Vikram Sarabhai Death Anniversary: भारत के रॉकेट बॉय थे विक्रम साराभाई, स्पेस में दिखाई थी हिंदुस्तान की ताकत

By अनन्या मिश्रा | Dec 31, 2024

भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का 30 दिसंबर को निधन हो गया था। उनको भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह कहा जाता है। उनकी खोज और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए विक्रम साराभाई को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वह भारत के एक महान वैज्ञानिक थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

गुजरात के अहमदाबाद के एक प्रतिष्ठित बिजनेस परिवार में 12 अगस्त 1910 को विक्रम साराभाई का जन्म हुआ था। शुरूआती शिक्षा भारत में पूरी की थी और फिर वह उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंट जॉन्स कॉलेज से पढ़ने चले गए। विक्रम साराभाई ने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

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ISRO देने वाले वैज्ञानिक

अमेरिका से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नवंबर 1947 में अहमदाबाद में फिजिकल रिसर्च लैबरेटरी की स्थापना की। शुरूआत में विक्रम साराभाई ने PRL रिसर्च पर काम किया और बाद में साराभाई के अथक प्रयासों से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की नींव रखी गई। बता दें कि इससे पहले इसरो को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति के नाम से जाना जाता था। इसको 1962 में विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता की वजह से भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था।


इसके बाद उन्होंने इसरो के पहले अध्यक्ष के रूप में काम किया। वहीं भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकसित करने में विक्रम साराभाई ने अहम भूमिका निभाई थी। फिर उन्होंने अहमदाबाद में अतंरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र की स्थापना भी की थी। इसको भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्हें साल 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मृत्योपरांत) से सम्मानित किया गया।


अन्य संस्थानों की स्थापना

बता दें कि विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसिएशन और भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई थी। यह संस्थान आज भी भारत की प्रगति व उन्नति में अहम भूमिका निभा रहा है। साराभाई के नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र की स्थापना भी की थी। साराभाई का यह सपना था कि भारत आत्मनिर्भर बनें और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए। विक्रम साराभाई की इसी सोच ने भारत को अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति बनने में ग्लोबल लेवल पर मदद की। 


मृत्यु

केरल के तिरुवनंतपुरम में 30 दिसंबर 1971 को दिल का दौरा पड़ने से डॉ विक्रम साराभाई का निधन हो गया था।

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