Chai Par Sameeksha: Raebareli-Amethi में क्या है माहौल, केजरीवाल के घर में क्यों मचा दंगल?

By अंकित सिंह | May 20, 2024

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर मचे दंगल पर चर्चा की। साथ ही साथ हमने रायबरेली और अमेठी का माहौल जानने की भी कोशिश की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जो लगातार चुनावी कवरेज के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा कर रहे हैं। नीरज दुबे ने कहा कि स्वाति मालीवाल के साथ केजरीवाल के घर पर जो कुछ भी हुआ वह पूरी तरीके से जांच का विषय है। लेकिन एक मुख्यमंत्री के आवास पर एक सांसद के साथ बदसलुकी होती है तो फिर आम महिलाओं का क्या होगा। नीरज दुबे ने कहा कि केजरीवाल लगातार महिलाओं की राजनीति करते हैं। उनके लिए मुफ्त में बस, मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी की सुविधा दे रखी है लेकिन दूसरी ओर उनके घर में ही महिला सुरक्षित नहीं है। 


नीरज दुबे ने कहा कि कौन सही बोल रहा है, कौन गलत है, इस पर हम टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि यह पूरा का पूरा विषय जांच का है। लेकिन स्वाति मालीवाल एक संघर्षशील महिला हैं और अगर वह आरोप लगा रही हैं तो जाहिर सी बात है कि आम आदमी पार्टी को इस पर आकर सफाई देनी होगी। उन्होंने कहा कि जो आम आदमी पार्टी दो दिन पहले यह कह रही थी कि स्वाति मालीवाल के साथ गलत हुआ है आज वही पार्टी स्वाति मालीवाल को बीजेपी का एजेंट बता रही है। यह कहीं ना कहीं बहुत बड़ी कहानी की तरफ इशारा करता है। इसके साथ ही यह भी पता चल रहा है कि विभव कुमार केजरीवाल के लिए कितने महत्वपूर्ण हो चुके हैं। नीरज दुबे ने कहा कि चुनावी मौसम में अगर केजरीवाल के घर पर इस तरह की चीज हुई है तो वह पार्टी के लिए सही नहीं है और ना ही इसका जनता में सही संदेश जाएगा। 

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रायबरेली और अमेठी को लेकर नीरज दुबे से हमने सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि अमेठी में कुछ हद तक स्मृति ईरानी के खिलाफ नाराजगी देखने को मिली लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की स्मृति ईरानी हार जाएंगी। उन्होंने कहा कि हां, इस बार अगर अमेठी में राहुल गांधी स्मृति ईरानी के खिलाफ होते तो शायद मुकाबला जबरदस्त हो सकता था। लेकिन जब राहुल गांधी अमेठी से चुनाव में ही लड़ रहे हैं तो ऐसे में स्मृति ईरानी के लिए आसान दिखाई दे रही है। दूसरी ओर उन्होंने रायबरेली को लेकर कहा कि सोनिया गांधी यहां से सांसद थीं, बावजूद इसके वह अपना सर्टिफिकेट लेने तक नहीं आई थी लेकिन जब बेटा को यहां से उम्मीदवार बनाया गया तो वह नामांकन भरवाने के साथ-साथ प्रचार में भी आ गईं। ऐसे में रायबरेली की जनता को यह लग रहा है कि पिछले 5 साल में हमारा तिरस्कार हुआ है। चुनाव के समय सभी आ रहे हैं। ऐसे में दिनेश प्रताप सिंह वहां के स्थानीय उम्मीदवार है। यही कारण है कि रायबरेली में भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है।

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