क्या होता है टेबल टॉप रनवे, भारत में कहां-कहां है, भारत की जमीन पर अब तक के सबसे बड़े विमान हादसे

By अभिनय आकाश | Aug 12, 2020

7 अगस्त 2020 को दुबई से कोझिकोड आ रही एयर इंडिया एक्‍सप्रेस की फ्लाइट संख्‍या 1344 के दुर्घटनाग्रस्‍त हो जाने से हर कोई दुखी है। विमान रनवे से फिसलकर खाई में गिरा। विमान के दो टुकड़े हो गए और दोनों पायलट समेत 18 लोगों की मौत हो गई। कोझिकोड का हवाई अड्डा भौगोलिक रूप से “टेबल टॉप” है। मतलब हवाई पट्टी के इर्द-गिर्द खाई है। ऐसे में क्या होता है टेबल टॉप एयरपोर्ट? किन-किन देशों में टेबल टॉप एयरपोर्ट है, भारत में कौन-कौन से टेबल टॉप एयरपोर्ट हैं इसके बारे में बात करेंगे। साथ ही आपको इससे पहले भी देश में हुए बड़े विमान हादसों के बारे में बताएंगे जिसमें कई लोगों ने गंवाई थी जान। साथ ही विमान के बड़े हादसों के बारे में इस रिपोर्ट में बताएंगे। 

पहले चार लाइनों में टेबल टॉप एयरपोर्ट के बारे में जानकारी देते हैं फिर इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे

  • टेबल टॉप रनवे अमूमन पठार या पहाड़ के शीर्ष पर होता है
  • इसमें कई बार एक तरफ या कई बार दोनों तरफ गहरी ढाल होती है, जिसके नीचे घाटी होती है
  • ऐसे रनवे दिखने में जितने सुंदर होते हैं, यहां लैंडिंग उतनी ही जोखिम भरी होती है
  • लैंडिंग और टेक ऑफ (उड़ान भरने) दोनों के दौरान खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है

क्या होता है टेबल टॉप एयरपोर्ट

टेबलटॉप रनवे आमतौर पर एक पहाड़ी की चोटी को काटकर बनाए जाते हैं, और अक्सर रनवे की देखरेख के लिए किसी भी मार्जिन की कमी के कारण लैंडिंग के लिए मुश्किल माना जाता है। पड़ाडी पर होने की वजह से इन एयरपोर्ट्स पर रनवे एंड सेफ्टी एरिया भी कम ही होता है। ये एरिया बताता है कि रनवे के बाद विमान को सही सलामत रखने के लिए कितनी दूरी है। ऐसे एयरपोर्ट्स पर रनवे की लंबाई के अलावा उनकी चौड़ाई भी कम ही हुआ करती हैं। पायलटों के अनुसार, टेबलटॉप रनवे पर उतरने में त्रुटियों के लिए बहुत कम जगह के साथ सटीक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

कहां-कहां पर है टेबलटॉप एयरपोर्ट 

पूरी दुनिया में इस तरह के एयरपोर्ट केवल चार देशों में ही हैं। इनमें अमेरिका, नेपाल, नीदरलैड और भारत जैसे देश शामिल है। नेपाल का ताल्‍चा एयरपोर्ट, तेंजिंग एयरपोर्ट, त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, तुमलिंग्‍तान एयरपोर्ट भी टेबलटॉप एयरपोर्ट हैं। नीदरलैड में कैरेबियना द्वीप पर बना जुआनचो एयरपोर्ट भी एक टेबलटॉप एयरपोर्ट है। इसके अलावा अमेरिका में केलीफॉर्निया का केटलीना एयरपोर्ट, एरिजोना का सेडोना एयरपोट, पश्चिमी वर्जीनिया का यीगर एयरपोर्ट भी इसी तरह के टेबलटॉप एयरपोर्ट हैं।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार भारत में केरल का कालीकट इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मिजोरम का लेंगपुई एयरपोर्ट और सिक्किम का पाकयोंग एयरपोर्ट शामिल है। वहीं हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू एयरपोर्ट को भी टेबलटॉप एयरपोर्ट की श्रेणी में गिना जाता है।

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टच डाउन में क्‍या होती है मुश्किल

टेबलटॉप एयरपोर्ट पर विमानों को उतारने के लिए मुश्किलें कहीं ज्‍यादा होती हैं। यहां का रनवे छोटा होना ही एक बड़ी समस्‍या नहीं होती है बल्कि इस तरह के एयरपोर्ट पर अक्‍सर मौसम में होने वाला बदलाव कई बार परेशानी का सबब बनता है। इसके अलावा तेज हवा भी पायलट के लिए बड़ी चुनौती बनती है। इतना ही नहीं मानसून के मौसम में तो ये एयरपोर्ट जानलेवा अधिक हो जाते हैं। रनवे गीला होने की वजह से यहां पर विमान के फिसलने का डर ज्‍यादा होता है। यहां पर पायलटों को साफतौर पर निर्देश दिए जाते हैं कि यदि वे तय दूरी में टच डाउन करने में नाकामयाब होते हैं तो विमान को दोबारा हवा में ले जाएं और फिर कोशिश करें। ऐसा न करने पर विमान के दुर्घटनाग्रस्‍त होने के आसार बढ़ जाते हैं। दक्षिण भारत में इस तरह के एयरपोर्ट हर वर्ष जून से सितंबर तक काफी खतरनाक हो जाते हैं।

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2011 की रिपोर्ट में रनवे को बताया गया था खतरनाक

