महाराष्ट्र के मंत्री भुजबल को ‘धमकी भरा’ पत्र मिला, पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई

Chhagan Bhujbal
प्रतिरूप फोटो
ANI

नासिक जिले के येवला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल को पहले भी संदेशों और फोन कॉल के माध्यम से इसी तरह की धमकियां मिली थीं। भुजबल ने शनिवार को यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं अपने विचारों और रुख पर कायम हूं और यदि मुझे ऐसे कई पत्र मिलेंगे, तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगा।

नासिक। महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल को एक पत्र मिला है, जिसमें उन्हें ‘‘उनकी जान को खतरा’’ होने के बारे में चेतावनी दी गई है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस पत्र के मिलने के बाद पुलिस ने नासिक स्थित उनके आवास और कार्यालय पर सुरक्षा बढ़ा दी है। भुजबल अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में हैं। 

भुजबल ने कहा कि यदि उन्हें ऐसे और भी कई पत्र मिलते हैं, तो भी वह अपने रुख से पीछे नहीं हटेंगे। अधिकारी ने बताया कि यह पत्र भुजबल के नासिक स्थित कार्यालय को शुक्रवार शाम को मिला। इसमें दावा किया गया कि मंत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए पांच लोगों को 50 लाख रुपये की ‘सुपारी’ दी गई है। उन्होंने बताया कि पत्र में कहा गया है कि ये लोग उनकी (भुजबल) तलाश कर रहे हैं और नेता को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है। उन्होंने कहा कि अंबाद पुलिस ने शहर में मंत्री के आवास और कार्यालय पर सुरक्षा बढ़ा दी है। 

नासिक जिले के येवला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख ओबीसी (अन्य पिछड़ी जाति) नेता भुजबल को पहले भी संदेशों और फोन कॉल के माध्यम से इसी तरह की धमकियां मिली थीं। भुजबल ने शनिवार को यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं अपने विचारों और रुख पर कायम हूं और यदि मुझे ऐसे कई पत्र मिलेंगे, तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगा। पुलिस को पत्र दे दिया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे (पुलिस) संबंधित व्यक्ति की तलाश करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे। मैं एक विचारधारा के अनुसार काम कर रहा हूं और भविष्य में भी उसी के अनुरूप काम करूंगा। मैं ऐसी धमकियों से नहीं डरूंगा।’’ मराठों को कुनबी (ओबीसी) प्रमाणपत्र देने संबंधी राज्य सरकार के फैसले का विरोध करने के कारण भुजबल हाल के हफ्तों में सुर्खियों में रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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