बिगड़ते वैश्विक सुरक्षा हालात भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन की अहमियत को रेखांकित करते हैं: सहस्रबुद्धे
सम्मेलन में प्रमुख विद्वानों, नेताओं, राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों ने हिस्सा लिया। इसमें ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और अंतरराष्ट्रीय शांतिरक्षक बलों तथा जलवायु परिवर्तन पर दो परिचर्चाएं भी हुईं। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, शांतिरक्षक अभियानों के अवर महासचिव ज्यां-पियरे लैक्रोइक्स, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि विजय नांबियार आदि ने हिस्सा लिया।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि पश्चिम एशिया में बढ़ती हिंसा सहित पूरी दुनिया में बिगड़ते सुरक्षा हालात एक विश्व, एक कुटुंब की अवधारणा के ठीक विपरीत हैं और विभेद तथा अविश्वास से युक्त वर्तमान समय में भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन की अहमियत को रेखांकित करते हैं। सहस्रबुद्धे ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक है कि वसुधैव कुटुंबकम के बारे में उस स्थान पर चर्चा की जा रही है जहां इस पर चर्चा होनी चाहिए। साथ ही वक्त भी ऐसा है कि हमें इस पर चर्चा करने की जरूरत है। वास्तव में संयुक्त राष्ट्र के संगठनात्मक मिशन को स्पष्ट करने का वसुधैव कुटुंबकम से बेहतर कोई तरीका नहीं है।’’
यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने आईसीसीआर के साथ मिलकर आयोजित किया था। भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और जी20 की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’’ है, जो वैश्चिक चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने सम्मेलन की थीम को लेकर भारत की सराहना करते हुए कहा कि एक विश्व, एक कुटुंब की अवधारणा एकजुटता और एकता के सिद्धांतों के साथ बेहतर तरीके से मेल खाती है। फ्रांसिस ने कहा, ‘‘कुछ हफ्ते पहले तक मुझे नहीं पता था कि जिन चुनौतियों का हम सामना कर रहे हैं वे आने वाले वक्त में और जटिल हो जाएंगी।’’ उन्होंने फलस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास के शनिवार को इजराइल पर किए गए हमलों के संबंध में कहा, ‘‘ मैंने पश्चिम एशिया में हिंसा में वृद्धि और दोनों पक्षों के निर्दोष नागरिकों के मारे जाने की स्पष्ट रूप से निंदा की है।’’
सहस्रबुद्धे ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में राष्ट्रवाद का विचार कभी भी संकीर्ण मानसिकता के बारे में नहीं रहा। उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न क्षेत्रों में विकासशील देशों को कई तरीकों से नेतृत्व प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि पवित्र वेदों और उपनिषदों से, वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन सहस्राब्दियों से चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि यह लोगों को याद दिलाता है कि राष्ट्रीयता, धर्म और संस्कृति अलग होने के बावजूद हम सब एक ही मानवीय सार-तत्व साझा करते हैं। हमारे भाग्य, हमारे सपने और हमारी चुनौतियां आपस में जुड़ी हुई हैं।’’ उन्होंने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन ने ‘‘वैश्विक एकता की भावना को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। हमारे नेतृत्व में 20 सदस्य देशों, नौ आमंत्रित देशों और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी देखी गई।’’
सम्मेलन में प्रमुख विद्वानों, नेताओं, राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों ने हिस्सा लिया। इसमें ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और अंतरराष्ट्रीय शांतिरक्षक बलों तथा जलवायु परिवर्तन पर दो परिचर्चाएं भी हुईं। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, शांतिरक्षक अभियानों के अवर महासचिव ज्यां-पियरे लैक्रोइक्स, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि विजय नांबियार आदि ने हिस्सा लिया।
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