Manish Sisodia के सफर की कहानी, एक पत्रकार जो कम समय में ही बन गया अरविंद केजरीवाल का दायां हाथ
दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे ताकतवर नेता मनीष सिसोदिया एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। एक साधारण परिवार में जन्मे सिसोदिया की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। अरविंद केजरीवाल से मुलाकात से लेकर अन्ना हजारे के आंदोलन और आप की स्थापना तक सिसोदिया सबके केंद्र में रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे ताकतवर नेता मनीष सिसोदिया एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। एक साधारण परिवार में जन्मे सिसोदिया की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। अरविंद केजरीवाल से मुलाकात से लेकर अन्ना हजारे के आंदोलन और आप की स्थापना तक सिसोदिया सबके केंद्र में रहे हैं। सामाजिक कार्य करने से पहले वह एक निजी समाचार कम्पनी जी न्यूज में कार्यरत थे। वह कबीर और परिवर्तन नामक सामाजिक संस्था का संचालन करते हैं। वे सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं। वे 'कबीर' नामक गैर-सरकारी संस्था चलाते हैं। जब अरविंद केजरीवाल ने आन्दोलन छोड़ राजनीति में आने का निश्चय किया तो मनीष ने उनका साथ दिया।
शुरुआती जीवन
मनीष सिसोदिया का जन्म 5 जनवरी 1972 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ के एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल से की थी। इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली में पूरी की। उन्होंने पत्रकारिता में भारतीय विद्या भवन से डिप्लोमा किया और बतौर पत्रकार अपने करियर की शुरुआत की। सिसोदिया दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद सहयोगी के तौर पर उभरे थे। जब पहली बार केजरीवाल को अपने डेप्युटी की जिम्मेदारी देने का वक्त आया तो उन्होंने सिसोदिया को ही सबसे पहले चुना।
यूं चढ़ता गया ग्राफ
उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो के कार्यक्रम 'जीरो ऑवर' को होस्ट के साथ किया था। इसके बाद उन्होंने एक निजी टीवी चैनल में भी काम किया। लेकिन पत्रकारिता में उनका मन ज्यादा नहीं लगा। उन्होंने कुछ अलग रास्ता चुनने का मन बनाया। चूंकि वो एक बेहद ही सामान्य परिवार से आए थे तो उन्होंने आम लोगों के लिए काम करने का मन बनाया था।
बीच में छोड़ी पत्रकारिता
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने 2006 में पत्रकारिता का करियर को छोड़ दिया। उन्होंने अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर 'पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की। इन्होंने फिर 'परिवर्तन' एनजीओ को भी बनाया। 2013 में दिल्ली में सरकार बनाने से पहले सिसोदिया और केजरीवाल इसी एनजीओ के जरिए काम करते थे। इसके जरिए दोनों शख्स राशन, बिजली बिल और सूचना का अधिकार के लिए काम करते थे। इसके जरिए ही ये दोनों नेता अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़े। फिर आम आदमी पार्टी की स्थापना हुई। इसके बाद दिल्ली में आप का राज भी शुरू हुआ।
केजरीवाल के साथ अन्ना आंदोलन में हुए शामिल
केजरीवाल से सिसोदिया की मुलाकात 1998 में हुई थी। इसी दौरान उन्होंने एक्टिविजम की तरफ का भी रुख किया था। सिसोदिया 'कबीर' नाम का एक एनजीओ भी चलाते थे। 2011 में सिसोदिया अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के भी हिस्सा बने थे। इसी आंदोलन में जन लोकपाल बिल की मांग उठी थी। सिसोदिया आप के संस्थापक सदस्य थे। उन्हें पार्टी के राजनीतक समिति का सदस्य बनाया गया था। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सिसोदिया पटपड़गंज से चुनाव लड़ा था।
उन्होंने बीजेपी के नकुल भारद्वाज को हराया था। 2015 के में भी सिसोदिया को पटपड़गंज से जीत मिली थी। उन्होंने विनोद कुमार बिन्नी को मात दी थी। इस जीत के बाद केजरीवाल सीएम और सिसोदिया डेप्युटी सीएम बने थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में सिसोदिया ने पटपड़गंज से बीजेपी उम्मीदवार रविंदर सिंह नेगी को 3 हजार वोटों से हराया था। सिसोदिया के पास सर्विस, महिला और बाल विकास, कला, संस्कृति, एजुकेशन, फाइनेंस, योजना, भूमि और भवन, विजिलेंस जैसे विभाग हैं।
सिसोदिया पर लग चुके हैं ये आरोप
जासूसी कांड में भी फंसे हैं मनीष सिसोदिया
2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो दिल्ली सरकार ने एक फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाई। इसका काम विभागों, संस्थानों, स्वतंत्र संस्थानों की निगरानी करना था और यहां के कामकाज पर प्रभावी फीडबैक देना था, ताकि इस आधार पर जरूरी सुधारों का एक्शन लिया जा सके। लेकिन आरोप है कि दिल्ली सरकार के इशारे पर इस फीडबैक यूनिट ने विपक्षी दलों के नेताओं की जासूसी करनी शुरू कर दी। कई नेताओं के कामकाज पर नजर रखी जाने लगी।
2022 में लगा भ्रष्टाचार का आरोप
नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया खुद फंसे हुए हैं। उनके घर सीबीआई का छापा भी पड़ चुका है। इस बारे में सीबीआई ने उनके घर पर छापा भी मारा था। दिल्ली की नई आबकारी नीति में नियम कानून के उल्लंघन का आरोप है और इससे 150 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया गया है। इसी मामले में सीबीआई ने करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था।
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