पाकिस्तान में पीटीआई अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी संविधान का उल्लंघन साबित हुआ : उच्चतम न्यायालय

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चुनाव आयोग ने 22 दिसंबर को पीटीआई को अपने आंतरिक चुनावों में अनियमितताओं का हवाला देते हुए आगामी आठ फरवरी के चुनाव के लिए अपना चुनाव चिह्न बल्ला रखने से रोक दिया था। उनके चुनाव चिह्न रद्द करने के आयोग के फैसले के बाद, पीटीआई ने इसे पीएचसी में चुनौती दी, जहां एक-सदस्यीय पीठ ने अस्थायी राहत देते हुए चुनाव चिह्न बहाल कर दिया और मामले को नौ जनवरी को सुनवाई के लिए एक बड़ी पीठ को भेज दिया। एक नाटकीय घटनाक्रम में पीएचसी ने अपने पहले के फैसले को पलट दिया और ईसीपी के आदेश को बरकरार रखा था।

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को कहा कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ‘पीटीआई’ के अध्यक्ष के चुनाव के दौरान पार्टी संविधान के उल्लंघन की बात साबित हुई है। प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने कहा, ‘‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का संविधान कहता है कि अध्यक्ष हर दो साल के अंतराल पर चुना जाएगा, जबकि अन्य (सदस्य) हर तीन साल पर चुने जाएंगे। पार्टी संविधान का उल्लंघन इस हद तक साबित होता है।’’ डॉन डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘तीन-सदस्यीय पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति ईसा, निर्वाचन आयोग की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें पीटीआई के चुनाव चिह्न ‘बल्ले’ को बहाल करने के पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) के फैसले को चुनौती दी गई थी।’’

डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि आठ फरवरी के आम चुनावों से पहले निर्वाचन आयोग शनिवार को राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न आवंटित करेगी। इससे पहले शुक्रवार को पीटीआई को झटका देते हुए प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि चुनाव चिह्न बल्ले को बहाल करने का उच्च न्यायालय का आदेश प्रथम दृष्टया त्रुटिपूर्ण था। आयोग ने बृहस्पतिवार को पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने खान की पार्टी में संगठनात्मक चुनावों को असंवैधानिक घोषित करने के अपने फैसले को रद्द कर दिया और क्रिकेट का बल्ला चुनाव चिह्न रद्द कर दिया था।

चुनाव आयोग ने 22 दिसंबर को पीटीआई को अपने आंतरिक चुनावों में अनियमितताओं का हवाला देते हुए आगामी आठ फरवरी के चुनाव के लिए अपना चुनाव चिह्न बल्ला रखने से रोक दिया था। उनके चुनाव चिह्न रद्द करने के आयोग के फैसले के बाद, पीटीआई ने इसे पीएचसी में चुनौती दी, जहां एक-सदस्यीय पीठ ने अस्थायी राहत देते हुए चुनाव चिह्न बहाल कर दिया और मामले को नौ जनवरी को सुनवाई के लिए एक बड़ी पीठ को भेज दिया। एक नाटकीय घटनाक्रम में पीएचसी ने अपने पहले के फैसले को पलट दिया और ईसीपी के आदेश को बरकरार रखा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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