सेंट्रल विस्टा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
2019 में घोषित सेंट्रल विस्टा पुनरुद्धार परियोजना में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाले एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है, जिसका निर्माण अगस्त, 2022 तक किया जाना है, जब देश अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।
मोदी सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है। प्लॉट के लैंड यूज़ में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया जहां लुटियंस दिल्ली में उपराष्ट्रपति का नया आधिकारिक आवास बनेगा। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा पर्याप्त स्पष्टीकरण दिये गये हैं जो भूखंड के भूमि उपयोग में परिवर्तन को सही ठहराते हैं। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए यह भी कह दिया कि यहां कोई प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं बनाई जा रही। इस जमीन का इस्तेमाल हमेशा सरकारी कामों के लिए ही किया जाता रहा है।
दरअसल, याचिका में कहा गया था कि जहां उपराष्ट्रपति का आवास बनाया जा रहा है वहां इससे चिल्ड्रन पार्क और हरियाली खत्म हो जाएगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह कहा कि अगर उपराष्ट्रपति का आवास वहां बनाया जाएगा तो उसमें हरियाली होनी तय है। पीठ ने कहा, “हमें इस मामले की और जांच करने का कोई कारण नहीं मिला और इसलिए इस याचिका को खारिज करके पूरे विवाद को खत्म कर रहे हैं।”Supreme Court dismisses a plea on the issue of a proposed change in use of a plot of land where the new official residences of the Vice-President and the Prime Minister are stipulated as part of the Central Vista project in Delhi. pic.twitter.com/tjif1X46w7
— ANI (@ANI) November 23, 2021
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आपको बतां दें कि 2019 में घोषित सेंट्रल विस्टा पुनरुद्धार परियोजना में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाले एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है, जिसका निर्माण अगस्त, 2022 तक किया जाना है, जब देश अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर की दूरी तक फैली परियोजना के तहत 2024 तक सामान्य केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है। शीर्ष अदालत भूखंड संख्या एक के भूमि उपयोग को मनोरंजन क्षेत्र से आवासीय क्षेत्र में बदलने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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