राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आंबेडकर स्मारक का किया शिलान्यास, जानिए खास बातें
कोविंद ने कहा कि, जिस समय आजादी की लड़ाई चल रही थी उस समय भी हिंदू मुस्लिम वैमनस्यता थी और उस समय भी बहुत से लोग सौहार्द की बात करते थे और कहते थे कि पहले हम भारतीय हैं और उसके बाद हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई, लेकिन बाबा साहब की सोच इससे ऊपर थी।
लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को यहां भारत रत्न डॉ. आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रखने के बाद कहा कि बाबा साहब द्वारा सुझाए गए रास्ते पर देश की विधि व्यवस्था आगे बढ़ रही है और उनकी सोच “अपने समय से आगे” थी। राष्ट्रपति ने कहा, “बाबा साहब चाहते थे कि समानता के मूल अधिकार को संपत्ति के उत्तराधिकार तथा विवाह एवं जीवन के अन्य पक्षों से जुड़े मुद्दों पर भी एक अलग विधेयक द्वारा स्पष्ट कानूनी आधार दे दिया जाए और आज उनके द्वारा सुझाए गये रास्ते पर ही हमारी विधि व्यवस्था आगे बढ़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाबा साहब की सोच अपने समय से भी आगे थी।” राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को यहां लोकभवन में आयोजित समारोह में समतामूलक समाज की स्थापना में बाबा साहब के योगदान का जिक्र करते हुए कहा, “बाबा साहब महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए सदैव सक्रिय रहे।
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अमेरिका में संविधान लागू होने के सौ वर्ष बाद महिलाओं को वोट के अधिकार दिए गए लेकिन भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से ही महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला और इसका श्रेय बाबा साहब को जाता है।” गौरतलब है कि पिछले हफ्ते उप्र कैबिनेट ने ऐशबाग में आंबेडकर स्मारक सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण के लिए राज्य के सांस्कृतिक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रस्ताव के मुताबिक स्मारक ऐशबाग ईदगाह के सामने 5493.52 वर्ग मीटर नजूल भूमि पर बनेगा और इसमें डॉ आंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा भी होगी। 45.04 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले स्मारक में 750 लोगों की क्षमता वाला एक सभागार, पुस्तकालय, अनुसंधान केंद्र, चित्र दीर्घा, संग्रहालय, एक बहुउद्देश्यीय सम्मेलन केंद्र, जलपान केंद्र, छात्रावास और अन्य सुविधाएं भी होंगी। सांस्कृतिक विभाग जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर सकता है। कोविंद ने कहा, “जिस समय आजादी की लड़ाई चल रही थी उस समय भी हिंदू मुस्लिम वैमनस्यता थी और उस समय भी बहुत से लोग सौहार्द की बात करते थे और कहते थे कि पहले हम भारतीय हैं और उसके बाद हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई, लेकिन बाबा साहब की सोच इससे ऊपर थी।
बाबा साहब कहते थे हम पहले भारतीय है, बाद में भारतीय है और अंत में भी भारतीय हैं, अर्थात धर्म, जाति व संप्रदाय का कहीं स्थान नहीं है।” उन्होंने कहा, “इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि मुझे डॉक्टर आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करने का अवसर मिला और हम लोगों ने स्वस्तिवाचन सुना और यहां आध्यात्मिक वातावरण बना, आध्यात्मिक वातावरण की बात मैं इसलिए कर रहा हूं कि भिक्षुओं द्वारा प्रस्तुत गायन एवं पाठ में आप सबने ‘भवतु सब्ब मंगलम’ सुना।” राष्ट्रपति ने कहा, “ये शब्द (भवतु सब्ब मंगलम) भगवान बुद्ध के थे जिसे बाबा साहब बार बार दोहराते थे। वह कहते थे कि लोकतंत्र में हर सरकार का कर्तव्य है कि ‘भवतु सब्ब मंगलम’, अर्थात सबकी भलाई हो। उन्होंने भगवान बुद्ध के करुणा और सौहार्द के संदेश को ही अपने जीवन का आधार बनाया।” कोविंद ने कहा कि वर्तमान सरकार भवतु सब्ब मंगलम के मूल पाठ को साकार कर रही है। कोविंद ने कहा कि नवंबर 2017 में बोधगया से पीपल का एक पौधा मंगवाया था और उसे राष्ट्रपति भवन में लगाया और मेरी दृष्टि में वह पौधा बुद्ध व डॉक्टर आंबेडकर की विश्व दृष्टि का प्रतीक है और वह छोटा सा छह इंच का पौधा अब छह फुट ऊंचा हो गया है। वह भगवान बुद्ध और बाबा साहब की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रपति भवन से जोड़ने में सहायक है।
