बिहार सरकार ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव मामले में दायर की समीक्षा याचिका
अदालत ने नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को अवैध घोषित करते हुए चार अक्टूबर को फैसला सुनाया था कि इस महीने होने वाले चुनाव आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में फिर से अधिसूचित करने के बाद ही हो सकते हैं।
बिहार सरकार ने सोमवार को पटना उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस महीने की शुरुआत में पारित उस आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया, जिसमें नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए आरक्षण को अवैध घोषित किया गया था। राज्य के महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि याचिका को 19 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के मामले में एक समीक्षा याचिका दायर की है। इस पर बुधवार को सुनवाई होगी।’’
अदालत ने नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को अवैध घोषित करते हुए चार अक्टूबर को फैसला सुनाया था कि इस महीने होने वाले चुनाव आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में फिर से अधिसूचित करने के बाद ही हो सकते हैं। राज्य निर्वायन आयोग को अदालत ने याद दिलाया था कि वह ‘‘एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय है’’ जिसके लिए राज्य सरकार के आदेश बाध्यकारी नहीं हैं। इसके बाद 10 अक्टूबर से होने वाले दो चरणों के चुनाव को स्थगित कर दिया और सत्तारूढ़ महागठबंधन एवं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘‘ओबीसी और ईबीसी को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने के लिए’’ एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं।
इस बीच, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार पर नगर निकाय चुनाव को लटकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘राज्य सरकार कल तक उच्चतम न्यायालय में आदेश को चुनौती देने की बात कर रही थी। उच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करने का यह अचानक फैसला क्यों। उच्च न्यायालय ने पहले ही इस मुद्दे पर अपने विचार स्पष्ट कर दिए हैं।
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