लाल किला हमारे पुरखों का, सरकार ने कब्जा कर लिया... कोर्ट पहुंची मुगल परिवार की बहू, याचिका हुई खारिज

Red Fort
ANI
अंकित सिंह । Dec 14 2024 12:07PM

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभू बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने 2021 के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने में ढाई साल की लंबी देरी का हवाला देते हुए अपील खारिज कर दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने लाल किले पर कब्जे की मांग करने वाली एक महिला की याचिका को खारिज करने के एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा। याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर-द्वितीय के परपोते की विधवा हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है। यह अपील उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के 2021 के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसने पहले उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभू बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने 2021 के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने में ढाई साल की लंबी देरी का हवाला देते हुए अपील खारिज कर दी। एकल न्यायाधीश ने भी देरी का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि किले पर बहुत पहले ही अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था। सुल्ताना बेगम ने दावा किया कि 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लाल किले का कब्जा उनसे जबरन छीन लिया था। याचिका में दावा किया गया था कि बेगम लाल किले की असली मालिक हैं, क्योंकि उन्हें यह संपत्ति अपने पूर्वज बहादुर शाह जफर द्वितीय से विरासत में मिली थी।

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वकील विवेक मोरे के माध्यम से दायर याचिका में आगे तर्क दिया गया कि भारत सरकार किले पर अवैध रूप से कब्जा कर रही है। बेगम ने भारतीय सरकार द्वारा किले पर कथित अवैध कब्जे के लिए 1857 से आज तक का मुआवजा भी मांगा। याचिका में केंद्र से अनुरोध किया गया कि या तो याचिकाकर्ता को लाल किला लौटाया जाए या प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1857 में इस पर कब्जे के समय का मुआवजा दिया जाए।

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