Yes Milord! गुजरात HC ने क्यों कही मनुस्मृति पढ़ने की बात, कृष्ण जन्मभूमि विवाद में किसने दायर की कैविएट याचिका, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 05 जून से 09 जून 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। जहां मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामले में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल की। वहीं दो हजार रुपये का नोट बदलने के खिलाफ याचिका सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से इनकार कर दिया है। हज से जुड़े सरकार के एक फैसले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। पीएम मोदी की डिग्री पर घिरे केजरीवाल को अदालत से बुलावा आया है। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 05 जून से 09 जून 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
इसे भी पढ़ें: Raghav Chadha bungalow: क्या है राघव चड्ढा का केस, मंत्री या सांसद को किस टाइप का बंगला होता है अलॉट? आइए समझते हैं...
कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में कैविएट याचिका
मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामले में हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल की है। ये कैविएट याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर दाखिल की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 26 मई को कृष्ण जन्मभूमि के टाइटल सूट के सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर करने का फैसला किया था। कैविएट याचिका में हिन्दू पक्ष ने कहा है कि अगर हाईकोर्ट के फैसले को मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है तो सुप्रीम कोर्ट बिना हिन्दू पक्ष को सुने कोई आदेश पारित न करे।
2000 का नोट बदलने के खिलाफ याचिका सुनने से SC का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें किसी मांग पर्ची और पहचान पत्र के बिना दो हजार रुपये के नोट बदलने के लिए जारी आरबीआई की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने रजिस्ट्री द्वारा दायर रिपोर्ट पर विचार किया और कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई करने की कोई वजह नहीं है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि गर्मी की छुट्टियों के बाद मामले को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखा जाए। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि शीर्ष अदालत इतने महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई नहीं कर रही है। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि यह न्यायालय है, सार्वजनिक मंच नहीं है। यह दूसरी बार है जब न्यायालय ने इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है।
इसे भी पढ़ें: बंगले पर विवाद: राघव चड्ढा को कोर्ट से मिली राहत, राज्यसभा सचिवालय के आदेश पर रोक
हज से जुड़े सरकार के किस फैसले पर लगी रोक
दिल्ली हाई कोर्ट ने कई हज समूह आयोजकों के पंजीकरण प्रमाणपत्र और कोटा के निलंबन पर रोक लगाते हुए कहा है कि मुसलमानों के लिए हज केवल एक छुट्टी भर नहीं है, बल्कि अपने धर्म और आस्था का पालन करने का एक जरिया भी है, जो एक मौलिक अधिकार है। केंद्र सरकार ने हाजियों के लिए टूर ऑपरेटर के रूप में काम करने वाले कुछ हज समूह आयोजकों (एचजीओ) का पंजीकरण और कोटा पिछले महीने उस समय निलंबित कर दिया था, जब ये समूह विभिन्न आधारों के चलते अपात्र पाए गए थे। इन आधारों में उन तथ्यों को जानबूझकर गलत रूप से पेश किया जाना भी शामिल है, जिनके कारण इन्हें पहले स्थान पर एचजीओ के तौर पर पंजीकृत दिया गया था।
पीएम मोदी की डिग्री पर घिरे केजरीवाल को अदालत से बुलावा
अहमदाबाद की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री के संबंध में व्यंग्यपूर्ण और अपमानजनक टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के मामले में 13 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है। आम आदमी पार्टी (आप) के दोनों नेताओं को इससे पहले मेट्रोपोलिटन अदालत ने सात जून को उसके समक्ष पेश होने के लिए समन किया था। गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) ने दोनों के खिलाफ मामला दायर करवाया है।
इसे भी पढ़ें: Al-Qadir Trust case: ब्रिटेन की एजेंसी के साथ समझौते के बारे में नहीं है कोई जानकारी, बुशरा बीबी ने NAB के नोटिस पर दिया जवाब
गुजरात हाईकोर्ट ने क्यों कहा- मनुस्मृति पढ़ें
गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने गर्भपात की अनुमति के लिए दायर नाबालिग बलात्कार पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि एक समय युवावस्था में लड़कियों की शादी होना और उनके 17 साल की उम्र से पहले संतान को जन्म देना आम बात थी। आप इसे नहीं पढ़ेंगे, लेकिन इसके लिए एक बार मनुस्मृति पढ़ें। न्यायमूर्ति समीर दवे ने संकेत दिया कि अगर लड़की और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं, तो हो सकता है कि इस याचिका को स्वीकृति न प्रदान की जाए। उन्होंने सुनवाई के दौरान मनुस्मृति का भी जिक्र किया। बलात्कार पीड़िता की आयु 16 साल, 11 महीने है और उसके गर्भ में सात महीने का भ्रूण पल रहा है। पीड़िता के पिता ने गर्भपात की अनुमति के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से ज्यादा हो गई है। इस अवधि के पार हो जाने के बाद अदालत की अनुमति के बिना गर्भपात नहीं कराया जा सकता है।
अन्य न्यूज़