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राष्ट्रपति ने कहा, “डॉक्टर आंबेडकर ने समतामूलक समाज की रचना की सोच को 93 वर्ष पहले आज ही के दिन आगे बढ़ाया और समता नामक समाचार पत्र शुरू किया। उनकी पूरी जीवन यात्रा समतामूलक समाज की रचना की ही रही।” उन्होंने कहा कि ‘समता’ शब्द बाबा साहब के दिल दिमाग में था और वह जानते थे कि जब तक सरकार इस रास्ते पर नहीं चलेगी तब तक इस देश का विकास संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना करते हुए कोविंद ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री और उप्र सरकार को बधाई देता हूं कि उन्होंने आज की तारीख के औचित्य को चुना और 93 वर्ष पूर्व बाबा साहब ने जो यात्रा शुरू की थी यह सांस्कृतिक केंद्र उस यात्रा का साक्षी बनेगा।” लखनऊ शहर से बाबा साहब के संबंधों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने बताया कि इस लखनऊ शहर से बाबा साहब आंबेडकर का भी एक खास संबंध रहा है, जिसके कारण लखनऊ को बाबा साहब की स्नेह-भूमि भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि बाबासाहब के लिए गुरु-समान, बोधानन्द जी और उन्हें दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानंद जी, दोनों का निवास लखनऊ में ही था। उन्होंने कहा, “बाबा साहब की स्मृतियों से जुड़े सभी स्थल हम भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
बाबा साहब की दूरदर्शी सोच अपने समय से आगे थी और मैं इस बात पर विशेष बल देना चाहूंगा कि बाबा साहब की नीतियों के अनुरूप ही राष्ट्र का निर्माण करने में हमारी सफलता है।” उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के विचारों का भारत की धरती पर इतना गहरा प्रभाव है कि भारतीय संस्कृति के महत्व को न समझने वाले साम्राज्यवादी लोगों को भी महात्मा बुद्ध से जुड़े सांस्कृतिक आयामों को अपनाना पड़ा। राष्ट्रपति भवन के भव्य गुंबद की बनावट बौद्ध धर्म से जुड़ी वैश्विक विरासत सांची स्तूप पर आधारित है। उसी गुंबद पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज लहराता है। हमारे राष्ट्र ध्वज के केंद्र में सारनाथ के धर्मचक्र पर आधारित अशोक चक्र अंकित है। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन तथा राजधानी नई दिल्ली के अनेक महत्वपूर्ण स्थलों पर भगवान बुद्ध से जुड़े प्राचीन भारतीय प्रतीक व स्थापत्य के उदाहरण मौजूद हैं। उन्होंने कहा, “शायद आप सबको मालूम हो कि हमारे देश के जनप्रतिनिधियों की सबसे बड़ी सभा यानि लोकसभा में अध्यक्ष की कुर्सी के पीछे ‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ का संदेश अंकित है जिसका आह्वान गौतम बुद्ध ने अपने प्रथम प्रवचन में किया था। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने भगवान बुद्ध के विचारों को प्रसारित किया। उनके इस प्रयास के मूल में करुणा, बंधुता, अहिंसा, समता और पारस्परिक सम्मान जैसे भारतीय मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का और सामाजिक न्याय के आदर्श को कार्यरूप देने का उनका उद्देश्य परिलक्षित होता है।”
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इस मौके पर राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हम सभी के लिए यह गौरव की बात है कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कर कमलों द्वारा संविधान निर्माता भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास हो रहा है। राज्यपाल ने राष्ट्रपति और देश की प्रथम महिला का स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि भारत के संविधान के शिल्पी के रूप में हम सब बाबा साहब डॉक्टर भीम राव आंबेडकर का स्मरण करते हैं और केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जब भी वंचितों, दलितों और समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति की आवाज की बात होगी तो बाबा साहब का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित डॉक्टर भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का शुभारंभ बाबा साहब की स्मृतियों को जीवंत बनाये रखेगा। उत्तर प्रदेश के पांच दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रपति 25 जून को प्रेसिडेंशियल एक्सप्रेस ट्रेन से कानपुर पहुंचे थे। तीन दिन वह कानपुर में थे, रविवार को उन्होंने कानपुर देहात में अपने पैतृक गांव परौंख का भी दौरा किया। राष्ट्रपति सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर कानपुर से विशेष ट्रेन (प्रेसिडेंशियल एक्सप्रेस) से लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचे जहां। मंगलवार की शाम को राष्ट्रपति नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
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