Karnataka CM चुनने की चुनौती से जूझ रही Congress के लिए Rajasthan में Sachin Pilot ने खड़ा किया नया संकट

Sachin Pilot
ANI

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि उनकी ईमानदारी एवं निष्ठा पर उनके घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते। उन्होंने कहा कि वह किसी पद पर रहे या न रहें, लेकिन आखिरी सांस तक राजस्थान के जनता की सेवा करते रहेंगे।

कांग्रेस कर्नाटक का चुनाव तो जीत गयी है लेकिन अभी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मुख्यमंत्री किसे बनाये। कांग्रेस एक और सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाने की जद्दोजहद से जूझ ही रही है कि राजस्थान का संकट भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। गहलोत बनाम पायलट की लड़ाई में आज तब नया मोड़ आ गया जब कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने प्रदेश में अपनी ही पार्टी की सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर उसने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच सहित तीन मांगें नहीं मानी तो वह पूरे राज्य में आंदोलन करेंगे। सचिन पायलट ने इसके लिए राज्य की कांग्रेस सरकार को इस महीने के आखिर तक यानी 15 दिन का समय दिया है। इसके साथ ही पायलट ने कहा कि उनकी ईमानदारी एवं निष्ठा पर उनके घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते। उन्होंने कहा कि वह किसी पद पर रहे या न रहें, लेकिन आखिरी सांस तक राजस्थान के जनता की सेवा करते रहेंगे। हम आपको बता दें कि पायलट ने जयपुर में अपनी पांच दिन की जनसंघर्ष पद यात्रा के समापन के अवसर पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए यह घोषणा की।

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पहली मांग है कि राज्य सरकार राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को बंद कर, पूरे तंत्र का पुनर्गठन करें, नए कानून मापदंड बनें और पारदर्शिता से लोगों का चयन हो। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी दूसरी मांग है कि पेपर लीक से प्रभावित प्रत्येक नौजवान को उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाना चाहिए। तीसरी मांग है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।’’ पायलट ने आगे कहा, ‘‘नौजवानों के हित में और भ्रष्टाचार के खिलाफ, इस महीने के आखिर तक अगर ये तीनों मांगें नहीं मानी गईं तो....मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि अभी मैंने गांधीवादी तरीके से (एक दिवसीय) अनशन किया, जनसंघर्ष यात्रा निकाली है। महीने के आखिर तक अगर कार्रवाई नहीं होती है तो मैं पूरे प्रदेश में आंदोलन करूंगा आप लोगों के साथ। जनता के साथ रहेंगे... गांव, ढाणी, शहरों में हम पैदल चलेंगे। जनता को साथ लेकर चलेंगे, न्याय करवाएंगे। आपकी (लोगों की) बात को रखते रहेंगे।’’ 

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उन्होंने कहा, 'भ्रष्टाचार ऐसा मुद्दा है जो समाज को दीमक की तरह खा रहा है। पेपर लीक के कारण नौजवानों का भविष्य अंधकारमय है। हम लोगों को करार प्रहार करना पड़ेगा। भ्रष्टाचार को समाप्त करना पड़ेगा और जो धारणा बनी हुई कि पांच साल भाजपा, पांच साल कांग्रेस इस धारणा को तोड़ने के लिए हमें दुनिया को दिखाना पड़ेगा कि हम जो कहते हैं वह करके दिखाते हैं।' पायलट ने कहा कि भ्रष्टाचार का मुद्दा नौजवानों के जीवन को अंधकार में धकेल रहा है। इस जनसंघर्ष पद यात्रा का संकल्प भाजपा के शासन में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाना था। इस यात्रा का उद्देश्य नौजवानों के साथ जो धोखा होता है जो भ्रष्टाचार होता है उसको समाप्त करने का हमारा उद्देश्य था।

आरपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, 'यह आम धारणा है कि यहां 'जुगाड़' काम करता है और नियुक्तियां राजनीतिक होती हैं। नियुक्तियों को पारदर्शी तरीके से करने की आवश्यकता है, और वैज्ञानिक या व्याख्याता जैसे लोगों को चुनने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि उनका संघर्ष कि नेता के खिलाफ नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार के विरोध में है। उन्होंने कहा, 'हमारा जनसंघर्ष किसी नेता के खिलाफ नहीं। हमारी यात्रा किसी के विरोध में नहीं है। हमारी यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ है। हमारी यात्रा नौजवानों के भविष्य को बेहतर बनाने के पक्ष में है और हम इसमें रुकने वाले नहीं हैं।'

उन्होंने कहा, 'यह जनसंघर्ष यात्रा नौजवानों के कलेजे में आग लगाने के लिए है उनको विश्वास दिलाने के लिए है। हमें हताश होने की जरूरत नहीं। रास्ते निकलेंगे भविष्य बेहतर होगा।' इसके साथ ही पायलट ने कहा कि उनकी निष्ठा और ईमानदारी पर उनके घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते। उन्होंने कहा, 'यह प्रदेश व देश की जनता जानती है मेरी निष्ठा, मेरी इमानदारी और हम लोगों के काम करने के तरीके पर मेरा सबसे घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकता। यह हमारी कमाई है यह जनता का विश्वास है।' उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सब को आश्वस्त करना चाहता हूं और वादा करना चाहता हूं आप सबके सामने मैं किसी पद पर रहूं या ना रहूं मैं राजस्थान की जनता व नौजवानों की सेवा अपनी आखिरी सांस करता रहूंगा। और मैं डरने वाला नहीं हूं मैं दबने वाला नहीं। मैं आपके लिए लड़ा हूं और लड़ता रहूंगा।'' पायलट ने कहा कि जो भी (कांग्रेसी) गुटबाजी व पार्टी में अनुशासन की बात करेंगे, उन्हें 25 सितंबर की घटना के बारे में सोचना चाहिए।

उन्होंने कहा, '25 सितंबर को जो विश्वासघात किया गया सोनिया गांधी के साथ, 25 सितंबर को जो पार्टी को बेइज्जत करने काम किया गया, जिसने पार्टी के अनुशासन को तोड़ने का काम किया, उन लोगों को अपने गिरेबां में झांक कर देखना पड़ेगा कि अनुशासन हमने तोड़ा या किसी और ने तोड़ा।' उल्लेखनीय है कि गहलोत समर्थक विधायकों ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक की। इन विधायकों ने बाद में, पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था। पायलट ने कहा, 'हम तो बिना पद के गाली खा खा के खून के घूंट पी पी के जनता में जाके संगठन का काम कर रहे हैं और आप मलाई खा खा के गाली दे दे के हमको बदनाम करने का काम कर रहे हैं।'

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार बचाने के लिए भाजपा नेता वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की प्रशंसा किए जाने पर उन्होंने कहा, “यह कहां की नीति है कि अपनी पार्टी के नेताओं को बदनाम करो और भाजपा के नेताओं का गुणगान करो, यह चलने वाला नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, “चुन चुनकर मुझे भला बुरा कहा गया। मुझे कोई चिंता नहीं। आप मुझे गाली दो, अपमानित करो, आरोप लगाओ, मुझे व मेरे साथियों पर इससे भी निचले स्तर के आरोप लगाओ हमें कोई चिंता नहीं है। लेकिन इस लोकतंत्र में जनता ही गणेश जनार्दन है किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।" 

उल्लेखनीय है कि पायलट ने पांच दिन की अपनी इस पदयात्रा की शुरुआत गत बृहस्पतिवार को अजमेर से की थी। इसे राजस्थान में इस चुनावी साल में, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस यहां अपनी सरकार दोबारा बनने की उम्मीद कर रही है। जनसभा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। मंच पर पायलट समेत कांग्रेस के 15 विधायक थे। इसमें राज्य सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा व वन मंत्री हेमाराम चौधरी, एससीएसटी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा, विधायक जीआर खटाना, वेदप्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, वीरेंद्र चौधरी, राकेश पारीक, हरीश मीणा, गिर्राज मलिंगा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर, इंद्राज गुर्जर और रामनिवास गावड़िया भी शामिल हुए।

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