तीरंदाज भजन कौर की संघर्ष की कहानी, जानें कैसे साधारण परिवार से निकल कर पहुंची पेरिस

Bhajan kaur
प्रतिरूप फोटो
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Kusum । Jun 18 2024 6:58PM

18 साल की भजन कौर, जिन्होंने हाल ही में भारत को पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए महिला वर्ग में दूसरा कोट दिलाया है। भजन ने तुर्कीय के अंताल्या में चल रहे फाइनल ओलंपिक क्वालीफायर की व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता और ओलंपिक में खेलने का अपना सपना पूरा किया।

खेलों के मामले में हरियाणा इस समय पूरे देश में नंबर वन पर है। यहां हमेशा से पहलवान, हॉकी और मुक्केबाजी में दबदबा रहा है, लेकिन अब यहां तीरंदाजी में भी खिलाड़ी आगे निकल रहे हैं। अभी सबसे बड़ा नाम बनकर उभर रही हैं 18 साल की भजन कौर, जिन्होंने हाल ही में भारत को पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए महिला वर्ग में दूसरा कोट दिलाया है। भजन ने तुर्कीय के अंताल्या में चल रहे फाइनल ओलंपिक क्वालीफायर की व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता और ओलंपिक में खेलने का अपना सपना पूरा किया। हालांकि, यहां तक पहुंचने का उनका सपना आसान नहीं रहा। 

 पिता ने भजन के सपनों को दिए पंख

हरियाणा के सिरसा की भजन का जीवन काफी संघर्षभरा रहा है। किसान पिता भगवान सिंह ने भजन के सपने पूरे करने के लिए जीतोड़ मेहनत की है। एक वक्त ऐसा भी था जब भजन के पास रिकर्व तीरंदाजी जैसी तकनीकी प्रतियोगिता के लिए उपकरण यानी धनुष तक खरीदने के पैसे नहीं थे। लेकिन उनके पिता ने अपनी बेटी का सपना टूटने नहीं दिया और करीब 25 हजार रुपये उधार लेकर अपने बेटी के सपनों को पंख दिए। 

ये परिवार का सहयोग ही था, कि भजन की मेहनत काम आई। उन्होंने पहले खेलों इंडिया गेम्स में अपना नाम किया। घरेलू प्रतियोगिताओं में भी उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा, 16 साल की उम्र में हांगझाऊ एशियन गेम्स 2022 में खेलने वाली टीम में शामिल किया गया। भजन ने शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए महिला टीम रिकर्व स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 

अंकिता ने दिलाया भारत को पहला कोटा 

वहीं बता दें कि, भारत को महिला वर्ग में पहला ओलंपिक कोटा पश्चित बंगाल की 25 वर्षीय अंकिता भगत ने दिलाया। तुर्की के अंताल्या में चल रहे फाइनल ओलंपिक क्वालीफायर की व्यक्तिगत स्पर्धा में अंकिता भले ही क्वार्टरफाइनल में हार गई थी लेकिन कोटा हासिल करने में उन्होंने सफलता पाई।

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