एयरपोर्ट के अधिकारियों ने इस बात की अनदेखी की और एयर इंडिया विमान हादसा हो गया। रनवे 10 को लेकर इस बात की चेतावानी नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा गठित एक सुरक्षा सलाहकार समिति के सदस्य कैप्टन मोहन रंगनाथन ने 9 साल पहले ही इस बात की चेतावनी दी थी। लेकिन एयरपोर्ट अधिकारियों ने इसकी अनदेखी की और एयर इंडिया का विमान हादसा हो गया। वर्षों पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा गठित एक सुरक्षा सलाहकार समिति के सदस्य कैप्टन मोहन रंगनाथन का कहना है कि बारिश होने के बार बारिश की स्थिति में टेबलटॉप एयरपोर्ट पर हवाई लैंडिंग की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि जून 17, 2011 को उन्होंने अपनी रिपोर्ट में डीजीसीए, सिविल एविएशन सेफ्टी एडवाइजरी कमेटी और सिविल एविएशन सचिव को एक लेटर में इस बात की जानकारी दी थी। अपने लेटर में उन्होंने बताया था कि कोझिकोड एयरपोर्ट के रनवे 10 को सुरक्षित एरिया के अभाव में उपयोग में लाने की अनुमति नहीं है। साथ ही हवाई सेवा के लिए रनवे के अंत में 240 मीटर सुरक्षित एरिया विकसित करने और रनवे की लंबाई कम करने का सुझाव दिया था। उन्होंने अपने लेटर में बताया था कि विमान रनवे पर नहीं रुकने की स्थिति में सुरक्षित एरिया का प्रावधान होता है ताकि विमानों की लैंडिंग सेफ हो सके।

एयरपोर्ट प्रशासन पर आरोप

कुछ जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि विमान हादसे के लिए कुछ हद तक एयरपोर्ट प्रशासन भी ज़िम्मेदार है। कोझिकोड से सांसद के मुरलीधरन का कहना है कि एयरपोर्ट प्रशासन, जिसमें एयरपोर्ट के निदेशक भी शामिल हैं, ने एयरपोर्ट के हालात सुधारने पर ध्यान नहीं दिया है। मुरलीधरन आरोप लगाते हैं, एयरपोर्ट प्रशासन स्थानीय सांसदों के साथ भी सहयोग नहीं कर रहे हैं. मुरलीधरन भारतीय संसद की सिविल एविएशन कंसलटेटिव समिति के सदस्य भी हैं। वो कहते हैं, 'जब मैंने व्यक्तिगत तौर पर निदेशक से मुलाक़ात की थी तब भी वो एयरपोर्ट से जुड़ी समस्याओं पर बात करने के लिए तैयार नहीं थे।'

आज से ठीक 10 साल पहले मंगलुरु में एयर इंडिया एक्सप्रेस के ही एक विमान के साथ एक बड़ा हादसा हुआ था। 22 मई 2010 को एयर इंडिया की दुबई से मंगलोर आ रही फ्लाइट संख्या 812 लैंडिंग के वक्त रनवे को पार करते हुए पहाड़ी में जा गिरी थी। उस हादसे में158 लोगों की मौत हो गई। उस विमान में 160 यात्री और 6 चालक दल के सदस्य थे। सभी चालक दल सदस्यों और 152 यात्रियों की हादसे में जान चली गई। सिर्फ 8 यात्री ही बच सके थे।

भारत को एशिया में अन्य देशों की तुलना में होने वाले विमान हादसों के मुकाबले में अधिक सुरक्षित माना जाता है। फिर भी कई बार दुर्घटनाएं तो हो ही जाती है। अब आपको भारत के इतिहास में दर्ज कुछ प्रमुख विमान दुर्घटनाओं के बारे में बताते हैं।

1 जनवरी 1978: नए साल का पहला दिन मुंबई से एक दुख भरी खबर आई। मुंबई एयरपोर्ट से उड़ाने भरने के तुरंत बाद एयर इंडिया का बोईंग 747 धमाके के साथ समुद्र में जा गिरा था। इस हादसे में प्लेन में सवार सभी 213 लोगों की मौत हो गई थी।  

14 फरवरी 1990: वैसे तो ये दिन वैलेंटाइन्स डे के रूप में मनाया जाता है। लेकिन साल 1990 को इसी दिन  इंडिया  एयरलाइन्स का एयरबस 320 विमान बंगलोर हवाई अड्डे पर उतरने के समय रनवे से 400 मीटर पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में 92 लोग मारे गए थे। 

16 अगस्त 1991: ये हादसा इंडियन एयरलाइन्स में हुआ था। जब बोइंग 737-200 इम्फाल हवाई अड्डे से 30 किलोमीटर दूर अज्ञात कारणों से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में विमान पर सवार सभी 69 लोगों की मौत हो गई थी। 

26 अप्रैल 1993: औरंगाबाद में उड़ान भरने की विफल कोशिश के बाद इंडियन एयरलाइन्स का एक बोइंग विमान हवाई अड्डे के सामने बिजली के तार से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में पांच कर्मी दल और 52 यात्रियों की मौत हो गई थी।

12 नवम्बर 1996: ये हादसा बेहद अजीब था क्यूंकि ये आसमान में हुआ था। नई दिल्ली में हवाई अड्डे के निकट 4000 मीटर की ऊंचाई पर सउदी एयरलाइंस के बोइंग 747 और कज़ाख़स्तान के इल्यूशिम आईएल 76 की टक्कर हो गई थी। बोइंग पर सवार 312 और इल्यूशिन पर सवार 37 लोगों की मौत हो गई थी।

17 जुलाई 2000: अलायंस एयर का एक बोइंग 737-200 पटना में लैंडिग के दौरान हवाई अड्डे से दो किलोमीटर दूर एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में  52 में 45 यात्रियों और छह विमानकर्मियों की मौत हो गई थी। जबकि प्लेन गिरने से  ज़मीन पर पांच लोगों की मौत हुई थी।  

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