट्र सहित विश्व स्तर की रैंकिंग प्रदान करने वाली विभिन्न संस्थाओं की रिपोर्ट में भारत की जो तस्वीर पेश की गयी है, वह देश को शर्मसार करने वाली रही है। केंद्र की भाजपा सरकार विश्व में विभिन्न मामलों में जारी रिपोर्टों को खारिज तो कर सकती है, पर माफी नहीं मंगवा सकती, जिनके कारण भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा है। वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत छह पायदान नीचे खिसक कर अब 121 देशों में 107वें स्थान पर पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक सूचकांक में वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स में शामिल कुल 146 देशों में भारत 136वें पायदान पर है। रिपोर्टर्स विदआउट बॉडर्स की ओर से जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 में भारत 142वें स्थान पर बरकरार है। भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस का दंभ भरने वाली सरकार की दृढ़ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2021 के वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 180 देशों में भारत का स्थान 85वां रहा। मानव विकास सूचकांक में पिछले वर्ष भारत 131वें स्थान पर था और वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट में भारत का स्थान फिसल कर 191 देशों की सूची में 132वें स्थान पर पहुँच गया।
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इसी तरह भारत में पर्यावरण की स्थिति रिपोर्ट 2021 में सामने आया कि पिछले साल भारत का स्थान 115 था और अब वह दो स्थान और नीचे चला गया है। ग्लोबल पीस इंडेक्स-2022 में भारत को शांति के मामले में लो कैटेगरी में रखा गया है। इस रैंकिंग में भारत 3 स्टेप चढ़कर अब 135वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा इंडेक्स-2021 में 113 देशों के बीच 71वां स्थान हासिल किया। विश्व न्याय परियोजना के कानून सूचकांक 2021 के नियम में भारत 139 देशों और क्षेत्राधिकारों में से 79वें स्थान पर है। विश्व में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 11 प्रतिशत मृत्यु भारत में होती हैं। जबकि दुनिया के वाहन का महज एक प्रतिशत ही हमारे यहां है। एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में 73535 बच्चे गायब हो गए। अगर पिछले 5 सालों की बात करें तो गायब होने वाले बच्चों की संख्या 340000 है। पिछले 5 सालों से हर साल औसतन 68000 बच्चे गायब होते रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी 59263 बच्चे गायब हो गए थे। गायब होने वाले बच्चों में 75 फ़ीसदी लड़कियां होती हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की इंटरएक्टिव वेबसाइट हाल्ट द हेट के मुताबिक भारत में 2016 के बाद से कथित हेट क्राइम की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई। अकेले 2019 के पहले छह महीनों में ऐसे अपराधों की 181 घटनाएं वेबसाइट की ओर से दर्ज की गईं। महिलाओं के लिए सड़क सुरक्षा, महिलाओं की जानबूझकर हत्या, गैर-साथी यौन हिंसा, अंतरंग साथी यौन हिंसा, कानूनी भेदभाव, वैश्विक लिंग अंतर, लिंग असमानता और महिलाओं के प्रति हिंसा में खतरे का सूचकांक वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू 2022 की एक रिपोर्ट में भारत 9वें स्थान पर है। वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा किये गए सर्वे में भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया था। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हुए सर्वे में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और उन्हें सेक्स वर्कर के धंधे में जबरन धकेलने के कारण भारत को सबसे असुरक्षित देश माना गया। वर्ष 2021 के वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक में भारत को 66वां स्थान प्राप्त हुआ।
विभिन्न वैश्विक रिपोर्टों में जाहिर भारत की स्थिति से मुंह नहीं फेरा जा सकता। इन रिपोर्टों पर भारत की आलोचना को दबाया नहीं जा सकता। देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। इस मामले सैंकड़ों गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इसे पूरे विश्व में देखा गया कि कैसे भारत में आवाज बुलंद करने पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस कानून की समीक्षा पूरी होने तक देशद्रोह का कोई नया केस दर्ज नहीं होगा। भारत का लोकतांत्रिक ढांचा इतना कमजोर नहीं है कि राहुल गांधी के बयान देने मात्र से दागदार हो जाए। राहुल गांधी के लगाए आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी न्यायाधीश से या किसी स्वतंत्री जांच एजेंसी से करानी चाहिए, तभी सच्चाई सामने आ सकती है, अन्यथा ऐसे मामलों को चुनावी राजनीति का स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं माना जा सकता।
-योगेन्द्र योगी
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