मथुरा: 1991 के चर्चित मेहराना कांड के सजायाफ्ता कैदी की आगरा जेल में मौत

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[email protected] । Oct 9 2019 12:08PM

20 वर्ष चली कानूनी जिरह के बाद वर्ष 2011 में फैसला आया। सत्र अदालत ने 16 नवम्बर 2011 को आठ दोषियों को फांसी तथा 27 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उम्रकैद की सजा पाने वालों में एक गिर्राज सिंह भी था।

मथुरा। जिले के मेहराना गांव में अंतरजातीय प्रेम संबंधों के एक प्रकरण में तीन युवाओं को पीट पीट कर फांसी पर लटकाने के, 1991 के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक अभियुक्त की बीते सोमवार को मौत हो गई। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, 1991 के मार्च माह में बरसाना के मेहराना गांव में उच्च जाति की एक युवती को दलित युवक से प्रेम के आरोप मेंफांसी दे दी गई। साथ ही उसके दलित प्रेमी तथा उसके मददगार चचेरे भाई को भी फांसी पर लटका दिया गया। इस मामले में बचाव पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार आजाद ने बुधवार को बताया, ‘‘मेहराना गांव की पंचायत ने तीनों को गांव की मान-मर्यादा भंग करने का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। तीनों को पीट-पीटकर एक पेड़ पर फांसी दे दी गई और उनके शव गांव के बाहर श्मशान में जला दिये गये।’’

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आजाद के अनुसार, इस मामले में पुलिस ने 54 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोपपत्र दाखिल किया था। 20 वर्ष चली कानूनी जिरह के बाद वर्ष 2011 में फैसला आया। सत्र अदालत ने 16 नवम्बर 2011 को आठ दोषियों को फांसी तथा 27 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उम्रकैद की सजा पाने वालों में एक गिर्राज सिंह भी था। मृतक के पुत्र राजू ने बताया कि पुलिस ने उन्हें सूचित किया था इसी वर्ष आगरा के जिला कारागार में स्थानांतरित किए गए, इस मामले के सजायाफ्ता उसके पिता गिर्राज सिंह (72)की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई है। 

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राजू के अनुसार, पिता के शव को पोस्टमार्टम के पश्चात उनके सुपुर्द कर दिया गया जिसका उन्होंने मंगलवार को अंतिम संस्कार कर दिया। इस मामले में गिर्राज सिंह के बड़े चाचा नवल सिंह, छोटे चाचा लाल सिंह और बड़े भाई प्रीतम को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इनमें नवल सिंह की मृत्यु हो चुकी है। नवल सिंह तत्कालीन ग्राम प्रधान था जिसकी अगुआई में हुई पंचायत में युवती तथा दोनों युवकों को मौत की सजा सुनाई गई थी।

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