सत्येंद्र जैन ने Tihar Jail के जेलर को लेटर लिखाकर की थी खास मांग, अब तिहाड़ प्रशासन के खिलाफ हुई कार्रवाई
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को लेकर नया विवाद उत्पन्न हो गया है। इस मामले में दिल्ली का तिहाड़ प्रशासन फिर से चर्चा में आ गया है। इस मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल के जेलर को शो कॉज नोटिश भी दिया गया है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। इस बार ये विवाद उनके द्वारा लिखे गए पत्र के कारण शुरू हुआ है। वहीं तिहाड़ जेल के प्रशासन पर भी कई सवाल उठाए जा रहे है। इसी कड़ी में जेल प्रशासन ने जेल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
दरअसल कुछ समय पहले पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर मांग की थी कि उनके सेल में दो कैदियों को शिफ्ट किया जाए क्योंकि अकेलापन उनकी सेहत पर नकारात्मक असर डाल रहा है। उन्होंने बताया था कि मानसिक अवसाद और अकेलेपन की समस्या से वो जूझ रहे है और डिप्रेशन में जा रहे है। ऐसे में उनके सेल में दो कैदियों को रखा जाए ताकि को डिप्रेशन में ना जाएं।
बता दें कि सत्येंद्र जैन द्वारा उठाई जा रही मांग के बाद जेल अधीक्षक ने सत्येंद्र जैन की सेल में कैदियों को ट्रांसफर किया था। इसकी जानकारी जैसे ही तिहाड़ जेल प्रशासन को मिली तो वो हरकत में आया। इस मामले पर अब जेल अधिक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। दरअसल जेल अधिक्षक ने सत्येंद्र जैन का पत्र मिलने के बाद उनकी सेल में दो कैदियों को ट्रांसफर कर दिया था, जिससे मंत्री की सुरक्षा पर कई सवाल उठे थे। इस कदम के बाद ही अधिकारी को नोटिस दिया गया है। जानकारी के मुताबिक मामले के तूल पकड़ने पर वर्तमान में दोनों कैदियों को उनकी पूरानी सेल में भेजा गया है।
जानकारी के मुताबिक सत्येंद्र जैन ने तिहाड़ प्रशासन को 11 मई को पत्र लिखा था। जेल अधीक्षक को लिखे गए पत्र में उन्होंने कहा था कि वो अकेलापन के शिकार हो रहे है। इस पत्र मे उन्होंने कहा था कि उनके मनोचिकित्सक ने उन्हें अकेला ना रहने की सलाद दी है। इस मामले पर तिहाड़ प्रशासन का कहना है कि जेल नंबर सात के अधीक्षक ने पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के सेल में दो कैदियों को ट्रांसफर कर दिया था। हालांकि अधीक्षक ने ये फैसला जेल प्रशासन को जानकारी दिए बिना ही लिया था। वहीं नियमों के अनुसार जेल प्रशासन की अनुमति लिए बिना अधीक्षक ये फैसला नहीं ले सकता है।
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