दिल्ली में अब ओवरटाइम पर मिलेगा दोगुना पैसा, फ्री मेडिकल टेस्ट की साथ अन्य सुविधाएं भी नयी पॉलिसी में शामिल
इस पॉलिसी के मुताबिक एक दिन में आठ घंटे से ज्यादा काम करने या फिर एक सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम करनेवाले को ही ओवरटाइम के लिए योग्य माना जाएगा। ऐसे में अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है, तो हर घंटे के हिसाब से उसे न्यूनतम मजदूरी के आधार पर दोगुना भुगतान मिल सकता है।
दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने एक नए प्रस्ताव को मंजूर किया है। इस पॉलिसी के तहत दिल्ली में काम कर रहे कर्मचारियों को ओवरटाइम करने पर दोगुना भुगतान दिया जाएगा। इस पॉलिसी के मुताबिक एक दिन में आठ घंटे से ज्यादा काम करने या फिर एक सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम करनेवाले को ही ओवरटाइम के लिए योग्य माना जाएगा। ऐसे में अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है, तो हर घंटे के हिसाब से उसे न्यूनतम मजदूरी के आधार पर दोगुना भुगतान मिल सकता है।
कर्मचारियों के लिए रुल्स
इस नई पॉलिसी के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक दिन में 12 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर सकता और न ही लगातार 7 दिन ओवरटाइम कर पाएगा। साथ ही कर्मचारी एक सप्ताह में 60 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर सकेगा। इतना ही नहीं इस पॉलिसी में कर्मचारियों को साल में कुछ छुट्टियां देना भी अनिवार्य किया गया है। पॉलिसी के तहत किभी भी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को जॉइनिंग लेटर (कंपनी में शामिल होने का पत्र) और एक्सपीरियंस लेटर (अनुभव पत्र) देना अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं पॉलिसी के तहत नियोक्ताओं के पास उनके यहां कार्यरत सभी कर्मचारियों का रिकॉर्ड दर्ज होना आवश्यक होगा। इसी के साथ नियोक्ताओं को अपने सभी कर्मचारियों को सैलरी स्लिप देना भी ज़रूरी होगा।
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प्रवासी कर्मचारियों के लिए नियम
इस पॉलिसी के तहत नियोक्ताओं को अपने प्रवासी कर्मचारियों को साल में एक बार यात्रा भत्ता देना आवश्यक होगा। नियोक्ताओं को कर्मचारियों के लिए इस भत्ते की राशि को इस प्रकार तय करना होगा कि कोई भी प्रवासी कर्मचारी अपने घर जाने के लिए बस या रेल यात्रा कर अपने आने-जाने का खर्च वहन कर सके।
फैक्ट्री कर्मचारियों के लिए सुविधा
इस नई पॉलिसी के अनुसार राजधानी दिल्ली में खतरनाक केमिकल और सामग्री से संबंधित फैक्ट्रियों में काम कर रहे जितने भी कर्मचारी हैं, उनकी हर साल मेडिकल जांच करवाना आवश्यक होगा। इस जांच की भी पूरी जिम्मेदारी फैक्ट्री संचालकों की ही होगी जिसमें वह अपने कर्मचारियों के खून, पेशाब, एक्स-रे व अन्य संबंधित जांच कराने के साथ ही मेडिकल इंस्पेक्टर द्वारा प्रस्तावित जांच कराना भी सुनिश्चित करेंगे। विभिन्न कार्यक्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों को खतरनाक बीमारियों से बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए श्रम विभाग इंस्पेक्टर समय-समय पर फैक्ट्री का भी निरीक्षण करेंगे। साथ ही श्रम विभाग इंस्पेक्टर इस दिशा में नियोक्ताओं को उचित कदम उठाने के लिए निर्देश भी देंगे, जिसका पालन न होने पर उनके खिलाफ श्रम विभाग ठोस कदम भी उठा सकेगा।
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कार्यस्थल पर दुर्घटना संबंधित
कंपनी, फैक्ट्री या अन्य किसी भी कार्यस्थल पर कोई भी दुर्घटना होने पर 12 घंटे के अंदर नियोक्ताओं को इसकी जानकारी श्रम विभाग को देनी होगी। वह इस सूचना को देने के लिए श्रम विभाग के इंस्पेक्टर और चीफ इंस्पेक्टर से टेलीफोन, मैसेज और ई-मेल के जरिए संपर्क कर सकते हैं। इतना ही नहीं किसी भी कर्मचारी की मृत्यु होने पर नियोक्ता को इस घटना की जानकारी देते हुए श्रम विभाग, जिलाधिकारी या उप-खंड मजिस्ट्रेट और पुलिस स्टेशन इंचार्ज को नोटिस भेजना होगा। लेकिन प्रवासी कर्मचारी होने पर बाकी विभागों को सूचित करने के साथ उसके राज्य के संबंधित विभाग को भी नोटिस भेजकर जानकारी देना अनिवार्य होगा।
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