Vishwakhabram: चुनाव प्रचार के दौरान China पर हमला करते रहे Trump ने अपने शपथ समारोह में Xi Jinping को बुलाकर क्या संदेश दिया है?
इसके अलावा ट्रंप इस बात की भी तैयारी कर रहे हैं कि उनका शपथ ग्रहण कार्यक्रम ऐतिहासिक हो। बताया जा रहा है कि ट्रंप की ओर से इस समारोह में शामिल होने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आमंत्रित किया गया है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को पद संभालेंगे। ट्रंप इस बात की तैयारी कर रहे हैं कि व्हाइट हाउस में उनका पहला दिन चुनावी वादों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने का संकेत तो दे ही साथ ही अमेरिकी नीतियों में आमूलचूल बदलाव भी लेकर आये। बताया जा रहा है कि ट्रंप की टीम उन आदेशों को तैयार करने में जुटी है जिन पर राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठते ही डोनाल्ड ट्रंप हस्ताक्षर करने वाले हैं। इन आदेशों के जरिये अमेरिकी प्रशासन की तमाम नीतियों और कार्यक्रमों में तो बदलाव आयेगा ही साथ ही चुनावी वादे भी पूरे किये जायेंगे।
इसके अलावा ट्रंप इस बात की भी तैयारी कर रहे हैं कि उनका शपथ ग्रहण कार्यक्रम ऐतिहासिक हो। बताया जा रहा है कि ट्रंप की ओर से इस समारोह में शामिल होने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आमंत्रित किया गया है। अमेरिका के इतिहास में यह शायद पहला अवसर होगा जब राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को न्यौता भेजा गया हो। वैसे जिनपिंग को निमंत्रण देने के साथ ही ट्रंप ने यह संकेत दिया है कि अमेरिका अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ मिलकर चलना चाहता है। हालांकि ट्रंप चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह चीन समेत तमाम देशों पर टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी देते रहे हैं उसको देखते हुए उनके रुख में आया यह परिवर्तन सभी को चौंका गया है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका के रिश्ते चीन से काफी बिगड़ गये थे खासकर जब ट्रंप ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति के लिए सार्वजनिक तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया था।
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इस बारे में ट्रंप की ओर से व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव के रूप में नामित कैरोलिन लेविटे ने एक साक्षात्कार में फॉक्स न्यूज को बताया है कि यह राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा उन देशों के नेताओं के साथ खुली बातचीत का एक उदाहरण है जो न केवल हमारे सहयोगी हैं बल्कि हमारे विरोधी और हमारे प्रतिस्पर्धी भी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा हमने उनके पहले कार्यकाल में भी देखा था। इसके लिए उनकी काफी आलोचना हुई, लेकिन इससे दुनिया भर में शांति कायम हुई। उन्होंने कहा कि वह किसी से भी बात करने को तैयार हैं, वह हमेशा अमेरिका के हित को पहले रखेंगे। हालाँकि लेविट ने यह नहीं बताया कि चीनी राष्ट्रपति ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है या नहीं। लेविटे ने यह भी बताया कि दुनिया भर के कई नेताओं को शपथ समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है। हालांकि उन्होंने उन देशों के नामों का खुलासा नहीं किया।
दूसरी ओर, इस बारे में व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन किर्बी ने संवाददाताओं से कहा, "यह नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप पर निर्भर करेगा कि उद्घाटन समारोह में उनके साथ कौन बैठेगा और कौन वहां रहेगा।" उन्होंने कहा कि हमने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की है। किर्बी ने कहा कि राष्ट्रपति ने हाल ही सहित कई बार शी जिनपिंग से मुलाकात भी की। एक सवाल के जवाब में किर्बी ने कहा कि उद्घाटन समारोह के निमंत्रण पर फैसला सुनाना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में ट्रंप टीम को देखना है। उन्होंने कहा कि जब हम ट्रंप टीम को सब चीजें सौंपेंगे तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रपति बाइडन ने जो कुछ भी किया है, उसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी दी जाये। उन्होंने कहा कि बाइडन ने दोनों देशों के रिश्ते को और अधिक स्थिर स्तर पर लाने के लिए बहुत कुछ किया है।
दूसरी ओर चीन ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि शी जिनपिंग समारोह में शामिल होंगे या नहीं। इस बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि उनके पास फिलहाल इस मामले पर साझा करने के लिए कुछ नहीं है।
जहां तक ट्रंप की ओर से चीन को दी गयी चेतावनी की बात है तो आपको याद दिला दें कि उन्होंने हाल ही में दोहराया था कि जनवरी में अपने कार्यालय के पहले दिन वह चीन, मैक्सिको और कनाडा से आयातित सभी वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे। ट्रंप ने सीएनबीसी को दिये साक्षात्कार में कहा था कि हम राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य विश्व नेताओं के साथ बातचीत और चर्चा कर रहे हैं और मुझे लगता है कि हम हर जगह बहुत अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं। ट्रंप की इस चेतावनी से परेशान शी जिनपिंग ने पिछले महीने पेरू में राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बैठक के दौरान अमेरिका से व्यापार युद्ध शुरू नहीं करने का आग्रह किया था। बहरहाल, अब जब ट्रंप ने जिनपिंग को निमंत्रण भेजा है तो देखना होगा कि चीन दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति माने जाने वाले देश अमेरिका के साथ अपने संबंध सुधारने के लिए मिले अवसर का लाभ उठाता है या नहीं।
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