जानें हक्कानी नेटवर्क का पूरा इतिहास, जिसे तालिबान ने सौंपी काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी
हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान से ही ऑपरेट किया जाता है और पूरा सहयोग भी मिलता है। वजीरिस्तान में इसके कैंप भी हैं। जहां इसके लड़ाकों को ट्रेनिंग दी जाती है।
तालिबान के कुछ शीर्ष नेता काबुल में एक नई अफगान सरकार के गठन पर चर्चा करने के लिए एकत्र हो रहे हैं - जिसमें हक्कानी नेटवर्क का एक प्रतिनिधि भी शामिल है, जो देश के सबसे खूंखार उग्रवादी हैं। हाल के वर्षों में कुछ सबसे घातक हमलों के लिए हक्कानी को दोषी ठहराया गया है, जिसमें नागरिकों, सरकारी अधिकारियों और विदेशी बलों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान के इशारे पर पूरा हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में एक्शम मोड में है। पर्दे के पीछे से सारी साजिशों को इसका चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी लीड कर रहा है। अफगानिस्तान में सरकार बनाने की जो कोशिश चल रही है इसमें सिराजुद्दीन का भाई अनस हक्कानी भी शामिल है। इसी बीच तालिबान ने काबुल की सुरक्षा सिराजुद्दीन के चाचा खलील हक्कानी को सौंप दी है। उन्होंने इस बात का आश्वासन दिया था कि काबुल के लोगों को सही से सुरक्षा पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। इसके कुछ घंटों बाद तालिबान ने ‘अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात’ का ऐलान किया था।
हक्कानी कौन हैं?
हक्कानी नेटवर्क का गठन जलालुद्दीन हक्कानी ने किया था जिसने अफगानिस्तान में 1980 के दशक में सोवियत फौजों से जंग लड़ी थी। उस समय मुजाहिदीन को अमेरिका का समर्थन हासिल था। 1995 में हक्कानी नेटवर्क तालिबान के साथ मिल गया और दोनों गुटों ने अफगान राजधानी काबुल पर 1996 में कब्जा कर लिया। 2012 में अमेरिका ने इस गुट को आतंकवादी संगठन घोषित किया। उस संघर्ष के दौरान और सोवियत वापसी के बाद, जलालुद्दीन हक्कानी ने ओसामा बिन लादेन सहित विदेशी जिहादियों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। बाद में उसने तालिबान के साथ गठबंधन किया, जिसने 1996 में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, जब तक कि 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा इसे हटाया नहीं गया। ऐसा माना जाता है कि साल 2001 में हक्कानी नेटवर्क ने ही ओसामा बिन लादेन को भागने में सहायता की थी। हक्कानी ने इस्लामी शासन के मंत्री के रूप में सेवा की। 2018 में तालिबान द्वारा एक लंबी बीमारी के बाद जलालुद्दीन हक्कानी की मृत्यु की घोषणा की गई, और उनका बेटा सिराजुद्दीन औपचारिक रूप से नेटवर्क का प्रमुख बन गया।
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क्यों दुर्दांत माना जाता है हक्कानी नेटवर्क
हक्कानी नेटवर्क को पिछले दो दशकों के दौरान अफगानिस्तान में हुए कुछ सबसे घातक और सबसे चौंकाने वाले हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। 2012 में अमेरिका ने इस गुट को आतंकवादी संगठन घोषित किया। हक्कानी नेटवर्क आत्मघाती हमलावरों का उपयोग करने के लिए जाना जाता है - जिसमें कारों और ट्रकों में भारी मात्रा में विस्फोटक शामिल हैं।
हक्कानी की पाकिस्तानी कुंडली
पूरा हक्कानी नेटवर्क इस वक्त अफगानिस्तान में नेटवर्क हो चुका है। पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाले हक्कानी नेटवर्क का फाउंडर जलालुद्दीन हक्कानी था। उसकी दो बीवीयां और नौ बेटे हैं। इनमें से सिराजुद्दीन इस वक्त हक्कानी नेटवर्क का मुखिया है। आरिज हक्कानी और अरिज हक्कानी इस गैंग के एक्टिव मेंबर्स हैं। इनका एक रिश्तेदार याहया हक्कानी भी इस गैंग में है। जलालुद्दीन हक्कानी का भाई खलील हक्कानी भी इस गैंग का अहम मेंबर है और अपने भतीजे सिराजुद्दीन हक्कानी के इशारे पर काम करता है। हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान से ही ऑपरेट किया जाता है और पूरा सहयोग भी मिलता है। वजीरिस्तान में इसके कैंप भी हैं। जहां इसके लड़ाकों को ट्रेनिंग दी जाती है। पाकिस्तान यही चाहता है कि हक्कानी नेटवर्क को तालिबान शासन में अहम स्थान मिले। इसके जरिए पाकिस्तान अफगानिस्तान में पूरा दखल चाहता है।
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