Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक में हिजाब मुद्दे की आंच पर भी पक सकती है सियासत, जानिए पूरा मामला

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कर्नाटक चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करेंगे। आगामी चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसके जरिए पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास करेंगी। इनमें से एक मुद्दा हिजाब विवाद का है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के मद्देनजर राज्य में सियासी पारा अपने चरम पर है। चुनाव के लिए एक महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में सतारुढ़ दल बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। आगामी चुनाव में कई ऐसे मुद्दे होंगे, जिनके जरिए राजनीतिक दल एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करेंगे। बता दें कि पिछले साल परीक्षा देने गई लड़कियों के हिजाब को लेकर राज्य में काफी हंगामा हुआ था। जिसके कारण कई हिस्सों में हालात भी बिगड़ गए थे। 

भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा

ऐसें में कर्नाटक के करावली क्षेत्र में विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए एक अग्निपरीक्षा के तौर पर होगी। हालांकि हिजाब मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया। लेकिन अपने पीछे एक सवाल भी छोड़ गया कि स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों के पीछे कौन थी। इस मामले में फायदा चाहे जिसका भी हुआ हो, लेकिन सियासतदानों के कारण यह मामला काफी बढ़ गया था। आपको बता दें कि कर्नाटक की राजनीति क्षेत्र के हिसाब से बदलती है। कर्नाटक में इस बार कई ऐसे फैक्टर हैं जो चुनाव के लिहाज से काफी अहम हैं। 

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हिजाब मुद्दे को लेकर गर्म रही राजनीति

कर्नाटक में पिछले साल की शुरुआत में हिजाब मुद्दे को लेकर राजनीति गर्म रही। सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्राओं के हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं कर्नाटक की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर एक खंडित फैसला सुनाया था। इस फैसले में जस्टिस ने कहा था कि स्कूलों में ड्रेस कोड लागू करने के लिए सरकार अधिकृत है। वहीं दूसरे ने हिजाब को पसंद का मामला बताया था। इस चुनाव में हिंदुत्व, गौहत्या, आतंकवाद, हिजाब की चर्चा चुनाव में होनी लगभग तय है। भाजपा ने उडुपी सीट से यशपाल सुवर्णा को चुनावी मैदान में उतारा है। 

जानिए हिजाब और हलाला पर क्या बोले येदियुरप्पा

ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के माध्यम से दक्षिण के अपने इस एकमात्र गढ़ को बताने का पूरा प्रयास करेगी। वहीं भाजपा के वयोवृद्ध नेता बीएस येदियुरप्पा ने हिजाब और हलाला विवाद जैसे मुद्दों को गैर जरूरी बताया है। लेकिन अन्य राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को बीजेपी के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है। 

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