पोस्टल बैलेट से वोट दे सकेंगे कोरोना मरीज, बिहार चुनाव में दिखेगा असर
अमित शाह की रैली के बाद नीतीश कुमार भी लगातार वर्चुअल तकनीक के जरिए लोगों से संवाद कर रहे हैं। वहीं तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा भी आने वाले चुनाव को लेकर तकनीक के जरिए रैलियां करने का प्लान भी तैयार कर रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के कारण चुनाव और राजनीति पर भी बड़ा असर पड़ा है। कोरोना महामारी के इस दौर में राजनीति और चुनाव की परिभाषा बदलने जा रही है। इसका असर मध्य प्रदेश के उपचुनाव और बिहार के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। इस साल के अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया में ढेर सारी चीजों में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इतना ही नहीं, राजनेता भी अपनी चुनावी रैलियों की बजाए वर्चुअल रैली से जनता को आकर्षित करने की कोशिश करेंगे। हालांकि इन बदलावों का जनता के बीच कितना असर हो पाता है इसका नतीजा बाद में ही पता चल पाएगा। कोरोना संकट से पूरा देश जूझ रहा है। लेकिन आने वाले चुनाव के लिए भी राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी है। चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने भी वोटिंग प्रक्रिया में बदलाव किया है।
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इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में कोरोना संकट के कारण वोटिंग प्रक्रिया में बदलाव देखने को मिल सकता है। अब कोरोना मरीज और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डाल सकते है। कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के तहत कोरोना मरीज जो किसी संस्था या होम क्वॉरेंटाइन में रह रहे हैं या फिर जिनकी उम्र 65 वर्ष से ज्यादा है वह पोस्टल बैलट पेपर के जरिए वोटिंग कर सकते है। आयोग का यह दिशानिर्देश बिहार विधानसभा के चुनाव में देखा जा सकता है। चुनाव आयोग और केंद्र सरकार ने यह निर्णय संक्रमण के फैलने से रोकने के लिए लिया है। आपको बता दें कि 65 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगों को कोरोनावायरस का ज्यादा खतरा है।
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इससे पहले चुनाव आयोग की सिफारिश पर 22 अक्टूबर 2019 को 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग व्यक्तियों के लिए पोस्टल बैलट सुविधा को सक्षम करने वाले कानून संशोधन और उन्हें घर पर वोटिंग के विकल्प देने के लिए लाया गया था। अब इसी तर्ज पर कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव आयोग ने कानून एवं न्याय मंत्रालय से सिफारिश की है कि 65 वर्ष से अधिक आयु के सभी मतदाताओं के साथ-साथ कोरोनावायरस को पोस्टल बैलट से वोट डालने की सुविधा दी जाए। इस नियम के आ जाने के बाद पोलिंग स्टेशनों पर भी भीड़ कम होगी और कोरोना संक्रमण भी टाला जा सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया कितना कारगर साबित होता है और कितना सफल हो पाता है यह भी देखना होगा।
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वही, कोरोनावायरस के कारण राजनेता अपनी चुनावी रैलियों को वर्चुअल करने पर जोर दे रहे हैं जिसका आगाज गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में ही बिहार के लिए एक वर्चुअल रैली कर कर दिया। इस रैली के दौरान अमित शाह भाजपा के दिल्ली कार्यालय में थे जबकि बाकी के नेता बिहार के भाजपा कार्यालय और दूर-दराज के गांव में थे। लेकिन तकनीक के जरिए सभी नेता अपनी बात को जनता तक पहुंचा पाए। वर्चुअल रैली के बाद भाजपा नेताओं के साथ साथ विपक्ष के नेताओं को भी यह आभास होने लगा है कि तकनीक के जरिए भी चुनावी रैलियां की जा सकती है। अमित शाह की रैली के बाद नीतीश कुमार भी लगातार वर्चुअल तकनीक के जरिए लोगों से संवाद कर रहे हैं। वहीं तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा भी आने वाले चुनाव को लेकर तकनीक के जरिए रैलियां करने का प्लान भी तैयार कर रहे हैं।
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