Nitish Kumar बिहार में बजरंग दल पर प्रतिबंध के सवाल पर टिप्पणी करने से बचे
राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने कर्नाटक में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र में बजरंग दल को प्रतिबंधित करने का वादा किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर बृहस्पतिवार को टिप्पणी करने से बचे। मुख्यमंत्री से उनकी पार्टी के सांसद की ओर से की गई मांग की पृष्ठभूमि में सवाल किया गया था। राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने कर्नाटक में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र में बजरंग दल को प्रतिबंधित करने का वादा किया है। जद (यू) के शीर्ष नेता से नालंदा से पार्टी सांसद कौशलेंद्र कुमार के हालिया बयान के बारे में पूछा गया था जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबंद्ध विश्व हिंदू की युवा शाखा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, हम सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एक बार जब यह हासिल हो जाएगा, तो हम सभी एक साथ बैठेंगे और एक साझा एजेंडा लेकर आएंगे। तब तक, मैं ऐसे मामलों पर बोलना नहीं चाहता। नालंदा के सांसद ने बिहारशरीफ में हालिया सांप्रदायिक हिंसा के लिए बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया है। कुमार ने मीडिया के एक वर्ग में आई इन खबरों पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि वह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलने के लिए शुक्रवार को वहां जाएंगे।
पटनायक कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से समान दूरी बनाए हुए हैं। कुमार ने संकेत दिया है कि वह कर्नाटक में चुनाव समाप्त होने के बाद अपने ‘विपक्षी एकता अभियान’ को फिर से शुरू करेंगे। उन्होंने कहा, मैंने कई नेताओं से मुलाकात की है और कुछ और से मिलूंगा। लेकिन यह बहुत जल्द नहीं होने जा रहा है। कुमार ने उस वक्त को याद किया जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे जिनके मंत्रिमंडल में उन्होंने प्रमुख विभागों को संभाला था। उन्होंने कहा, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में हमने काम किया है।
ये लोग अब श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के काम को भी याद नहीं कर रहे हैं। श्रद्धेय अटल जी के वक्त कभी भी हिंदू-मुस्लिम का कोई झंझट नहीं हुआ। विपक्ष के लोग भी उनसे खुश रहते थे। सबलोग मिलकर काम कर रहे थे।” कुमार ने कहा कि वह वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री थे और एक रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ने त्याग पत्र को स्वीकार नहीं किया और काफी मशक्कत के बाद वाजपेयी ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया।
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