Prabhasakshi Exclusive: Syria में तख्तापलट से क्या संदेश गया है? Iran में विद्रोह हुआ तो किस देश में भागेंगे Khamenei?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि तेहरान ने पहले ही सीरिया के भीतर अपने सैन्य बलों में कटौती शुरू कर दी थी, जो उसके रणनीतिक आकलन पर आधारित था कि देश में कुछ हद तक स्थिरता लौट रही थी, जहां 2011 की शुरुआत में एक खूनी गृह युद्ध छिड़ गया था।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि सीरिया के हालात को आप कैसे देखते हैं? विद्रोहियों की जीत और राष्ट्रपति के देश छोड़कर भागने से दुनिया में क्या संदेश गया है? एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि बशर अल असद का जो हश्र हुआ है वैसा ही कुछ अब ईरान के सर्वोच्च नेता का भी होने वाला है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सीरिया में बशर अल-असद शासन के पतन से पूरे क्षेत्र में व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव के लिए एक रणनीतिक चुनौती पेश होगी। उन्होंने कहा कि 1979 में इस्लामिक गणराज्य के गठन के बाद से, दमिश्क तेहरान का प्रमुख रणनीतिक साझेदार रहा है। उन्होंने कहा कि सीरिया उस क्षेत्र में ईरान के लिए एक आवश्यक गलियारे के रूप में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस साझेदारी ने ईरान को लेबनान तक पहुंच की सुविधा प्रदान की और तेहरान को शिया मिलिशिया हिजबुल्लाह को वित्तीय और सैन्य सहायता प्रदान करने की अनुमति दी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हाफ़िज़ अल-असद (1971-2000) के तीन दशक के शासन के दौरान शुरू हुए रिश्ते को हाफ़िज़ के बेटे बशर अल-असद के राष्ट्रपतित्व के दौरान मजबूती मिली। उन्होंने कहा कि असद और ईरान की सरकारों के बीच रणनीतिक संबंध का मुख्य रूप से सुन्नी अरब देशों द्वारा विरोध किया गया था। उन्होंने कहा कि सीरिया अरब दुनिया का हिस्सा है, लेकिन अल-असद परिवार अलावित है, जो शियावाद का एक संप्रदाय है। उन्होंने कहा कि सात अक्टूबर 2023 के हमलों के जवाब में इज़राइल द्वारा गाजा पट्टी में अपना सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव में उल्लेखनीय कमी आई है।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि तेहरान ने पहले ही सीरिया के भीतर अपने सैन्य बलों में कटौती शुरू कर दी थी, जो उसके रणनीतिक आकलन पर आधारित था कि देश में कुछ हद तक स्थिरता लौट रही थी, जहां 2011 की शुरुआत में एक खूनी गृह युद्ध छिड़ गया था। उन्होंने कहा कि असद शासन के पतन के बाद अब ईरान के लिए इजराइल सीमा तक मैदानी इलाकों से पहुँचना बहुत मुश्किल हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जहां तक सीरिया जैसा हश्र ईरान का भी होने का सवाल है तो इसके आसार काफी प्रबल नजर आ रहे हैं क्योंकि ईरान में बड़ी संख्या में लोग सर्वोच्च धार्मिक नेता खामेनेई और वहां की सरकार के फरमानों से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह महिलाएं लगातार अपने अधिकारों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं वह दर्शाता है कि ईरान में भी विद्रोह की चिंगारी सुलग रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह विद्रोहियों ने असद शासन को गिरा दिया उससे ईरान में असंतुष्टों का मनोबल बढ़ा है। उन्होंने कहा कि लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि असद को तो फिर भी रूस ने पनाह दे दी लेकिन खामेनेई को भागना पड़ा तो उन्हें कहां पनाह मिलेगी? क्योंकि उन्होंने तो सभी से अपने संबंध बिगाड़ ही रखे हैं।
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