दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनकर तैयार, New Jersey के Akshardham Temple की दिव्यता और भव्यता देखकर पूरी दुनिया आश्चर्यचकित रह जायेगी

Akshardham US temple
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हम आपको बता दें कि बारहवीं सदी में निर्मित अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है, जो 500 एकड़ में फैला है। यह यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) का विश्व धरोहर स्थल है। नयी दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर 100 एकड़ में बना है।

आपने भारत में कई ऐतिहासिक और आधुनिक मंदिरों को देखा होगा, विदेशों में भी भव्य और दिव्य हिंदू मंदिरों को देखा होगा या उनके बारे में सुना होगा। अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो चुका है जिसका उद्घाटन आठ अक्तूबर को किया जायेगा। हम आपको बता दें कि आधुनिक युग में भारत के बाहर निर्मित दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर अमेरिका के न्यू जर्सी में बनाया गया है। न्यूयॉर्क स्थित टाइम्स स्क्वायर से लगभग 60 मील दक्षिण में और वाशिंगटन डीसी से लगभग 180 मील उत्तर में स्थित न्यूजर्सी के रॉबिन्सविले टाउनशिप में बीएपीएस (बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था) स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और इसके निर्माण में 12,500 से अधिक स्वयंसेवकों ने मदद की। मंदिर के औपचारिक उद्घाटन से पहले ही यहां दर्शन के लिए रोजाना हजारों लोग आने लग गये हैं। हम आपको बता दें कि अधरधाम के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर 183 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है। इस मंदिर को प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार बनाया गया है और इसमें 10,000 मूर्तियों एवं प्रतिमाओं, भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की नक्काशी सहित प्राचीन भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है। यह मंदिर कंबोडिया स्थित अंकोरवाट के बाद संभवत: दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है।

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हम आपको बता दें कि बारहवीं सदी में निर्मित अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है, जो 500 एकड़ में फैला है। यह यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) का विश्व धरोहर स्थल है। नयी दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर 100 एकड़ में बना है। इसे 2005 में आम लोगों के लिए खोला गया था। बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के अक्षरवत्सलदास स्वामी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमारे आध्यात्मिक नेता (प्रमुख स्वामी महाराज) की सोच थी कि पश्चिमी गोलार्ध में एक ऐसा स्थान होना चाहिए जो केवल हिंदुओं, केवल भारतीयों या केवल कुछ लोगों के समूहों का न होकर दुनिया के सभी लोगों के लिए हो। यह स्थान पूरी दुनिया के लिए होना चाहिए, जहां लोग आ सकें और हिंदू परंपरा के कुछ मूल्यों, सार्वभौमिक मूल्यों को सीख सकें।’’ अक्षरवत्सलदास स्वामी ने कहा, ‘‘यह उनकी (प्रमुख स्वामी महाराज की) इच्छा थी और यह उनका संकल्प था। उनके संकल्प के अनुसार, यह अक्षरधाम पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला के अनुरूप बनाया गया है।’’ इस मंदिर का औपचारिक रूप से उद्घाटन आठ अक्टूबर को किया जाएगा और इसे 18 अक्टूबर से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।

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